डीजीपी अनुराग गुप्ता की नियुक्ति का लेकर अब जमकर हो रहा है बवाल, अनुराग गुप्ता रहे हैं विवादित पुलिस अधिकारी

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मुखर संवाद के लिये अशोक कुमार की रिपोर्टः-
रांची: झारखंड में अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को लेकर हंगामा थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। अनुराग गुप्ता को सभी को साथ लेकर चलने का बेहद ही अच्छा अनुभव है लेकिन उनकी मुश्किले इन दिनों बीजेपी के नेता ही बढ़ा रहे हैं। झारखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्ति का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के आरोपों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (ने पलटवार किया था.। झामुमो के अनुसार, कई राज्यों की नीतियों का अध्ययन करने के बाद राज्य मंत्रिपरिषद ने एक निर्णय लिया था और उसी के आलोक में डीजीपी की नियुक्ति हुई थी। अब भाजपा के प्रवक्ता अजय साह ने झामुमो पर बड़ा हमला बोला है। अजय साह ने झामुमो को घेरते हुए आरोप लगाया कि भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी अनुराग गुप्ता की नियुक्ति असंवैधानिक तरीके से की गयी हैं। उन्होंने सत्ताधारी दल जेएमएम के प्रवक्ता पर तथ्यहीन और गोल-मटोल जवाब देने का आरोप लगाया. कहा कि व्यक्तिगत टिप्पणी छोड़कर सरकार मुद्दों पर बात करे.भाजपा के प्रवक्ता ने हेमंत सोरेन सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि डीजीपी की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना हुई है। उन्होंने पूछा कि केंद्रीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की अनदेखी क्यों की गयी। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार गैरकानूनी फैसले ले रही है. अजय साह भाजपा कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भाजपा ने झारखंड के डीजीपी की नियुक्ति में हुई गड़बड़ी का जवाब देने की बजाय झामुमो के प्रवक्ता बाबूलाल मरांडी पर व्यक्तिगत टिप्पणी कर रहे हैं। अजय साह ने कहा कि झामुमो प्रवक्ता का बाबूलाल मरांडी पर कटाक्ष करना यह बताता है कि झामुमो ने भी इस सच्चाई को स्वीकार कर लिया है कि अनुराग गुप्ता की झारखंड के डीजीपी के रूप में नियुक्ति असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया में यूपीएससी की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. यूपीएससी एक संवैधानिक संस्था है और सुप्रीम कोर्ट ने इसे डीजीपी चयन प्रक्रिया के लिए अधिकृत किया है। भाजपा प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि यूपीएससी के सदस्य को चयन पैनल में शामिल किये बिना डीजीपी की नियुक्ति संविधान का सीधा उल्लंघन है। प्रकाश सिंह केस में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि डीजीपी की नियुक्ति केवल यूपीएससी पैनल की सिफारिशों के आधार पर ही होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार संवैधानिक प्रक्रिया के उल्लंघन को छिपाने के लिए गोल-मोल बातें कर रही है।. उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है और इस पर तथ्यपरक और पारदर्शी जवाब दिया जाना चाहिए।

अजय साह ने कहा कि डीजीपी की नियुक्ति के लिए सेवा विस्तार या सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने की पूरी शक्ति केंद्र के पास है. हालांकि, झामुमो प्रवक्ता ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। इससे यह स्पष्ट होता है कि वे केवल तथ्यों को तोड़-मरोड़कर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा शासित राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड में हाल ही में डीजीपी की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुरूप यूपीएससी पैनल के माध्यम से की गयी। जेएमएम प्रवक्ता को उत्तर प्रदेश का ठीक से अध्ययन करना चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार ने नियम विरुद्ध डीजीपी की नियुक्ति नहीं की है।

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