
रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव में बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार अपने तीर को नहीं चला पायेंगे। जदयू को विधानसभा चुनाव में अब किसी दूसरे चुनाव चिन्ह से ही लड़ना पड़ेगा। झामुमो ने नीतिश कुमार से तीर खींच लिया है। झारखंड में होनेवाले आगामी विधानसभा चुनाव में जदयू तीर चुनाव चिन्ह पर चुनाव नहीं लड़ सकेगा। निर्वाचन आयोग ने झामुमो द्वारा किए गए आग्रह और दी गई दलील के आधार पर 16 अगस्त को यह फैसला दिया है। दरअसल, यह मामला पिछले लोकसभा चुनाव से जुड़ा है।17 वीं लोकसभा चुनाव के दौरान जदयू ने निर्वाचन आयोग से यह आग्रह किया था कि बिहार में झामुमो के लिए तीर-धनुष चुनाव चिन्ह रिजर्व नहीं किया जाए। क्योंकि जदयू के तीर और झामुमो के तीर-धनुष चुनाव चिन्ह को लेकर मतदाताओं में कन्फ्यूजन होगा। झामुमो का बिहार में कोई विधायक या सांसद नहीं होने को भी जदयू ने अपने तर्क का आधार बनाया था। इसी आधार पर निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव में बिहार में झामुमो के लिए तीन-धनुष चुनाव चिन्ह रिजर्व रखने की बाध्यता समाप्त कर दी थी। इसी आधार पर झामुमो ने भी 24 जून 2019 को निर्वाचन आयोग को पत्र लिख कर झारखंड विधानसभा चुनाव में जदयू के लिए तीर चुनाव चिन्ह फ्रीज नहीं करने की मांग की। उसके पक्ष में झामुमो ने कई तर्क दिए। जिसमें यह भी कहा गया कि जदयू का गठन 2003 में हुआ जबकि झामुमो को अविभाजित बिहार के समय 1985 में ही तीर-धनुष चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया था। जदयू का भी वर्तमान में झारखंड से न कोई विधायक है और ना सांसद। इसलिए विधानसभा चुनाव में अगर जदयू को तीर चुनाव चिन्ह आवंटित किया जाता है तो मतदाताओं में कन्फ्यूजन पैदा होगा। झामुमो के इन्हीं तर्कों और निर्वाचन आयोग के प्रावधानों पर विचार करने के बाद आयोग ने जदयू के लिए झारखंड और महाराष्ट्र में तीर चुनाव चिन्ह फ्रीज नहीं करने का फैसला दिया है। झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने आयोग के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे भाजपा की साजिश बेनकाब हुई है। भाजपा चाहती थी कि जदयू यहां तीर चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़े और तीर-धनुष और तीर को लेकर मतदाताओं के बीच कन्फ्यूजन पैदा हो।
