
मुखर संवाद के लिये अशोक कुमार की रिपोर्टः-
रांची: झामुमो को अब लाला समाज यानि कायस्थ समाज की चिन्ता होने लगी है। पहले झामुमो को मुस्लिम और आदिवासी प्रेम जगजाहिर दिखता था। लेकिन अब झामुमो को सवर्ण जाति की चिन्ता सताने लगी है। झामुमो को कायस्थ जाति के नेताओं की चिन्ता सताने लगी है। झामुमो अब कायस्थ जाति के राज सिन्हा और यशवंत सिन्हा के प्रति काफी चिन्तित है। झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा पर धर्म की राजनीति के बाद जातीय राजनीति करने का आरोप लगाया है। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि पहले क्षत्रिय समाज और कायस्थ समाज को टारगेट किया जा रहा है। पहले भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर क्षत्रिय समाज को अपमानित करने का काम किया। इसका असर झारखंड में भी देखने को मिल रहा है। जहां कायस्थ समाज समाज भाजपा से क्षुब्ध नजर आ रहा है। अब जबकि भाजपा यह जान चुकी है कि वह हजारीबाग और धनबाद सीट हारने जा रही है, तो देश एवं दुनिया में अपने बौद्धिक, शैक्षणिक क्षेत्र में लोहा मनवाने वाले कायस्थ समाज के लोगों को निशाना बना रही है। विदेश और आर्थिक मामले के जानकार पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के पुत्र जयंत सिन्हा को नोटिस दिया जा रहा है। राज सिन्हा को नोटिस दिया जा रहा है। अब जबकि इन लोगों ने अपना जवाब दे दिया है, तो उन्हें सामंतवादी करार देकर उन्हें टारगेट किया जा रहा है। यह जनता जान एवं समझ चुकी है.। यही कारण है कि जनता अब भाजपा के झांसे में नहीं आ रही है।
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि गोड्डा के सीटिंग एमपी निशिकांत दुबे खुद ही फंसते जा रहे हैं। पहले तो हलफनामे में कई अहम जानकारियां छिपाई। निर्दलीय चुनाव लड़ रहे अभिषेक झा मामले में उनके खुद के हाथ जल रहे हैं। निशिकांत कह रहे हैं कि अभिषेक झा से करोड़ों रुपए मिले हैं उधारी में और वह कह रहा है कि हम तो दिये ही नहीं हैं। तो क्या ईडी ने अभिषेक झा से पूछताछ की थी, कहीं वो ये अभिषेक झा तो नहीं हैं. क्योंकि प्रत्याशी तो मना कर रहा है। जबकि खुद निशिकांत अपने हलफनामे में कह रहा है कि हमें तो अभिषेक झा ने दिया है। यह पूरा मामला संदेह के घेरे में है। इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
