

नयी दिल्ली से शिवांगी यादव की रिपोर्टः-
नयी दिल्ली: केन्द्र सरकार और झारखंड सरकार के बीच तल्खी बढ़ती ही जा रही है। केंद्र सरकार के निर्देश पर आरबीआई ने राज्य के खाते से इंटर एकाउंटस ट्रांसफर द्वारा राशि काटकर ऊर्जा मंत्रालय को सौंप दी है। डीवीसी का ऊर्जा विकास निगम पर 5608 करोड़ रुपए बकाया है। सितंबर महीने में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने डीवीसी के बकाया मद की यह राशि 26 सितंबर तक चुकाने का नोटिस राज्य सरकार को दिया था। 4 किस्तों में राशि काटने की चेतावनी दी थी। राज्य के ऊर्जा विकास और वितरण निगम पर डीवीसी का पहले से बकाया है। केंद्र सरकार ने झारखंड को बड़ा झटका दिया है। राज्य सरकार के खाते से डीवीसी की बकाए का एक किस्त 1418 करोड़ रुपए काट लिया है। इससे राज्य की वित्तीय स्थिति अचानक गड़बड़ा गई है। राज्य के खजाने में केवल 513 करोड़ ही बचा है। इस स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार ने बाजार ऋण से 1000 करोड़ रुपए लेने के लिए आवेदन किया है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में डीवीसी और कोल इंडिया पर 6136 करोड़ का बकाया हो गया था। राज्य सरकार ने मार्च 2016 में उदय योजना के तहत 5555 करोड़ रुपए ऋण लेकर कुल 6136 करोड़ का भुगतान किया था। उस समय हुआ था कि अब आगे राज्य सरकार पर ऊर्जा निगम के ऐसे दायित्व का बोझ नहीं बढ़ेगा। लेकिन राज्य ऊर्जा निगम के कार्यकलाप के कारण इधर फिर 5608 करोड़ का बकाया हो गया। राजनीतिक और कई अन्य मुद्दों पर झारखंड और केंद्र में पहले से टकराव चल रहा है। जीएसटी कंपनसेशन से लेकर कोयला खनन नीलामी को लेकर दोनों आमने-सामने हो चुके हैं। जीएसटी कंपनसेशन मद में राज्य ने करीब ढाई हजार करोड़ का दावा कर रखा है। वहीं कोल इंडिया पर जमीन के एवज में बकाया 40 हजार करोड़ का दावा भी राज्य केंद्र से कर रहा है। इधर झारखंड के वित्त मंत्री रामेष्वर उरांव ने केन्द्र सरकार के फैसले को झारखंड की जनता से अन्याय करार देते हुए केन्द्र सरकार को आदिवासी विरोधी करार दिया है।
