कांग्रेस में टिकट को लेकर घमासान, संजय निरूपम ने लगायें गंभीर आरोप

Jharkhand झारखण्ड

मुंबई: कांग्रेस में चुनाव सिर पर होने के वावजूद पार्टी का संकट घटने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी के अंदर कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने गुरुवार को ट्विटर के जरिए पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। संजय टिकट वितरण को लेकर पार्टी आलाकमान से नाराज हैं। उन्होंने दो ट्वीट करके कहा कि शायद पार्टी को अब उनकी सेवाओं की जरूरत नहीं रह गई है। श्ऐसा लगता है कि पार्टी को अब मेरी सेवाओं की जरूरत नहीं है। मुंबई में मैंने विधानसभा चुनाव के लिए सिर्फ एक नाम की सिफारिश की थी। पता चला है कि उसे भी खारिज कर दिया गया। मैंने नेतृत्व को पहले ही बताया था कि ऐसी स्थिति में मैं चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लूंगा। यह मेरा आखिरी फैसला है। अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा, मुझे उम्मीद है कि पार्टी को गुड बाय कहने का वक्त नहीं आएगा। लेकिन, लीडरशिप जिस तरह से मेरे साथ बर्ताव कर रही है, उससे लगता है कि अब वह दिन दूर नहीं है। पिछले कुछ दिनों के दौरान मुंबई कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी छोड़ी है। इनमें एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर और कृपाशंकर सिंह जैसे बड़े नाम शामिल हैं। संजय निरुपम की छवि उत्तर भारतीय नेता की है। बिहार से ताल्लुक रखने वाले संजय निरूपम ने राजनीति की शुरुआत शिवसेना से की थी। उन्होंने पार्टी के मुखपत्र सामना में भी काम किया। वे दो बार राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। निरूपम एक बार शिवसेना से और एक बार कांग्रेस से उच्च सदन में पहुंचे थे। वहीं अशोक तंवर ने गुरुवार को हरियाणा कांग्रेस की सभी चुनावी कमेटियों से इस्तीफा दे दिया। हालांकि वे कांग्रेस के प्राइमरी मेम्बर बने रहेंगे। अपने इस्तीफे में तंवर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस एक आदमी ने हाईजैक कर ली है। हरियाणा कांग्रेस अब हुड्डा कांग्रेस बनकर रह गई है। तंवर ने कहा कि उन्होंने उम्मीदवार चयन के लिए 13 सुझाव भेजे थे। इसमें पिछड़े, मुस्लिम और सिखों को सही अनुपात में टिकट देने के लिए कहा था। इसके अलावा कर्मचारी नेता और ट्रेड यूनियन के किसी प्रतिनिधि को टिकट देने की मांग की थी। इसके साथ-साथ जेजेपी और इनेलो से आए नेताओं को टिकट नहीं देने जैसे सुझाव थे। लेकिन टिकट वितरण में उनकी इन बातों को नहीं माना गया। कांग्रेस के अंदर महाराष्ट्र और हरियाणा में पार्टी मजबूत होने के बजाय लागातार कमजोर होती जा रही है।

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