
रिपोर्टः- संजय कुमार
रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने झारखंड सरकार को झटका देते हुए छठी जेपीएससी के रिवाइज्ड रिजल्ट को आज निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में सरकार को विज्ञापन के शर्तों के मुताबिक रिजल्ट जारी करने का निर्देश दिया है। सरकार के आदेश के बाद रिवाइज्ड रिजल्ट निकाला गया था। अब कोर्ट के फैसले से हजारों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। प्रारंभिक परीक्षा में तीन बार संशोधनों के बाद करीब 34 हजार अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए थे। हाईकोर्ट ने 17 सितंबर को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। कार्यवाहक चीफ जस्टिस एचसी मिश्र और जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने ये फैसला सुनाया। इस संबंध में पंकज कुमार पांडेय ने अपील याचिका दायर कर कहा था कि जेपीएससी ने परीक्षा प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों व शर्तों में बदलाव किए हैं। सरकार के आदेश और नियमों का हवाला देते हुए न्यूनतम अंक की अहर्ता में बदलाव किया गया। अंक बदलने के कारण परीक्षा के परीणाम भी बदले और रिवाइज्ड रिजल्ट जारी किया गया। पहली बार छठी जेपीएससी का परिणाम वर्ष 2017 में आया था। तब करीब 5000 अभ्यर्थी पीटी में सफल घोषित किए गए थे। जिसे बाद में हाई कोर्ट के आदेश पर रिवाइज किया गया था। उधर, जेपीएससी का कहना है कि शर्त में बदलाव करना सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। पूर्व में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इस परीक्षा में शामिल सभी उम्मीदवारों को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया था। सभी के प्रतिवादी बनने के बाद अब इस मामले की सुनवाई की जा रही है। जेपीएससी छठी परीक्षा का रिजल्ट इसी साल फरवरी में जारी किया गया था। रिजल्ट जारी के बाद ही विवाद शुरू हो गया था। कुल 4823 उम्मीदवारों को उत्तीर्ण किया गया था। दरअसल जेपीएससी की ओर से नियम के मुताबिक, आरक्षित सीटों के 15 गुना संख्या के हिसाब से रिजल्ट जारी किया गया था। रिजल्ट जारी होने से आरक्षण की श्रेणी में आने वाले अभ्यर्थियों को ज्यादा अंक लाने के बाद भी उन्हें अनारक्षित श्रेणी में शामिल नहीं किया गया। इसके कारण आरक्षित श्रेणी के बच्चे ज्यादा अंक लाकर भी फेल और अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवार कम अंक लाकर भी पास हो गए थे। सरकार के इस फैसले के विरोध में परीक्षार्थियों ने भरी झारखंड हाईकोर्ट में अपनी याचिका दायर की थी।
