झारखंड कैबिनेट ने विस्थापन एवं पुनर्वास आयोग के गठन को दी मंजूरी, डुमरी के विधायक जयराम महतो ने जोरदार तरीके से विधानसभा में उठाया था गैर सरकारी संकल्प के तहत मुद्दा

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मुखर संवाद के लिये शिल्पी यादव की रिपोर्टः-
रांची: हेमंत सरकार की कैबिनेट ने विस्थापन एवं पुनर्वास आयोग के गठन को दी मंजूरी दे दी है। यश्ह मुद्दा झारखंड विधानसभा के मानॅसून सत्र के दौरान डुमरी के विधायक जयराम महतो ने गैर सरकारी संकल्प के तहत मुद्दा उठाया था। जयराम महतो की इस मुद्दे पर विधनसभाघ्यक्ष रवीन्द्रनाथ महतो के साथतीखी बहस भी हुई थी। इस मुद्दे को लेकर जयराम महतो विधानसभा के सत्र के अंतिम दिन काफी उग्र हो गये थे। जयराम महतो नेकहा था कि झारखंड के लोग विस्थापित हो रहे ळें लेकिन झारखंड सरकार केवल मताशा देख रहे हैं। झारखंड में विस्थापन एवं पुनर्वास आयोग में एक अध्यक्ष दो सदस्य और तीन आमंत्रित सदस्य होंगे। कार्यकाल तीन वर्षों का होगा। आयोग के गठन को लेकर बनी नियमावली के अनुसार इसका मुख्य काम विस्थापित परिवारों का सामाजिक आर्थिक अध्ययन कराना होगा। इस अध्ययन के अनुरूप सामाजिक रूप से पिछड़े परिवारों के पुनर्वास को लेकर आयोग योजनाएं बनाएगा।झारखंड में विस्थापन एवं पुनर्वास आयोग के गठन को लेकर प्रारूप को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। आयोग में एक अध्यक्ष, दो सदस्य और तीन आमंत्रित सदस्य होंगे। सभी का कार्यकाल तीन वर्षों का होगा। आयोग के गठन को लेकर बनी नियमावली के अनुसार इसका मुख्य काम विस्थापित परिवारों का सामाजिक आर्थिक अध्ययन कराना होगा।

इस अध्ययन के अनुरूप सामाजिक रूप से पिछड़े परिवारों के पुनर्वास को लेकर आयोग योजनाएं बनाएगा। विधानसभा में की गई घोषणा के अनुरूप मंगलवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में विस्थापन और पुनर्वास आयोग के गठन को ले इसके लिए बनी नियमावली के प्रारूप को स्वीकृति प्रदान कर दी गई । प्रारूप के अनुसार आयोग में एक अध्यक्ष, दो सदस्य एवं तीन आमंत्रित सदस्य हो सकते हैं। अध्यक्ष का मनोनयन राज्य सरकार करेगी और इसके लिए सामुदायिक विकास कार्यक्रमों अथवा विस्थापन एवं पुनर्वास क्षेत्र में न्यूनतम दस वर्षों का कार्य अनुभव होना अनिवार्य है। इनके अलावा प्रशासनिक अनुभव रखने वाले अधिकारी को सदस्य बनाया जाएगा, जो संयुक्त सचिव से ऊपर के पदों का कार्य अनुभव रखता होगा।इसके साथ ही सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अथवा 40 वर्ष से अधिक उम्र के अधिवक्ता को सदस्य बनाया जा सकेगा। आमंत्रित सदस्यों में स्थानीय पुरुष अथवा महिला शामिल होंगे। इनका पद अवैतनिक होगा। सरकार उप सचिव से वरीय पदों पर काम करने का अनुभव रखने वाले किसी सरकारी अधिकारी को सदस्य सचिव के तौर पर मनोनीत करेगी। सभी का कार्यकाल तीन वर्षों का होगा और इन्हें अपना पद त्यागने अथवा इस्तीफा देने के लिए एक माह पूर्व सरकार को सूचित करना होगा। आयोग पर राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग का पूर्ण प्रशासनिक नियंत्रण होगा।

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