

मुखर संवाद के लिये न्यूयाॅर्क से अमित श्रीवास्तव की रिपोर्टः-
न्यूयाॅर्क: अमेरिका केे नये राष्ट्रपति जो बाइडन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का है भारत से गहरा रिश्ता है और उनकी वंशागत जड़े भारत से जुड़ी हुई हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर चुने गए जो बाइडन का मुंबई से नाता है। उनके पूर्वज जॉर्ज बाइडनमुंबई में ईस्ट इंडिया कंपनी में कैप्टन थे। उनका बिछुड़ा हुआ एक परिवार यहां शायद अभी भी रहता है। जो बाइडन ने उपराष्ट्रपति पद पर रहते हुए मुंबई आने पर स्वयं यह बात बताई थी। ये स्पष्ट नहीं है कि क्या वो अपने इस परिवार का पता कर पाए या नहीं।जो बाइडन का यह किस्सा भी बहुत रोचक है। वे 2013 में उपराष्ट्रपति पद पर रहते हुए मुंबई आए थे। यहां उन्होंने एक कार्यक्रम में बताया कि उनके एक पूर्वज ईस्ट इंडिया कंपनी में काम करते थे और मुंबई में ही रहते थे। उनका परिवार यहीं रहता है। इसके बाद 2015 में वाशिंगटन में फिर अपने किस्से को याद किया। उन्होंने यहां कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के कार्यक्रम में बताया जब वे पहली बार सांसद बने थे तो उन्हें मुंबई से एक बाइडन नाम के व्यक्ति का पत्र मिला था, जिसमें उसने बताया कि उनके एक पूर्वज जॉर्ज बाइडन ईस्ट इंडिया कंपनी में कैप्टन थे और रिटायर होने के बाद उन्होंने यहीं बसने का फैसला कर लिया। उन्होंने एक भारतीय महिला से विवाह कर लिया था।उस समय उनको यह जानकारी मिली थी कि मुंबई में पांच बाइडन रहते हैं जो उन्हीं के वंश के हैं। इन पांचों बाइडन के बारे में किसी ने उन्हें पूरी जानकारी और फोन नंबर भी उपलब्ध कराए थे। कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि अभी तक वे उनसे संपर्क नहीं कर पाए हैं। बाद में मालूम नहीं हो पाया कि क्या बाइडन उनसे संपर्क कर पाए। क्या अब वो पांच बाइडन मुंबई में हैं भी या नहीं।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जहां जो बाइडेन ने मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को शिकस्त दे दी है। वहीं पहली बार अमेरिका को एक महिला उप राष्ट्रपति मिली हैं। कमला हैरिस ने उप राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत लिया है।बतौर महिला, अश्वेत और साउथ एशियन होते हुए कमला हैरिस उपराष्ट्रपति पद पर काबिज होने जा रही हैं। ये अमेरिका के राजनीतिक इतिहास में पहली बार होगा। बता दें कि कमला हैरिस का भारत के तमिलनाडु से खास नाता है। आइए जानते हैं कौन हैं कमला हैरिस। तमिलनाडु के तुलासेंतिरापुरम से कमला हैरिस का ताल्लुक है। हाल ही में यहां उनकी जीत के लिए विशेष पूजा का आयोजन किया गया था। चेन्नई से लगभग 350 किलोमीटर दूर इस गांव में हैरिस के नाना पीवी गोपालन रहते थे। हालांकि अब पीवी गोपालन का परिवार चेन्नई में रहता है। जो बाइडेन ने अगस्त में कमला का नाम उपराष्ट्रपति पद के लिए सुझाया था। कैलिफोर्निया की अमेरिकी सीनेटर ने सैन फ्रांसिस्को की पहली महिला जिला अटॉर्नी के रूप में काम किया और कैलिफोर्निया की पहली महिला थीं, जिन्हें अटॉर्नी जनरल चुना गया था। कमला हैरिस मुखर वक्ता के तौर पर जानी जाती हैं। कमला हैरिस भारतीय मां और जमैकाई पिता की बेटी हैं। वह अमेरिका में उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचने वाली भारतीय मूल की पहली अमेरिकी हैं। हैरिस का जन्म 1964 में ऑकलैंड में एक भारतीय मां, श्यामला गोपालन हैरिस और जमैकाई पिता, डोनाल्ड हैरिस के घर हुआ। उनके पिता स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में इकनॉमिक्स के प्रोफेसर थे और मां स्तन कैंसर वैज्ञानिक रही हैं। कमला हैरिस की मां ने अपने पति से तलाक हो जाने के बाद अकेले ही कमला का पालन पोषण किया। वो भारतीय विरासत के साथ पली बढ़ीं, अपनी मां के साथ भारत भी आती रहीं। अपने मां बाप के जैसे हैरिश भी काफी पढ़ी-लिखी हैं। वह 1998 में, ब्राउन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हुईं। इसके बाद उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की और फिर सैन फ्रांसिस्को डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी ऑफिस ज्वाइन कर लिया, जहां उन्हें करियर क्रिमिनल यूनिट की इंचार्ज बनाया गया। हैरिस का अमेरिका की उप राष्ट्रपति बनने तक की यात्रा बेहद दिलचस्प रही। उन्हें सबसे पहले 2003 में सैन फ्रांसिस्को के काउंटी की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी के तौर पर चुना गया था। जिसके बाद वह कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल बनीं। हैरिस ने वर्ष 2017 में कैलिफोर्निया से संयुक्त राज्य सीनेटर के तौर पर शपथ ली थीं। वो ऐसा करने वाली दूसरी अश्वेत महिला थीं। उन्होंने होमलैंड सिक्योरिटी एंड गवर्नमेंट अफेयर्स कमेटी, इंटेलिजेंस पर सेलेक्ट कमेटी, ज्यूडिशियरी कमेटी और बजट कमेटी में भी काम किया। धीरे-धीरे वह लोगों के बीच लोकप्रिय होती गईं। खासकर उनके भाषणों को श्ब्लैक लाइव्स मैटरश् अभियान के दौरान काफी समर्थन मिला। हैरिस सिस्टमेटिक नस्लवाद को समाप्त करने की आवश्यकता पर अक्सर बोलती हैं। हैरिस ने 21 जनवरी, 2019 को 2020 के राष्ट्रपति चुनावों के लिए अपनी खुद की उम्मीदवारी की घोषणा की थी। हालांकि, उन्होंने तीन दिसंबर को इस दौड़ से अपना नाम वापस ले लिया और तब से वह बाइडेन की मुखर समर्थक रहीं।
