बच्चों के भविष्य और शिक्षकों कर्मचारियों के जीवन यापन को ध्यान में रखते हुए सरकार को स्कूल खोलने पर एक बार फिर से विचार करना चाहिएः- पासवा

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मुखर संवाद के लिये शिल्पी यादव की रिपोर्टः-
रांची : राज्य में संचालित 47 हजार निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों के भविष्य को देखते हुए,वहां कार्यरत लाखों शिक्षकों कर्मचारियों के जीवन यापन को ध्यान में रखते हुए सरकार को स्कूल खोलने पर एक बार फिर से विचार करना चाहिए और किशोरों के टीकाकरण को शतप्रतिशत सफल करने के लिए निजी स्कूलों का सहयोग लाया जाना चाहिए। ये मांगें पासवा ने राज्य की हेमतं सारकार से की है।

झारखण्ड राज्य पासवा के अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे,उपाध्यक्ष लाल किशोर नाथ शाहदेव एवं महासचिव डा.राजेश गुप्ता छोटू ने कहा है एक तरफ राज्य के सभी स्कूल और कॉलेज बंद है वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार की अनुमति से झारखंड राज्य में स्थापित सैनिक स्कूल में प्रवेश हेतु ऑल इंडिया सैनिक स्कूल एंट्रेंस एग्जाम (एआईएसएसईई) कल दिनांक 9 जनवरी दिन रविवार को आयोजित किया गया और राज्य के कई जिलों में परीक्षा के केंद्र बनाए गए जिसमें राज्य भर से हजारों की संख्या में बच्चों की परीक्षा ली गई एवं प्रवेश परीक्षा हेतु हजारों अभिभावकों के साथ-साथ कक्षा 4 एवं 5 के लिए नन्हे मुन्ने बच्चे केंद्र सरकार द्वारा संचालित विद्यालय की प्रवेश परीक्षा देने इकट्ठे हुए जिसे सभी लोगों ने देखा। एक तरफ जहां राज्य सरकार ने कोविड-19 के अंतर्गत पुनः राज्य में संचालित स्कूल कॉलेज एवं शिक्षण संस्थानों को 15 जनवरी तक बंद रखने का आदेश दिया है तो फिर झारखंड राज्य में इस परीक्षा की अनुमति कैसे दी गई।

पासवा पदाधिकारियों ने कहा हम परीक्षा लिए जाने का विरोध नहीं करते बल्कि समर्थन करते हैं क्योंकि अगर,स्कूल ना खुले,पढ़ाई ना हो, परीक्षाएं ना हो तो बच्चों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा। कोरोना का भय दिखाकर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना कह़ी से भी उचित नहीं है।बच्चे मॉल, दुकान, पार्क, बाजार,धार्मिक स्थल, पिकनिक, खेल के मैदान, यातायात की सभी सुविधाओं में आना-जाना करते हैं ऐसे में सिर्फ स्कूल जाने से ही बच्चे संक्रमित हो जाएंगे यह सोचना ठीक नहीं है। राज्य में संचालित 47 हजार निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों के भविष्य को देखते हुए,वहां कार्यरत लाखों शिक्षकों कर्मचारियों के जीवन यापन को ध्यान में रखते हुए सरकार को स्कूल खोलने पर एक बार फिर से विचार करना चाहिए और किशोरों के टीकाकरण को शतप्रतिशत सफल करने के लिए निजी स्कूलों का सहयोग लाया जाना चाहिए।

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