झारखंड के निजी विद्यालयों की लड़ाई सर्वोच्च न्यायालय तक, पासवा उतरा मैदान में ,सर्वोच्च न्यायालय में निजी विद्यालयों को राहत दिलाने हेतु पासवा का इंटरवेन

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मुखर संवाद के लिये शिल्पी यादव की रिपोर्टः-
रांची : पब्लिक स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन (पासवा) ने झारखंड के निजी विद्यालयों को आरटीई (राइट टू एजुकेशन) की कठिन शर्तों से मुक्त कराने के उद्देश्य से माननीय सर्वोच्च न्यायालय में दायर रिट याचिका में औपचारिक रूप से इंटरवेन कर दिया है। यह कदम 1 दिसंबर 2025 को पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आलोक कुमार दूबे के निर्देश पर उठाया गया। इस संबंध में आज आयोजित एक विशेष संवाददाता सम्मेलन में पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आलोक कुमार दूबे ने बताया कि संगठन झारखंड के निजी विद्यालयों के हितों की रक्षा हेतु लगातार सक्रिय है और पूरे मामले पर पैनी नजर रखे हुए है। उन्होंने बताया कि पासवा के प्रदेश महासचिव श्री एस.एन. पाठक द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में इंटरवेन दायर किया गया, ताकि निजी विद्यालयों का पक्ष देश के प्रख्यात अधिवक्ताओं द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में सशक्त रूप से रखा जा सके।

उच्च न्यायालय में मिली थी अंतरिम राहत
ज्ञात हो कि इससे पूर्व पासवा ने झारखंड उच्च न्यायालय में भी आवेदन दायर किया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च न्यायालय ने आरटीई की कठिन शर्तों से झारखंड के निजी विद्यालयों को महत्वपूर्ण राहत प्रदान करते हुए स्टे जारी किया था। उच्च न्यायालय में यह पक्ष प्रसिद्ध अधिवक्ता श्री इंद्रजीत सिन्हा द्वारा प्रभावी ढंग से रखा गया था। चूंकि आरटीई से संबंधित रिट याचिका अब सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है, इसलिए उच्च न्यायालय ने अंतिम निर्णय आने तक निजी विद्यालयों को अंतरिम राहत बरकरार रखी है। किंतु दीर्घकालिक समाधान और मजबूत पैरवी के लिए सर्वोच्च न्यायालय में इंटरवेन करना आवश्यक समझा गया।

निजी विद्यालयों को भरोसा दिलाया
राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आलोक कुमार दूबे ने झारखंड के निजी विद्यालयों को आश्वस्त किया कि संगठन उनके साथ मजबूती से खड़ा है। उन्होंने कहा कि पासवा राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने और निजी विद्यालयों पर आए संकट को दूर करने के लिए हर आवश्यक कदम उठाने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “झारखंड के निजी विद्यालय चिंतित न हों। आरटीई की कठिन शर्तों से राहत दिलाने के लिए हम हर स्तर पर संघर्षरत हैं और आगे भी विद्यालयों के हितों की रक्षा के लिए तत्पर रहेंगे।”

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