
मुखर संवाद के लिये अशोक कुमार की रिपोर्टः-
रांची: पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल जाने और आलमगीर आलम के सचिव के पास से 38 करोड़ रूपये की बरामदगी इंडिया गठबंधन को झारखंड में भारी पड़ी ह। आदिवासी समाज मेें भी हेमंत सोरेन के भ्रष्टाचार को लेकर नाराजगी देखी गयी लेकिन नेताओं ने इसे सतह पर आने नहीं दिया। वहीं ग्रामीण विकास मंत्री के नजदीकियों के पास से नगद 38 करोड़ की बरामदगी भी इंडिया गठबंधन की नैया को डूबो दी। वहीं कल्पना सोरेन के आंसूओं ने भी इंडिया गठबंधन को वह लाभ नहीं पहुंचा सकी जिसकी कल्पना इंडिया गठबंधन के नेताओं की ओर से की गयी थी। कल्पना सोरेन की हमदर्दी बटोरने के लिये ही इंडिया गठबंधन की ओर से कल्पना सोरेन को हेलीकॉप्टर तक उपलब्ध करवाया गया था लेकिन वह प्रभावित नहीं कर पायी। लोकसभा का चुनावी महासमर खत्म हो चुका है। किसे कितनी सीटें मिलेंगी? यह तो 4 तारीख को दोपहर तक साफ होगा लेकिन एग्जिट पोल में एक बार फिर भारी बहुमत मिलने का अनुमान जताया जा रहा है। एग्जिट पोल की मानें तो भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए को पूरे देश में 300 प्लस सीटें मिलने का अनुमान है। झारखंड में भी भाजपा की लहर साफ देखी जा सकती है।चुनाव के बाद चुनाव सर्वेक्षण एजेंसियों ने एग्जिट पोल जारी दिए हैं। एग्जिट पोल के मुताबिक, भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए को देशभर में 300 प्लस सीटें मिलने का अनुमान है। झारखंड में भी भाजपा की लहर साफ देखी जा सकती है।झारखंड की बात करें तो यहां पर महागठबंधन राज्य में सत्ता में होने के बावजूद बिल्कुल लाचार दिखा है। एग्जिट पोल के मुताबिक, झारखंड में भाजपा को 10-13 सीटें जीतने का अनुमान है। वहीं, इंडी गठबंधन को महज 4-1 सीटें मिल सकती हैं।
एग्जिट पोल के आंकड़े इस बात की सीधी तस्दीक कर रहे हैं कि जनता ने इंडी गठबंधन को एक तरीके से नकार दिया है। हेमंत सरकार पर लंबे समय से भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। मंत्री से लेकर आईएएस और खुद तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन जेल जा चुके हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों ने राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन को धक्का पहुंचाया है। भ्रष्टाचार के एक के बाद एक लगते आरोपों ने भाजपा को झामुमो सरकार पर बार-बार हमला करने का मौका दिया। चंपई और कल्पना सोरेन ने रैलियों में मोदी सरकार पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग और झारखंड के साथ भेदभाव और आदिवासियों का अपमान करने का आरोप लगाया, लेकिन चुनाव नतीजों पर इसका कोई भी असर दिखाई नहीं दे रहा है।इसके अलावा, हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी ने भी इंडी गठबंधन के चुनाव-प्रचार को प्रभावित किया। कल्पना सोरेन और सीएम चंपई सोरेन ने अपनी पूरी ताकत झोंकी, लेकिन शायद जनता तक अपनी बात पहुंचाने में नाकामयाब साबित हुए हैं। रांची में इंडी गठबंधन की महारैली के अलावा, कोई भी ऐसी बड़ी रैली नहीं हुई, जिसमें गठबंधन का कोई बड़ा नेता शामिल हुआ हो। इस कारण भी कार्यकर्ताओं और जनता में गलत संदेश गया। इसक साथ ही पार्टी के उच्चस्तरीय नेताओं में कल्पना की बादशाहत का काई स्व्ीकार नहीं कर पाया।
