
रांची: 1984 बैच के झारखंड कैडर के आइपीएस डीजीपी डीके पांडेय शुक्रवार को सेवानिवृत्त हो गये. । मुखर संवाद से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि वे मजबूरी में पुलिस की सेवा में आये थे अब वो राजनीति में देश और जनता की सेवा के लिजये आगे आयेंगे। डी.के पांडे की संभावना है कि विधानसभा चुनाव के पूर्व ही वो भाजपा में शामिल होकर सक्रिय राजनीति की अपनी पारी खेलेंगे। डी.के पांडे के मुख्यमंत्री रघुवर दास से अच्छे संबंध है और उनके भविष्य में भाजपा में शामिल होकर विधानसभा चुनाव लड़ने के भी कयास भाजपा लगाये जा रहे हैं। उनके 1500 दिनों के कार्यकाल में झारखंड में 80 फीसदी नक्सलियों का ही खात्मा हुआ. अब भी 20 फीसदी नक्सली बचे हैं. 2017 से डीजीपी रहते श्री पांडेय कई मौके पर पहले कहते रहे कि झारखंड से नक्सलियों का खात्मा हो गया है. लेकिन सेवा के अंतिम दिन उन्होंने यह मान लिया कि अभी नक्सली बचे हैं.
श्री पांडेय ने 24 फरवरी 2015 को डीजीपी के पद पर योगदान दिया था. इतना लंबा कार्यकाल अब तक किसी डीजीपी का झारखंड में नहीं रहा । उन्होंने अपने चार साल तीन माह के कार्यकाल की उपलब्धियां बतायी. कहा कि उनके कार्यकाल में 10 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों की नियुक्ति, 15 हजार पुलिसकर्मियों की प्रोन्नति, तीन हजार एसआइ की बहाली के अलावा वायरलेस में बहाली, बेटियों को पुलिस में 33 फीसदी आरक्षण आदि की पहल की गयी। डीजीपी ने बताया है कि जब उन्होंने योगदान दिया था, तब 300 थाना भवन थे. फिलवक्त 700 से ज्यादा पुलिस भवन हैं.
सात जिलों में साइबर थाना और बाकी के 17 जिलों में साइबर सेल बना. 44 महिला थाने बनाये गये. अनुसंधानकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिए अनुसंधान ट्रेनिंग स्कूल खेलगांव में बनकर तैयार हो गया है. जिलों की पुलिस ड्रोन, सीसीटीवी और सर्विलांस सिस्टम से लैस हुई. डायल 100 व पीसीआर सिस्टम से लोग अब आसानी से सुविधा पाते हैं। नौकरशाहों के इसके पूर्व भी राजनीति में शामिल होने की बातें आती रही हैं। डीके पांडे के रूप में एक और नौकरशाह राजनीति में अपना पर्दापण करेंगे ऐसी राजनीतिक ही नहीं बल्कि सत्ता के गलियारे में संभव है। झारखंड के पूर्व डीजीपी बी.डी. राम पलामू से भाजपा के दो बार से सांसद हैं तो वहीं पूर्व डीजीपी राजीव कुमार भी पलामू से कांग्रेस में शामिल होकर टिकट पाने की आश में लगे रहे है।
