मुखर संवाद के लिये शिल्पी यादव की रिपोर्टः-
रांची : शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास झारखंड, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान रांची एवं झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सभागार में राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं क्रियान्वयन विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि माननीय राज्यपाल सह कुलाधिपति रमेश बैस तथा विशेष अतिथि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ अतुल कोठारी जी, श्री सुरेश गुप्ता जी, प्रो विष्णु प्रिये, प्रो सविता सेंगर, प्रो विजय कुमार सिंह, प्रो विजय कुमार पाण्डेय आदि के द्वारा दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना के किया गया। उक्त संगोष्ठी में झारखंड के सभी निजी एवं सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रति कुलपति, कुलसचिव, डीन एवं शिक्षा नीति क्रियान्वयन समिति के संयोजक तथा विभिन्न संस्थानों के डायरेक्टर, प्राध्यापक एवं बड़े पैमाने पर शिक्षाविद शामिल हुए।
राज्यपाल सह कुलाधिपति रमेश बैस ने न्यास के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति महात्मा गांधी एवं स्वामी विवेकानंद के विचारों को छात्रों में आत्मसात कराने वाली है। छात्रों को योग्य नागरिक बनाने के लिए व्यावहारिक पक्ष पर बल दिया गया है। प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दिया जाना सर्वाधिक योग्य, वैज्ञानिक एवम उपयोगी है। इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में रटंत विद्या से बाहर निकलकर भारतीय ज्ञान परंपरा से युक्त नालंदा, तक्षशिला एवम विक्रमशिला विश्वविद्यालयों के सपनों के अनुरूप ज्ञान परंपरा को पुनर्स्थापित करने की संकल्पना सन्निहित है । इस नीति में अनुशासन, नैतिकता, जीवन मूल्य, चरित्र, कर्त्तव्य एवं व्यवहार पक्ष पर बल दिया गया है। इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जीडीपी के 6þ शिक्षा पर व्यय करने का लक्ष्य रखा गया है तथा साथ ही साथ योग्य पेशेवर शिक्षकों की नियुक्ति एवं प्रशिक्षण के बेहतर मंशा जाहिर की गई।
सभी विश्वविद्यालयों के साथ सामूहिक बैठक के क्रम में उन्होंने व्यवहारिक रुप से क्षेत्रीय भाषा यानी अधिक से अधिक हिंदी के प्रयोग करने पर बल दिया। उन्होंने सभी से अपील करते हुए कहा कि भारतीय होने व भारतीय भाषा के प्रयोग करने पर गर्व होनी चाहिए। उन्होंने उपस्थित सभी सरकारी एवं निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं प्रबंधन से अपील करते हुए कहा कि इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर विचार करते हुए छात्र हित में इसे अवश्य लागू करें तथा समस्या की बात करने की जगह समाधान करने में अपनी ऊर्जा का प्रयोग करें।
संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के रूप में व्यक्त करते देते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ अतुल भाई कोठारी ने ट्रिपल आईटी, झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एवं सरला बिरला विश्वविद्यालय के लोगों के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह शिक्षा नीति दुनिया की अनोखी शिक्षा नीति है। स्वतंत्र भारत की यह पहली भारत केंद्रित शिक्षा नीति है। अभी तक हम केवल न्यूरो सेंट्रिक यानी मैकाले आधारित शिक्षा नीति के अनुरूप अध्ययन करते आए हैं। किसी भी देश की शिक्षा उस देश की संस्कृति, प्रकृति के अनुरूप होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य ऐसे नागरिक का निर्माण करना है जो विचार, व्यवहार, आचरण एवं बौद्धिकता से भारतीय हो। पाठ्यक्रम, पेडागोजी एवम मूल्यांकन की दृष्टि से विद्यार्थी केन्द्रित होने के कारण यह शिक्षा नीति अद्वितीय है। शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेश करना आज की पहली आवश्यकता है।
अब हमें यह विचार त्याग देना चाहिए कि बिना इंग्लिश शिक्षा का महत्व नहीं, यह शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं को महत्व दिए जाने पर बल देती है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने से न केवल भारतीय भाषाओं में शिक्षा, शोध के नए द्वार खुलेंगे बल्कि स्थानीय भाषा एवं क्षेत्रीय भाषा जानने वाले लोगों के ज्ञान का भी वैश्विक स्तर पर योग हो सकेगा। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को समझते हुए उसे अपना रही है। उन्होंने कहा कि भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने के लिए इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन किया जाना अति आवश्यक है। उन्होंने राष्ट्रीय ज्ञानोत्सव की चर्चा करते हुए राज्य में भी ज्ञानोत्सव आयोजित किए जाने की बात कही। उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं पदाधिकारियों से अनुरोध किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए उन्हें नेतृत्व करने करना होगा तथा जमीनी स्तर तक उसे लागू करने में सभी को सहभागी होना होगा।
इस अवसर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति कियान्वयन संगोष्ठी से संबंधित स्मारिका का विमोचन राज्यपाल रमेश वैस द्वारा किया गया।
संगोष्ठी के दूसरे सत्र में जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय, नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय, विनोबा भावे विश्वविद्यालय, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय, एनआईटी जमशेदपुर, बीआईटी सिंदरी, सरला बिरला विश्वविद्यालय, झारखंड राय विश्वविद्यालय, बीआईटी मेसरा, उसा मार्टिन यूनिवर्सिटी, अरका जैन यूनिवर्सिटी, साईनाथ यूनिवर्सिटी, वाईबीएन यूनिवर्सिटी, श्रीनाथ यूनिवर्सिटी, गुरु गोविंद सिंह कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नेताजी सुभाष आदि विवि के कुलपतियों एवं प्रतिनिधियों द्वारा उनके संस्थान में एनईपी के क्रियान्वयन की दिशा में अभी तक किए गए एवम भविष्य के कार्यों से संबंधित विवरणिका पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुत की गई।
इस संगोष्ठी का विषय प्रवेश एवं अतिथियों का परिचय न्यास के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह सरला बिरला विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो विजय कुमार सिंह ने कराया। संगोष्ठी में आगंतुक सभी अतिथियों का स्वागत भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान रांची के निदेशक प्रोफेसर विष्णु प्रिये ने किया तथा ट्रिपल आईटी का स्थापना, उद्देश्यों एवं कार्यों की चर्चा करते हुए सभी का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम के आयोजन में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान रांची के निदेशक प्रो. विष्णु प्रिये के मार्गदर्शन में डॉ. सत्य मंडल, कुलसचिव, एम्. एस. चम्पिया, रुपेश कुमार वर्मा, डॉ. संतोष कुमार महतो, डॉ. शशिकांत शर्मा, डॉ. जीतेन्द्र कुमार मिश्रा, डॉ. भरत सिंह, डॉ. निशित मालवीय, डॉ. शादाब हसन एवं डॉ. राजीव कुमार का महत्वपूर्ण योगदान रहा.
कार्यक्रम का संचालन सरला बिरला विश्वविद्यालय के सहायक अध्यापिका डॉ नीतू सिंघी एवं प्रो एलजी हनी सिंह ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विजय कुमार पांडेय के द्वारा प्रस्तुत किया गया।
इस अवसर पर न्यास की प्रांत अध्यक्ष सह झारखंड राय विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ सविता सेंगर, सरला बिरला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गोपाल पाठक, कुलसचिव प्रोफेसर विजय कुमार सिंह, ट्रिपल आईटी के निदेशक प्रो विष्णु प्रिए, झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विजय कुमार पांडेय, विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो अंजनी श्रीवास्तव, डॉ पीयूष रंजन, न्यास के संयोजक श्री अमरकांत झा एवं श्री महेंद्र सिंह, आर यू के वीसी प्रो अजीत कुमार सिन्हा, प्रो गंगाधर पांडा, प्रो रामलखन सिंह, जे यू टी के कुलसचिव प्रो अमर चौधरी, परीक्षा नियंत्रक डॉ विप्लव पांडे, उषा मार्टिन विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ अनिल मिश्रा, डॉ पीयूष रंजन, डॉ अशोक कुमार अस्थाना, डॉ संदीप कुमार, डॉ रामकेश पांडेय, डॉ नीतू सिंघी, प्रो अमित गुप्ता, डॉ भारद्वाज शुक्ल, प्रो राजकुमार शर्मा, डॉ स्मृति सिंह, डॉ सुनील कुमार झा, डॉ धर्मराज कुमार आदि उपस्थित थे।यह जानकारी शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रचार प्रमुख डॉ भारद्वाज शुक्ल ने दी है।
