पासवा द्वारा संचालित तुपुदाना स्थित डीएवी सरला स्कूल में पहुंचे वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव, बच्चों की शिक्षा सही उम्र और सही तरह से करने की दी नसीहत

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मुखर सवांद के लिये शिल्पी यादव की रिपोर्ट-
रांची: पासवा की ओर से संचालित तुपुदाना स्थित डीएवी सरला स्कूल में आज झारखंड सरकार के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव पहुंचे एवं स्कूली बच्चों, शिक्षकों तथा अभिभावकों को होली की बधाई एवं शुभकामनाएं दी। स्कूल पहुंचने पर विद्यालय के बच्चों द्वारा वित्त मंत्री को गुलाब देकर स्वागत किया गया, वहीँ विद्यालय के डायरेक्टर मेहुल दूबे, इंचार्ज श्रीमती संगीता सिंह, सुचिता छेत्री,शिक्षिका मेघा बाखला,शिल्पी कुमारी, मेघा टॉपनो ने विद्यालय की ओर से वित्त मंत्री का बुके देकर स्वागत किया। अभिभावकों एवं शिक्षकों को संबोधित करते हुए डॉ रामेश्वर डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा देश में जितने भी संत महात्मा हुए सबने एक ही चीज सिखाया माता-पिता,गुरुजनों की बात मानो, उनका आदर करो,अपने परिवार का सम्मान करो, बड़ों का आदर करो जिसमें अभी कमी आ गई है।बच्चे पहले पैर छूते थे,हाथ जोड़ते थे इसका मतलब है कि रिश्ते के आगे, उम्र के आगे समर्पित रहना। बदलाव आया है बदलाव अच्छे के लिए है या बुरे के लिए इसे मैं परिभाषित तो नहीं कर सकता, लेकिन इतना जरूर कह सकता हूँ बच्चों के बीच आकर मुझे अच्छा लगता है,बच्चे इनोसेंट होते हैं निर्दोष होते हैं, इनका मन निश्चल होता है,बच्चों का संसार इनोसेंट संसार होता है।आज के बच्चे बुद्धिमान, तेज एवं होशियार है और बच्चे कच्चे बांस की तरह होते हैं जिन्हे जिधर भी मोड़ दिया जाए उधर ही मुड़ जाते हैं।

डॉ उरांव ने कहा समय के साथ साथ हमारे बच्चों में पहले की अपेक्षा संस्कार में बदलाव देखे जा रहे हैं। पहले गाव देहात में जो संस्कार भाव दिखते थे अब इसमें कमी आ गई है,हमें बच्चों को संस्कार देना होगा। पहले हमलोग मोबाइल को जानते भी नहीं थे। आज इसका व्यापक उपयोग होता है। बच्चे भी जमकर इसका उपयोग करते हैं। जिससे उन्हें दृष्टि दोष हो रही है। देखने में दिक्कत होती है। मोबाईल के उपयोग से जितना मानसिक विकास होना चाहिए वह भी नहीं हो पा रहा है। इसलिए बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के साथ संस्कारी बनाने की जरूरत है। अभिभावक मोबाईल का जितना जरूरी है उतना ही उपयोग कराएं। एकल परिवार में बच्चों को सीखने समझने की क्षमता में कमी आई है।

जन्म के साथ ही बच्चों का पहला गुरु प्रकृति होता है जहां बच्चे सूर्य चंद्रमा से सीखते हैं, दूसरा गुरु माता-पिता और परिवार होता है और तीसरा गुरु शिक्षक एवं फिर दोस्त होते हैं।बड़े छोटों के प्रति अच्छा व्यवहार सिखलाना होगा। अच्छाई बुराई का बोध बच्चों के सामने सोच-समझकर करें। नहीं तो गलत अनुसरण करने पर बाद मे अभिभावकों को परेशानी होती है। हर अभिभावक को समझना होगा बच्चों की मानसिक प्रशिक्षण कैसे पूरा हो। जबतक बच्चे सोचेंगे नहीं दिमाग कैसे तेज होगा। अपने परिवार बच्चों से ही समाज को बेहतर बनाना है।हांथ जोड़कर प्रणाम करने पैर छूने दोनों में अन्तर है।पैर छूने का मतलब है कि आप सामने वाले के प्रति समर्पित हो गए। ऐसे संस्कारों को हमें बच्चों में देना होगा। इसके पूर्व मंत्री ने अपने पॉकेट से पैसे निकालकर बच्चों को टोफी खिलाई, बच्चों संग फोटो खिंचवाया और कहा कोल्ड ड्रिंक हानिकारक होता है। इस मौके पर पासवा प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा डीएभी सरला स्कूल प्रेप से कक्षा 5 तक शिक्षा के साथ साथ अन्य गतिविधियो की भी जानकारी देगा ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके। पासवा का हमेशा यह उद्देश्य रहा है सीमित संसाधनों में बच्चों को मुकम्मल शिक्षा प्रदान हो।

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