धर्म, कर्मकांड में भी अवसरवादी व्यापारी घुस आएं है- स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ,सरला बिरला विश्वविद्यालय में शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज के पावन सानिध्य में धर्म संगोष्ठी का आयोजन

Jharkhand झारखण्ड देश बिहार शिक्षा जगत साहित्य-संस्कृति

मुखर संवाद के लिये शिल्पी यादव की रिपोर्टः-
रांची : धर्म, कर्मकांड में भी अवसरवादी व्यापारी घुस आएं हें। ये बातें गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमद जगद्गुरु 145वें शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने कही हैं। सरला बिरला विश्वविद्यालय रांची के बीके बिरला ऑडिटोरियम में गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमद जगद्गुरु 145वें शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज के पावन सानिध्य में धर्म संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
उन्होंने विज्ञान एवं वेद सम्मत परंपराओं के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए विकास की अवधारणा को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि सनातन ज्ञान के अभाव में कोई भी विद्वता पूर्ण नहीं है। उन्होंने दैनिक जीवन में व्यवहारिक सनातन परंपराओं को आत्मसात करने की सलाह देते हुए वैदिक एवं वैज्ञानिक पद्धतियों से अवगत कराया।

उन्होने कहा कि विकास के साथ साथ सृष्टि की संरचना एवम पर्यावरण का ध्यान रखते हुए विकास के पैमाने निश्चित किए जाने चाहिए तथा राजनीति भी पर्यावरण और विकास को ध्यान में रखते हुए ही होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर केवल विस्फोट हो रहा है। उन्होंने धर्म एवं संप्रदाय की व्याख्या करते हुए कहा कि आज धार्मिक होने का मतलब लोग गलत समझने लगे हैं। संप्रदाय मंगलवाचक था जिसका अर्थ आज बिल्कुल बदल गया है। संप्रदाय आस्था का केंद्र था जिसे आज संस्था के रूप में मान्यता मिलने लगी है। आगे उन्होंने कहा कि धर्म, कर्मकांड में भी अवसरवादी व्यापारी घुस आएं हैं। महायंत्र प्रवर्तन तथा यंत्र एवं महायंत्र में भेद की विवेचना की। प्रश्नोत्तर सत्र के क्रम में उन्होंने श्रोताओं के द्वारा कई महत्वपूर्ण और समीचीन प्रश्नों के उत्तर देते हुए सभी के जिज्ञासाओं का उचित समाधान भी किया।

संगोष्ठी में जगद्गुरु शंकराचार्य जी का स्वागत अभिभाषण विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो गोपाल पाठक के द्वारा किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गोपाल पाठक एवं डॉ नीलिमा पाठक तथा विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी डॉ प्रदीप कुमार वर्मा एवं सरिता वर्मा तथा कुलसचिव डॉ विजय कुमार सिंह ने पादुका पूजन किया। इस संगोष्ठी में सरला बिरला परिवार के सभी पदाधिकारी, प्राध्यापक एवं कर्मचारियों के अलावा विश्वविद्यालय के आसपास में रहने वाले सैकड़ों धर्मावलंबियों ने उपस्थित होकर जगतगुरु शंकराचार्य जी के उपदेशों को सुनकर लाभान्वित हुए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *