देश के परम चिंतक तथा संयमित जीवन के प्रतिमूर्ति थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय:- गोपाल पाठक

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मुखर संवाद के लिये शिल्पी यादव की रिपोर्टः-
रांची: सरला बिरला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर गोपाल पाठक की अध्यक्षता में एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 107वी जयंती पर विवि के सभागार में अन्त्योदय दिवस आयोजित की गई जिसमें पंडित दीनदयाल उपाध्याय के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि समर्पित की गई।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर गोपाल पाठक ने पंडित दीनदयाल को नमन करते हुए सभी को अंत्योदय की शुभकामनाएं दी । पंडित दीनदयाल की जीवनी चिंतन एवं उनके विचारधारा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जीवन प्रारंभ से ही विभिन्न त्रासदी एवम कठिनाइयों से भले ही भरा रहा लेकिन अपने नेक इरादों व हौसलों की बदौलत कभी भी अपने आप को विचलित नहीं होने दिया। भौतिक सुख की कामना उनके जीवन का कभी अंग नहीं रहा। उनके सामने उपस्थित अनेक कठिनाइयां एवं समस्याओं ने उन्हें तप कर कुंदन बनने के लिए प्रेरित किया। सचमुच वे देश के परम चिंतक तथा संयमित जीवन के प्रतिमूर्ति थे। आधुनिक भारत के निर्माण की नीव के लिए एकात्म मानववाद एवं अंत्योदय के विचार उनके अनमोल देन हैं, जिस मार्ग पर चलकर भारत न केवल देश की एकता व अखंडता को कायम कर सकेगा बल्कि पूरे विश्व का मार्गदर्शन व नेतृत्व करने में सक्षम हो सकेगा। वे सदैव उपभोक्तावाद व बाजारवाद के घोर विरोधी रहे। उन्होंने उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए सभी को पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन की सरलता को अपने जीवन में अपनाने की अपील की।

विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी डॉ प्रदीप कुमार वर्मा ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को नमन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने संदेश दिया कि आज का भारत पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सपनों के भारत के निर्माण की दिशा में प्रगतिशील है। आज प्रत्येक देशवासी गर्व के साथ एकात्म मानववाद एवं अंत्योदय के भाव से परिचित होकर राष्ट्र को आगे बढ़ाने में बढ़ चढ़ कर भाग ले रहा है।
इस अवसर पर इंजीनियरिंग एवं अप्लाइड साइंस के संकायाध्यक्ष प्रोफेसर श्रीधर बी दंडीन ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जिंदगी को राष्ट्र के लिए समर्पित, संगठित व प्रेरणापुंज बताया। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का चिंतन मानवीय संबंधों पर आधारित है, वे सदैव सभी को एक भाव में समाहित करने की सोच के साथ समाज के अंतिम पंक्ति में खड़ा व्यक्ति को भी मुख्यधारा में जोड़ने के विचार के अग्रदूत रहे। उन्होंने कहा कि उनका जीवन व जीवन चरित्र को अधिक से अधिक पढ़कर व समझ कर भारत को उनकी सपने तथा सोचकर अनुरूप बनाने में अपनी भी भूमिका सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

अंत्योदय दिवस के आयोजन का संचालन विश्वविद्यालय के वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रबंधन विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ नीतू सिंघी ने किया तथा अंत में धन्यवाद ज्ञापन कि औपचारिकता सिविल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रो एस. जीवा चिदंबरम ने पूरी की।
इस अवसर पर प्रोफ़ेसर नीलिमा पाठक, हरी बाबू शुक्ला, डॉ अशोक कुमार अस्थाना, डॉ राधा माधव झा, डॉ संदीप कुमार, डॉ रिया मुखर्जी, प्रो अमित गुप्ता, डॉ भारद्वाज शुक्ल, डॉ अभिषेक चौहान, डॉ प्रमोद कुमार होता, सुभाष नारायण शाहदेव, अनुभव अंकित आदि उपस्थित थे।

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