अन्नपूर्णा के 21 साल का राजनीतिक सफर

झारखण्ड
अनपूर्णा के 21 साल का राजनीतिक सफर
चुनावों से पहले नेताओं का दल बदलना राजनीति का अहम हिस्सा रहा हैण् लेकिन कुछ चेहरे सुर्खियां बन जाते हैंण् झारखंड में राजद की प्रदेश अध्यक्ष रहीं पूर्व मंत्री अन्नपूर्णा देवी भी इसी का हिस्सा हैंण् तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए वे बीजेपी में शामिल हो गई हैंण्
बीजेपी के धुर विरोधी और विपक्ष को एकजुट रखने के पैरोकार लालू प्रसाद को यह खबर परेशान कर सकती है कि उनके भरोसे का एक नेता ने लालटेन छोड़ भगवा धारण कर लिया हैण् लालू प्रसाद को यह भी हैरान कर सकता है कि अन्नपूर्णा देवी की राजनीति को मुकाम पर पहुंचाने में उनकी अहम भूमिका रही हैण्गुंजाइश इसकी भी कि लालू भूलना चाहेंगे कि झारखंड में किसी के आने. जाने से ही क्या फर्क पड़ता हैण्
हालांकि इस बारे में लालू प्रसाद की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई हैण्
पहली बार
1998 में अन्नपूर्णा देवी ने कोडरमा से पहली दफा विधानसभा चुनाव जीता थाण् उनके पति रमेश यादव के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थीण् 1995 का चुनाव रमेश यादव ही जीते थे और वे बिहार सरकार में मंत्री भी थेण्
इससे पहले 1990 में भी रमेश यादव ने कोडरमा से चुनाव जीता था और वे राजनीतिकए सामाजिक तौर पर बेहद प्रभावी नेता थेण् जनता दल में भी वे अगली कतार में शामिल रहेण्
हवा का रुख भांपने में माहिर लालू प्रसाद ने 1998 में अन्नपूर्णा देवी को उपचुनाव में उतारा और वे चुनाव जीत भी गईंण् हालांकि उस वक्त तक उन्हें राजनीति का ककहरा पता नहीं थाण्
लगातार जीतीं
2000 में एकीकृत बिहार में अन्नपूर्णा देवी को राजद ने फिर कोडरमा से टिकट दियाण् और वे चुनाव जीत गईंण् बिहार सरकार में उन्हें भूतत्व खनन राज्य मंत्री बनाया गयाण्
जानकार बताते हैं कि उस वक्त अन्नपूर्णा देवी इस जिम्मेदारी को लेकर संकुचाती रहींण् तो लालू ने अपने भदेस अंदाज में कहाः श्शहर सिखाता है कोतवालश्ण्
गौरतलब है कि इसी साल झारखंड से गिरिनाथ सिंह को पेयजल आपूर्ति विभाग का और रामचंद्र चंद्रवंशी को वित्त वाणिज्य कर विभाग का राज्य मंत्री बनाया गया थाण्
गिरिनाथ सिंह गढ़वा और रामचंद्र चंद्रवंशी विश्रामपुर से राजद के टिकट पर चुनाव जीते थेण् चंद्रवंशी 2014 के झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गए थेण् अभी बीजेपी की सरकार में मंत्री हैं।
सबसे ज्यादा तरजीह
2000 में अलग राज्य गठन के बाद झारखंड के हिस्से राजद के नौ विधायक आएण् यहां राजद विपक्ष का हिस्सा बनाण् और बीजेपी के खिलाफ सालोंतक मोर्चा खोले रखाण् इस दौरान अन्नपूर्णा देवी ने 2005 और 2009 का चुनाव कोडरमा से ही राजद के टिकट पर जीताण् जाहिर है लगातार जीत से वे कोडरमा में प्रभावी नेता के तौर पर उभरींण् झारखंड में विपक्षी खेमे में भी खुद को सुलझे और अनुभवी नेता के तौर पर अगली कतार में स्थापित कियाण्
2014 का चुनाव वे बीजेपी की डॉ नीरा यादव से हार गईंण् 2014 का चुनाव हार जाने के बाद उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गईण् अन्नपूर्णा देवी ने हर मौके पर अपनी काबिलियत को साबित किया है अन्नपूर्णा देवी बेहर जी स्वामी स्वभाव की और सुलझी हुई राजनीतिज्ञ है अन्नपूर्णा देवी ने जब जिस बात का वादा किसी से किया है वह उस पर खरी उतरती हैं और यही कारण है कि विपक्षी दल में रहने के बावजूद भी विपक्षी नेताओं ने अन्नपूर्णा को कभी निशाने पर नहीं लिया अन्नपूर्णा बेहद सटीक भाषा और मर्यादित भाषा का प्रयोग करती है राजनीति में एक साधारण गृहणी से लेकर मंत्री तक का सफर उनका काफी संघर्षों भरा रहा है और साथ ही राजनीति में उन्होंने अपना मुकाम भी हासिल किया है आधी आबादी को ताकत देने की वकालत उन्होंने हर एक मोर्चे से की है चाहे वह राजनीतिक क्षेत्र हो या सामाजिक क्षेत्र खुद उनकी प्रतिद्वंदी रही नीरा यादव को भी राजनीति में काफी हद तक सक्रिय करने का दारोमदार भी अन्नपूर्णा देवी के पास ही रहा है अन्नपूर्णा देवी ने मुद्दों के आधार पर विपक्षियों की आलोचना की कभी व्यक्तिगत टिप्पणी का उन्होंने सहारा अब तक नहीं लिया है झारखंड की राजनीति में यादों के बड़े नेता और महिलाओं की पुरजोर समर्थक अन्नपूर्णा ने हर समस्या पर अपनी गंभीर और बेबाक राय रखी है और यही कारण रहा है कि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व भी अब उनमें झारखंड के बड़े नेता के रूप में स्थापित करने की योजना पर काम कर रहा है अन्नपूर्णा देवी अगर भाजपा से चुनाव जीतकर कोडरमा संसदीय क्षेत्र से सांसद बनती है तो निश्चित रूप से ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र में उनको मंत्री पद भी दिया जा सकता है भाजपा के कई नेताओं की माने तो अन्नपूर्णा देवी के चुनाव जीतने के साथ ही भाजपा अन्नपूर्णा देवी को बिहार और झारखंड के बड़े नेता के रूप में स्थापित करने का पुरजोर प्रयास करेगी इससे बीजेपी के कई मोर्चों पर निशा निशा देंगे जहां वह एक और बाबूलाल मरांडी को हराकर आएगी तो वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों के मंसूबों पर भी पानी पी रही महिलाओं के रूप में अन्नपूर्णा देवी बीजेपी के लिए तुरुप का पत्ता भी साबित हो सकती है महिला अधिकारों की जहां बातचीत हो और राष्ट्रीय स्तर पर महिला मुद्दों की बात हो तो निश्चित रूप से संसद के गलियारे में अन्नपूर्णा देवी अपनी आवाज मजबूती से उठा पाएंगी और तभी आधी आबादी का हक और अधिकार मांगेगी


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