

दुमका: आखिरकार गुरू को चेले ने मात दे ही दी। संथालपरगना के अभेद किला कहे जानेवाले दुमका लोकसभा सीट से चेले सुनील सोरेन ने अपने गुरू शिबू सोरेन को मात देकर अपना सिक्का कायम कर लिया है। झारखंड की चर्चित दुमका लोकसभा सीट के नतीजे आ गए हैं। एनडीए प्रत्याशी सह भाजपा नेता सुनील सोरेन ने महागठबंधन प्रत्याशी सह झामुमो नेता शिबू सोरेन को हरा दिया है। राजनीति में सुनील सोरेन कभी शिबू सोरेन के शिष्य हुआ करते थे। दोनों नेता इस सीट पर तीसरी बार आमने-सामने थे। शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष व झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं। साथ ही वे आठ बार दुमका के सांसद रहे हैं। संथाल परगना का केंद्र व प्रदेश की इस उपराजधानी में जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन 11वीं बार मैदान में थे। दुमका लोकसभा सीट पर झामुमो छोड़ अन्य राजनीतिक दलों के लिए जीत हासिल करने का सपना रहा था। इसके ठोस मायने भी थे। अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित यह सीट झामुमो का गढ़ मानी जाती रही है। संथाल में झामुमो की जमीनी पकड़ भी काफी मजबूत मानी जाती थी। भाजपा समेत कई राजनीतिक दल इस गढ़ में सेंधमारी के लिए पिछले कई वर्षों से जुटे रहे, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। 2019 में भाजपा को ये कामयाबी मिली है। भाजपा को भरोसा था कि इस बार पार्टी के पक्ष में लहर है। शायद यही वजह रही है कि तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी ने सुनील सोरेन पर भरोसा किया था। सुनील सोेरेन भाजपा के संताल में ऐसा पहला चेहरा हैं, जिन्होंने सोरेन परिवार के गढ़ जामा में 2005 के विधानसभा चुनाव में शिबू सोरेन के बड़े पुत्र स्वर्गीय दुर्गा सोरेन को पराजित किया था। भाजपा ने दुमका को जेएएमम के किले के रूप् में अब नहीं रहने दिया। दुमका से इस बार शिबू सोरेन को अपने चेले और बीजेपी के प्रत्याशी सुनील सोरेन से मात मिली है तो वहीं शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन को भी बीजेपी की लुईस मरांडी ने विधानसभा चुनाव में हराया था।
