गिरिडीह के मेयर के निर्वाचन को चुनाव आयोग ने किया रद्द, अब राज्य सरकार का फैसला ही होगा मान्य

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गिरिडीह से संजय पासवान की रिपोर्टः-
गिरिडीह:  गिरिडीह के मेयर सुनील पासवान का निर्वाचन चुनाव आयोग ने रदद कर दिया है और अब गेंद राज्य सरकार के पाले में जा गिरी है। सुनील पासवान फिलहाल संकट में पड़ गये हैं। भाजपा के चुनाव चिन्ह पर गिरिडीह नगर निगम का मेयर बने सुनील कुमार पासवान की कुर्सी अब खतरे में पड़ गई है और निर्वाचन आयोग ने मामले को झारखंड सरकार के पाले में डाल दिया है। फर्जी जाति प्रमाण को लेकर निर्वाचन आयोग ने मेयर सुनील पासवान के निर्वाचन को रद्द करते हुए राज्य सरकार को इसपर अंतिम फैसला लेने को कहा है। ऐसे में मेयर को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ सकती है। जब सुनील पासवान मेयर बने थे, उस वक्त झारखंड में भाजपा की सरकार थी। लेकिन अब कि परिस्थिति बदल चुकी है और राज्य में झामुमो की सरकार के साथ-साथ गिरिडीह में भी झामुमो के विधायक हैं। इस मामले को चुनाव के पहले नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी के दौरान मेयर के जाति प्रमाण पत्र फर्जी होने का मामला झामुमो जिलाध्यक्ष ने ही उठाया था। लेकिन अयोग्य होते हुए भी निर्वाची पदाधिकारी सह डीडीसी मुंकुंद दास ने उनकी उम्मीदवारी को योग्य करार दिया था। आदिवासी कल्याण आयुक्त झारखंड रांची के ज्ञापांक 796ध् 31.05.2019 द्वारा जाति छानबीन समिति झारखंड के निर्णय के बाद गिरिडीह सीओ ने सुनील पासवान मुहल्ला शीतलपुर सिरसिया गिरिडीह के नाम से निर्गत अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया था। अपर मुख्य सचिव कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग झारखंड रांची का पत्रांक 1754 दिनांक 25.02.2019 के कंडिका 19 के में प्रदत्त अधिकार के तहत अंचलाधिकारी ने जाति प्रमाण पत्र को अवैध करार दिया था। गिरिडीह मेयर सुनील पासवान ने कहा कि निर्वाचन आयोग के फैसले की जानकारी उन्हें नहीं है। लेकिन मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। फिलहाल शहर की 1.81 लाख जनता ने उन्हें मेयर चुना है और जनता की सेवा कर रहे हैं। विरोधी क्या कर रहे हैं और क्या बोल रहे हैं, उस पर कोई टिप्पणी नहीं करना है।
झामुमो के जिला अध्यक्ष संजय सिंह ने निगम के मेयर प्रत्याशियों की स्क्रुटनी से एक दिन पहले मेयर प्रत्याशी सुनील पासवान के जाति प्रमाण पत्र को गलत ठहराते हुए उन्हें बिहारी बताया था। आरओ को लिखित शिकायत देकर केंद्रीय सचिव ने कहा कि सुनील कुमार पासवान बिहार राज्य के अरवल जिले के मूल निवासी हैं। जबकि झारखंड में अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र लेने के लिए 1950 के पूर्व से यहां का स्थायी निवासी होना चाहिए। लेकिन वे 1965 के बाद से गिरिडीह में रह रहे हैं। ऐसे में उनका जाति प्रमाण पत्र नहीं बन सकता। इसकी शिकायत उन्होंने महापौर के निर्वाची पदाधिकारी से की थी। इसके अलावा जिला निर्वाची पदाधिकारी, राज्य निर्वाचन आयोग को भी पत्र लिखा था। साथ ही अल्टीमेटम दिया था कि यदि प्रमाण पत्र जांच करा कर भाजपा प्रत्याशी का नामांकन रद्द नहीं किया गया तो वे कोर्ट का रास्ता अपनाएंगे। दूसरी और राज्य निर्वाचन आयोग से लेकर केंद्रीय निर्वाचन आयोग तक भी पहुंचेंगे। गिरिडीह विधायक सुदीव्य कुमार सोनू ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने मेयर के मसले पर उचित निर्णय लेकर मामले को राज्य सरकार के पास भेजा है। उम्मीद है राज्य सरकार इस पर नियमानुकूल कार्रवाई करेगी। झामुमो ने गिरिडीह की जनता को सच का रास्ता दिखाया है और उम्मीद है कि जल्द ही गिरिडीह के निगम क्षेत्र की जनता को बेहतर और योग्य मेयर मिलेगा। झूठ व फर्जीवाड़े की राजनीति अधिक दिनों तक नहीं चलती है। सरकार की अधिसूचना के साथ ही झामुमो ने इस मामले को उठाया था और शिकायत की थी। वहीं झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार होने के केारण यह सौ फीसदी तय है कि सुनील पनासवान की मेयर की कुर्सी अब नहीं बचेगी।

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