
वाशिंगटन: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत में अपना डंका बजाने के बाद अब अमेरिका में भारतीय समुदाय के बीच अपना लोहा मनवाने को आतुर हैं। आज रात आठ बजे पीएम मोदी भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए पूरे विश्व के लोगों के साथ-साथ अमेरिकी जनता को यह बताने का प्रयास करेंगे कि उनकी पहुंच केवल भारत तक ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने 7 दिनों के दौरे पर अमेरिका पहुंच चुके हैं। आज वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ ह्यूस्टन में भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे। मोदी का यह दौरा कई मायने में अहमियत रखता है। मोदी अमेरिका में करीब 20 द्विपक्षीय बैठकों में हिस्सा लेंगे। साथ ही संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को संबोधित करेंगे। इसे लेकर भास्कर ।च्च् ने विदेश मामलों के एक्सपर्ट रहीस सिंह से बात की। उनका कहना है कि ह्यूस्टन में आज मोदी-ट्रम्प की मौजूदगी से दुनिया में हमारी कामयाब कूटनीति का संदेश जाएगा।‘‘इस समय दुनिया में नेशनलिस्ट पॉलिटिक्स ऑफ अप्रोच (राष्ट्रवादी राजनीति) देखी जा रही है, उसके पैरोकार के रूप में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नाम सामने आते हैं। इन सभी की राजनीति की प्रकृति कमोबेश एक जैसी है। लिहाजा ये सभी एक-दूसरे के करीब आएंगे।’’‘‘दुनिया का कोई नेता इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि मोदी ने अपने दूसरे चुनाव में पहले की अपेक्षा ज्यादा बहुमत हासिल किया। ट्रम्प हमेशा से उन नेताओं के मुरीद रहे हैं, जिन्होंने जनता के बीच करिश्मा कायम रखा। ओसाका (जापान) में जी-20 समिट के दौरान ट्रम्प ने कहा भी था कि मैं मोदी के व्यक्तित्व से प्रभावित रहता हूं। जब भी उनसे (मोदी से) मिलता हूं तो ऊर्जा प्राप्त करता हूं। इससे लगता है कि ट्रम्प मोदी की पर्सनैलिटी को फॉलो करते हैं।’’ ‘‘2016 के राष्ट्रपति चुनाव में देखा गया कि ज्यादातर भारतीय-अमेरिकी ट्रम्प के पक्ष में देखे गए। भारतवंशियों की ट्रम्प को जिताने के लिए हवन-पूजा करती तस्वीरें सामने आई थीं। अब मोदी ह्यूस्टन में ट्रम्प के साथ भारतीय समुदाय के बीच पहुंचेंगे। ह्यूस्टन का हाउडी मोदी कार्यक्रम न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वेयर (2014) के प्रोग्राम से अलग है। न्यूयॉर्क का कार्यक्रम भारतवंशियों से मुलाकात का कह सकते हैं।’’ ‘‘तब अमेरिका में रहने वाले भारतीय अमेरिकी चाहते थे कि उनका (भारत का) नेता उनसे मिले। अटल बिहारी वाजपेयी के समय यह परंपरा (अमेरिका के भारतवंशियों से मिलने की) शुरू हुई थी, लेकिन बाद में कमजोर पड़ती गई। अब जो भारतीय हैं, वे मोदी यानी भारत के सबसे बड़े नेता को दुनिया के सामने रॉकस्टार की तरह दिखाना चाहते हैं। 60 हजार लोगों ने मोदी के कार्यक्रम (हाउडी मोदी) के लिए बुकिंग करा ली है। हम अंदाजा लगा सकते हैं कि 60 हजार का मेंडेट कहां तक जाएगा।’’
