
रांची से अशोक कुमार की रिपोर्टः-
रांची: राजनीति में कोई सगा नहीं होता बल्कि सभी लोग अपने अपने राजनीतिक लाभ के लिये परेशान रहते हैं। इन दिनों कां्रगेस के कार्यकारी अध्यक्ष इरफान अंसारी का भी कुछ यही हाल है। गोड्डा संसदीय सीट से अपने पिता को सांसद बनता हुआ देखना चाहते हैं इरफान इंसारी। उनके पिता फुरकान अंसारी 2004 में कां्रगेस के टिकट पर सांसद भी चुने गये थे। लेकिन जेवीएम छोड़कर प्रदीप यादव कांग्रेस का दामन थाम रहे हैं जिससे सबसे अधिक परेशानी इरफान अंसारी को हो रही है। यही कारण है कि इरफान अंसारी गोड्डा सीट अपने परिवार से छीनते हुए नहीं देख पा रहे हैं।
कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ. इरफान अंसारी अपने पद से इस्तीफा देंगे। वे प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को कांग्रेस में शामिल करने का विरोध कर रहे हैं। दोनों नेताओं के पार्टी में शामिल करने के विरोध में वे इस्तीफा दे रहे हैं। इरफान अंसारी ने कहा है कि एक यौन शोषण के आरोपी को कांग्रेस में शामिल किया जा रहा है। वह पार्टी का माहौल खराब करेगा। मैं प्रदीप यादव को अच्छी तरह से जानता हूं। यह व्यक्ति जहां भी जाता है, बर्बाद कर देता है। कांग्रेस पार्टी मेरी पार्टी है। प्रदीप यादव कांग्रेस में आएगा तो पार्टी कमजोर हो जाएगी। यह व्यक्ति कांग्रेस को कमजोर करने के लिए आ रहा है। इरफान अंसारी ने कहा है कि वे प्रदेश कार्यकारी पद से इस्तीफा दे देंगे। कहा कि प्रदीप यादव शातिर आदमी है। उसने फुरकान अंसारी का टिकट काटा है। वह पार्टी को बर्बाद कर देगा। हालांकि उन्होंने यह भी आशा जताई है कि पार्टी उनकी बात सुनेगी। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी को मिसगाइड किया गया है। उन्होंने कहा है कि वे एक विधायक के तौर पर पार्टी में बने रहेंगे और अपने क्षेत्र में काम करते रहेंगे।झाविमो नेता और पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव पर उनकी ही पार्टी की एक महिला नेत्री ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। यौन शोषण का आरोप लगने के बाद झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने प्रदीप यादव के खिलाफ कार्रवाई की थी। बाबूलाल मरांडी की पार्टी झाविमो के भाजपा में विलय के बाद से प्रदीप यादव अपने लिए ठौर तलाश रहे हैं। इधर , झाविमो के भाजपा में विलय के बीच प्रदीप यादव और बंधु तिर्की कांग्रेस में शामिल होेंगे। प्रदीप यादव और बंधु तिर्की अपने नेता बाबूलाल मरांडी के साथ भाजपा में जाने के इच्छुक नहीं हैं। साथ ही वे झाविमो के भाजपा में विलय का विरोध भी कर रहे थे। इसी कारण बाबूलाल ने दोनों नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। वहीं प्रदीप यादव कद्दावर नेता है जो झारखंड विधानसभा में अपनी धमक रखते हैं।
