झारखंड में 47.8 प्रतिशत बच्चे हैं कुपोषण का शिकार, कुपोषण के विरूद्ध रघुवर सरकार का अभियान

Jharkhand झारखण्ड

रांची: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान से पोषण सप्ताह की शुरूआत की है। पूरे देश में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि झारखंड के उपर कुपोषण एक कलंक की ही तरह है जिसे हटाकर झारखंड का नाम उंचा करना है। कुपोशण के कारण हमारे नवनिहाल और गर्भवती महिलायें मृत्यू के अगोश में चली जाती हैं जिसे लेकर काफी चिन्ता है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि झारखंड सरकार कुपोषण के कलंक को अगले दो तीन सालों में धोने का काम करेगी। इस मौक पर बच्चों के साथ मुख्यमंत्री रघुवर दास ने दौड़ भी लगायी है। झारखंड में कुपोषण एक बड़ी समस्या बन कर उभरी है. तमाम कोशिशों के बावजूद राज्य के कई जिले आज भी कुपोषण के चपेट में है. फिलहाल सबसे ज्यादा कुपोषीत बच्चे गुमला, पश्चिम सिंहभूम में कुपोषण के सबसे ज्यादा बच्चे शिकार हो रहे हैं. ऐसे में इस समस्या को मात देने के लिए सेव द चिल्ड्रेन योजना के तहत गुमला और पश्चिम सिंहभूम में पिछले 8 वर्षों से काम कर रहा है. सेव द चिल्ड्रेन का कहना है कि बच्चे ही देश का भविष्य होते हैं. यहां तमाम योजनाओं के बावजूद बच्चे कुपोषित हो रहे हैं। सेव द चिल्ड्रेन के माध्यम से यहां पहले से कुपोषित बच्चों के लिए आ‌वश्यक चीजें उपलब्ध कराई जा रही हैं. सरकार के सहयोग से पोषण मिशन का लाभ भी मिल रहा है. झारखंड में 5 वर्ष से कम उम्र के लगभग 29 प्रतिशत बच्चे काफी दुबले हैं यानी वे पोषाहार से वंचित हैं. लगभग 47.8 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. यह राज्य के साथ देश के लिए भी चिंता का विषय है। सेव द चिल्ड्रेन मिशन के तहत लगातार लगभग 100 गांवों में आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से कुपोषित बच्चों को चिह्नित कर उनको स्वस्थ बनाने का काम किया जा रहा है. यह कार्य एक मुहिम की तरह चलाया जा रहा है ताकि कुपोषण को जड़ से खत्म किया जा सके. इसका असर भी गुमला और पश्चिम सिंहभूम में साफ देखा जा सकता है. यहां के गांवों में पहले की अपेक्षा बड़ा सुधार दिखने लगा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *