
रांची: कांग्रेस ने अन्ततः झारखंड कांग्रेस के कलह को सुलझाने का प्रयास किया है। कांग्रेस के अंदर पुरानी लाॅबी ने एकबार फिर अपना प्रभाव दिखाने में कामयाब हो गयी है। कांग्रेस आलाकमान ने पूर्व केंद्रीय मंत्री रामेश्वर उरांव पर भरोसा जताया है। उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है। इस तरह से कांग्रेस ने एक बार फिर आदिवासी चेहरे पर ही विधानसभा के पहले दावं खेला है। रामेश्वर उरांव केंद्रीय मंत्री रहने के अलावा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। वे पार्टी के भीतर बड़ा आदिवासी चेहरा हैं। इसके साथ ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. अजय कुमार के त्याग पत्र देने के बाद प्रदेश अध्यक्ष की खोज समाप्त हो गई। रामेश्वर उरांव को अध्यक्ष बनाए जाने के साथ ही पार्टी ने राज्य के हर प्रमंडल से एक-एक कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया है। कांग्रेस का आलाकमान जिन नेताओं को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है, उनमें राजेश ठाकुर, केशव कमलेश महतो, डाक्टर इरफान अंसारी, मानस सिन्हा, संजय पासवान शामिल हैं। पार्टी ने कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति करने के साथ ही यह दर्शा दिया है कि उसका आदिवासी, मुस्लिम के साथ ही अन्य वर्गों का पूरा ख्याल है। पार्टी विधानसभा चुनाव में इसका लाभ लेने का प्रयास करेगी। राज्य में अभी विधायक दल के नेता का पद अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय से हैं और प्रदेश अध्यक्ष आदिवासी हैं। चुनाव में इन दोनों वर्गों पर कांग्रेस का विशेष फोकस रहेगा। हालांकि डा. रामेश्वर उरांव पार्टी को कहां तक आगे ले जा पाएंगे यह तो विधानसभा चुनाव के परिणाम से ही पता चल जाएगा। अर्थशास्त्र में पीएचडी डॉ. रामेश्वर उरांव मनमोहन सिंह की पहली सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। डॉक्टर उरांव 14 फरवरी 1947 को पलामू के चियांकी में पैदा हुए थे। 7 अप्रैल, 2009 को रामेश्वर उरांव ने मनमोहन सिंह सरकार के तहत पहली कैबिनेट में एक आदिवासी मामलों के मंत्री के रूप में शपथ ली थी। इसके बाद मनमोहन सिंह की दूसरी पारी की सरकार में वे राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के चेयरमैन भी रहे। 2009 के लोकसभा चुनाव के पहले डाक्टर उरांव ने एडीजी के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृति ली थी और लोहरदगा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े जिसमें उनकी जीत हो गई। इसी महीने नौ अगस्त को डाक्टर अजय के त्याग पत्र देने के बाद से ही प्रदेश अध्यक्ष का पद खाली चल रहा था। प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने के बाद रामेश्वर उरांव ने इसे बड़ी चुनौती बताया है।
