


#कामेश्वर_निरंकुश शिल्पी कुमारी, सुमन कृष्णा विश्वकर्मा ‘‘बादल‘‘
पर्व त्यौहार पर इम्तिहान
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कोरोना वायरस का हाहाकार
लॉकडाउन में शांत हो गया चीत्कार
वक़्त ने बना डाला त्रासदी की सुरंग
त्यौहार की खुशियों में सभी दिखे तंग
पर्व त्यौहार की भावना
सामूहिक धूम धाम से
मनाने की कामना
सभी धर्मों की
मन में ही रह गई
लॉकडाउन की चल गई
इस बार रामनवमी, हनुमान जयंती,
बैसाखी और अक्षय तृतीया पर्व भी
बंद घरों में मनाए गए
आस्था से रीति रिवाज निभाए गए
ऐसी हालात में ईद – उल – फितर में भी
यह पहला मौका है कि ईद में
सामूहिक नमाज़ नहीं हुई
मुस्लिम समुदाय एक महीने के
रोजों के बाद विशेष नमाज भी
मस्जिदों में अदा नहीं कर पाए
भाईचारे का पैगाम देनेवाला त्यौहार
अनुशासन त्यौहार बन कर रह गया
कोरोना के खिलाफ युद्ध में जुटे
सभी धर्म गुरुओं ने एक साथ मिलकर
सोशल डिस्टेसिग, भीड़ से अलग रहकर
इम्तिहान निभाया
बेहतरी की सूरत यहीं से निकलेगी
यह अंधेरी रात कितनी भी लंबी हो
सुनहरी सुबह जरूर आयेगी
हर पर्व हम मिलजुल कर मनाएंगे।
इस इम्तिहान से सभी पास हो जाएंगे।।
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© #कामेश्वर_निरंकुश
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सावन का हरा रंग
हे सखी !
इस महीने से जुड़ी
पौराणिक कथाएँ
शिव की विशेष आराधना
शिव का सोमवार व्रत
लड़कियों की शादी के लिए
सोमवारी कथा का पाठ
शादी के बाद का
पहला सावन
चारो ओर हरियाली
हरे रंग की साड़ी
हरी रंग की चूड़ियाँ
सावन से जुड़े
तमाम रीति – रिवाज
या तो दिखते नहीं
या धीरे धीरे
पाश्चात्य माडर्न कल्चर के
किटी पार्टियों में
सिमट कर रह गए हैं
ग्रामीण क्षेत्रो में मात्र बरकरार
शहर में ग्रीन क्वीन की होड़ में तकरार
कितना अच्छा होता
अगर सोशल मीडिया से
बाहर निकलकर
पेड़ – पौधे लगाता
सावन के झूले केवल
वॉलपेपर्स में नहीं
घर-मोहल्ले के पेड़ों पर
लगाकर झुलाया जाता।
सावन का मजा लुटाया जाता।।
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शिल्पी कुमारी, सुमन
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कोरोना
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अपनों से अपने भाग रहे
दौर यह कैसा आया
पूरे विश्व में मातम है
‘कोरोना‘ ने कहर मचाया
हर चेहरे पर मास्क का पहरा है
कोरोना संकट यह गहरा है
वुहान से यह पूरे विश्व में फैला
खौफजदा आजकल हर चेहरा है
अपने गोद के बालक को
अपनों को दे न पाऊँ
नागिन कोरोना डस सकता है
कैसे इसे समझाऊँ
अपनों संग मैं बैठ न पाऊँ
मन की बात कैसे बताऊँ
दूर-दूर सब रहते हैं
उत्सव कैसे मनाऊँ
बिना मास्क के खांसे-छींके तो
होगा बहुत अपमान
बुरा-भला सब लोग बोलेंगे
बोलेंगे शैतान
इलाज करने वालों की जान
खुद संकट में आ गए
‘कोरोना‘ भगाते-भगाते
ये भी ‘कोरोना‘ पा गए
सेनेटाईजर देकर स्वागत होगा
हाॅल, माॅल हो या मेला
दो गज दूरी रखनी होगी
नहीं तो होगा झमेला
हर मेले का अब रहेगा
बदला-बदला रूप
दूर-दूर सब लोग रहेंगेे
मस्ती न होगी खूब
‘कोरोना‘ ने लाए जीवन में
अनेक नये बदलाव
कैसे सारा परिवार बैठेगा
जलाकर अब अलाव
बाहों में बाहें डालकर चलना
फैशन हुआ पुराना
दूर-दूर चलना होगा
है यह नया जमाना
नये परिदृश्य में विश्व की
अब बदल जाएगी धूरी
आवश्यक हो जाएगी
मास्क, सेनेटाईजर, दो-गज दूरी
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कृष्णा विश्वकर्मा ‘‘बादल‘‘
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