पीएम नरेन्द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में हजारीबाग के किसान की प्रशंसा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलसंरक्षण के क्षेत्र में झारखंड के हजारीीबाग जिले के लापुंग पंचायत के एक किसान की प्रशंसा करके झारखंड को अपने मन की बात कार्यक्रम में करके झारखंड को फिर से मुख्य केन्द्र बिन्दु में ला दिया। अभी ू21 जून को योग दिवस के अवसर पर ही झारखंड की राजधानी रांची में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आये थे। जनभागीदारी से स्वच्छता अभियान को सही राह दे चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में जल संरक्षण के लिए भी हर किसी से सहयोग की अपील की है। सत्ता में दोबारा लौटने के बाद पहले श्मन की बातश् में उन्होंने देशवासियों से तीन अपील की और तीनों जल संरक्षण से ही जुड़ा था। उन्होंने फिल्म और मीडिया से लेकर खेल और धार्मिक संगठनों तक से इसे जन जागरण का रूप देने का आग्रह किया। साथ ही जल संरक्षण के पारंपरिक तौर तरीके और इस काम में जुटे लोगों, गैर सरकारी संगठनों आदि के बारे में जानकारी साझा करने की अपील की ताकि एक डेटाबेस तैयार किया जा सके। चुनाव के कारण रुका प्रधानमंत्री का मासिक मन की बात कार्यक्रम रविवार से शुरू हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके जरिए ही यह कहकर लोगों का धन्यवाद किया कि श्आपने ही मुझे लाया है, आपने ही मुझे बिठाया है। आपने ही मुझे एक बार फिर से बोलने का मौका दिया है। भारतीय चुनाव की व्यापकता का अहसास कराते हुए यह भी याद दिलाया कि लोकतंत्र को गंभीरता से लेना चाहिए। इसके जरिए जो अधिकार मिले हैं वह सामान्य नहीं है। इसी क्रम में उन्होंने आपातकाल की भी याद दिलाई और परोक्ष रूप से यह संदेश देने की भी कोशिश की कि भारत जैसे देश में बार बार चुनाव आसान नहीं है। ध्यान रहे कि वह एक साथ एक चुनाव की वकालत करते रहे हैं लेकिन विपक्ष के कई दल इसके विरोध में हैं। बहरहाल, पहले मन की बात में जोर जल संरक्षण पर रहा जो सरकार की प्राथमिकता में भी सबसे उपर है। अपने संबोधन में जल की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश में वर्षा जल का सिर्फ 8 फीसद ही संरक्षित किया जाता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि वर्षा जल संरक्षण के लिए उन्होंने देश के सरपंचों और प्रधानों को पत्र लिखा था। 22 जून को हजारों पंचायतों में लाखों लोगों ने श्रमदान किया। अब जरूरत है इसे देशव्यापी बनाने की। उन्होंने अनुरोध किया कि पूरा देश इकट्ठा होकर इसे आगे बढ़ाए।

उन्होंने अलग अलग क्षेत्र की हस्तियों से जल संरक्षण के लिए अनोखे अभियान का नेतृत्व करने का आग्रह किया। जल संरक्षण के लिए कई तरीके अपनाए जाते रहे हैं। प्रधानमंत्री ने इसे भी साझा करने की अपील की और उनके बारे में भी जानकारी मांगी जो विभिन्न क्षेत्रों में जल संरक्षण के लिए कुछ न कुछ काम कर रहे हैं। जनशक्ति4जलशक्ति के हैशटैग के साथ प्रधानमंत्री ने नरेंद्र मोदी एप पर जानकारी मांगी है। जाहिर है कि नई सरकार जल संरक्षण को लेकर सबसे ज्यादा तेज कदम बढ़ाती दिखेगी।
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में वापसी के बाद रविवार को पहली बार अपने रेडियो कार्यक्रम में मन की बात की। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान आपसे बात नहीं कर पाने का अफसोस रहा। कार्यक्रम को बहुत मिस किया। फरवरी में मैंने कहा था कि अब तीन-चार महीने बाद मिलेंगे तो लोगों ने इसके कई राजनीतिक अर्थ निकाले। मुझे यह विश्वास आपसे मिला था। आपने ही मुझे दोबारा बोलने का मौका दिया। प्रधानमंत्री ने जल संकट से निपटने के लिए लोगों से वर्षा जल के संरक्षण को लेकर तीन अनुरोध किए। उन्होंने कहा कि देशवासी स्वच्छता की तरह जल संरक्षण को जनआंदोलन बनाएं।

मोदी ने पहले कार्यकाल में 53 बार मन की बात की थी। फरवरी के आखिरी कार्यक्रम में उन्होंने लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ वापसी की उम्मीद जताई थी। मोदी ने कहा, श्श्एक लम्बे अंतराल के बाद, फिर से एक बार, आप सबके बीच, मन की बात’ का सिलसिला प्रारम्भ कर रहे हैं। तीन-चार महीने का वक्त काफी कठिन था। एक बार तो मन कर रहा था कि चुनाव समाप्त होते ही आपसे बात करूं, लेकिन फिर रविवार को ही बात करने का मन हुआ। इस रविवार ने काफी इंतजार कराया। मोदी ने कहा कि पानी की कमी से देश के कई हिस्से सालभर प्रभावित रहते हैं। बारिश से जो पानी हमें मिलता है, अभी उसका 8 प्रतिशत ही बचाया जाता है। हम जनशक्ति से इस संकट का समाधान कर लेंगे। जल की महत्ता को सर्वोपरि रखते हुए देश में नया जलशक्ति मंत्रालय बनाया गया है। मैंने पानी के संचय के लिए ग्राम प्रधानों को पत्र भी लिखा है। सभी नागरिकों से तीन अनुरोध हैं-

  1. जैसे देशवासियों ने स्वच्छता को आंदोलन बना दिया। वैसे ही जल संरक्षण को आंदोलन बना दें। पानी की एक-एक बूंद बचाने के लिए मेहनत करें।
  2. जल संरक्षण के लिए सदियों से पारंपरिक तरीके अपनाए जा रहे हैं। इन्हें प्रयोग में लाएं और अपने आसपास लोगों के साथ साझा करें। ऐसा एक प्रयोग पोरबंदर के कीर्ति मंदिर में है। वहां 200 साल पुराने टांके में आज भी पानी है और बरसात के पानी को रोकने की व्यवस्था है।
  3. जल संरक्षण के लिए काम करने वाले लोगों से जो जानकारी मिले, उसे हैशटैग जनशक्ति जलशक्ति के साथ साझा करें। ताकि उसका एक डाटाबेस बनाया जा सके।
    मोदी ने कहा, कई सारे संदेश पिछले कुछ महीनों में आए हैं, जिसमें लोगों ने कहा कि वो ‘मन की बात’ को मिस कर रहे हैं। जब मैं पढता हूं, सुनता हूं मुझे अच्छा लगता है। मैं अपनापन महसूस करता हूं। मुझसे कई लोगों ने पूछा कि आप बीच में केदारनाथ क्यों चले गए? चुनाव की आपाधापी में मैं चल पड़ा। कई लोगों ने इसके राजनीतिक अर्थ निकाले। लेकिन मैं तब खुद से मिलने चला गया था। मन की बात के कारण जो खालीपन था। उसे केदारनाथ की खाली गुफा ने भरने का मौका दिया। जब देश में आपातकाल लगा तो जन-जन के दिलों में एक आक्रोश था। लोकतंत्र के अधिकारों का क्या मजा है वो तब पता चलता है जब कोई इन्हें छीन लेता है। आपातकाल में देश के हर नागरिक को लगने लगा था कि उसका कुछ छीन लिया गया है। इस चुनाव में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए 61 करोड़ से ज्यादा लोगों ने वोट दिया। चीन को छोड़ दें तो भारत में दुनिया के किसी भी देश की आबादी से ज्यादा लोगों ने मतदान किया।श्श्
    श्श्अर्द्धसैनिक बलों के करीब 3 लाख सुरक्षाकर्मियों और राज्यों के 20 लाख पुलिसकर्मियों ने परिश्रम किया। अरुणाचल प्रदेश के एक रिमोट इलाके में एक महिला मतदाता के लिए पोलिंग स्टेशन बनाया गया। चुनाव आयोग के अधिकारियों को वहां पहुंचने के लिए दो दिन तक यात्रा करनी पड़ी। चुनाव आयोग बधाई देता हूं और भारत के जागरूक मतदाताओं को नमन करता हूं। लोगों के संदेशों में शिकायतें न के बराबर होती हैं। वहीं मुख्यमंत्री रघुवर दास की ओर से झारखंड के किसान की प्रशंसा को लेकर सुखद संदेश जाहिर किया गया है।

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