बाहरी भा रहे हैं भाजपा को, कुतुबमिनार से कूदने की कसमें खाने वाले बाबूलाल मरांडी को भाजपा की जिम्मेवारी

Jharkhand झारखण्ड देश राजनीति

मुखर संवाद के लिये अशोक कुमार की रिपोर्ट-
रांची: भारतीय जनता पार्टी को अपने पुराने कार्यकर्ताओं के बजाय बाहर से आये नेताओं पर अधिक विश्वास दिखाई दे रहा है। भाजपा को बाहरी नेता इन दिनों काफी भा रहे हैं और उनमें अपने पुराने नेताओं की अपेक्षा अधिक मजबूती दिखाई दे रही है। भाजपा ने बडे़ संगठनात्मक बदलाव करते हुए चार राज्यों पंजाब, झारखंड तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के अध्यक्षों को बदल दिया है। नवनियुक्त भाजपा प्रदेश अध्यक्षों में तीन ऐसे हैं जो पहले किसी अन्य दल से जुड़े हुए थे। इसके साथ ही कभी तेलंगाना की केसीआर सरकार में मंत्री रहे ई. राजेंद्र को भाजपा की चुनाव प्रबंधन कमेटी का प्रमुख बनाया गया है। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरन कुमार रेड्डी को पार्टी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति का सदस्य बनाया गया है। इसके साथ ही झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी झारखंड और सुनील जाखड़ पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए हैं। नवनियुक्त भाजपा प्रदेश अध्यक्षों में तीन ऐसे हैं जो पहले किसी अन्य दल से जुड़े हुए थे।

पंजाब के नए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ महज साढ़े 13 महीने पहले भाजपा में आए हैं। सुनील जाखड़ के परिवार का कांग्रेस से 50 साल लंबा साथ था। खुद जाखड़ चार साल तक (2017 से 2021 तक) पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। सुनील जाखड़ 2012-2017 तक कांग्रेस नेता के तौर पर पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे हैं। जाखड़ साल 2002 में अबोहर विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधायक चुने गए। वह 2002-2017 तक अबोहर सीट से लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं। फिल्म अभिनेता और भाजपा सांसद विनोद खन्ना के निधन के बाद हुए गुरदासपुर लोकसभा सीट पर उप-चुनाव में सुनील जाखड़ ने कांग्रेस के टिकट पर जीते थे। सुनील जाखड़ के पिता डॉ. बलराम जाखड़ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। वह 10 साल तक लोकसभा अध्यक्ष भी रहे थे। बलराम जाखड़ को मध्य प्रदेश का राज्यपाल भी बनाया गया था। जाखड़ परिवार का पंजाब के अबोहर जिले में बड़ा राजनीतिक रसूख है और पड़ोस के जिलों में भी उनकी पकड़ मजबूत है। सुनील जाखड़ के भतीजे संदीप जाखड़ अभी भी कांग्रेस विधायक हैं। पंजाब में कांग्रेस का पर्याय रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह के पार्टी छोड़ने के बाद सुनील जाखड़ के पार्टी से नाता तोड़ते ही साफ हो गया था कि पंजाब में पार्टी का किला अब दरकने लगा है। कांग्रेस आलाकमान से नोटिस मिलने के कुछ दिनों बाद उन्होंने पिछले साल मई में कांग्रेस छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए।
डी. पुरंदेश्वरी को आंध्र प्रदेश भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। पुरंदेश्वरी नौ साल पहले भाजपा में आईं थीं। पुरंदेश्वरी आन्ध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी के संस्थापक एन टी रामाराव की बेटी हैं। उनकी शादी दग्गुबती वेंकटेश्वर राव से हुई, जो केन्द्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। टीएमसी और कांग्रेस में रहे वेंकटेश्वर 2019 के विधानसभा चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। पुरंदेश्वरी 2009 में कांग्रेस के टिकट पर विशाखापट्टनम लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुईं थीं। वह मनमोहन सरकार में राज्य मंत्री भी रहीं। हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था। 2014 में उन्होंने राजमपेट से बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन चुनाव हार गईं।

झारखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी को प्रदेश का नया भाजपा अध्यक्ष बनाया गया है। मरांडी ने 2020 में अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का विलय भाजपा में कर दिया था। मरांडी ने 2006 में भाजपा छोड़कर अपनी पार्टी बनाई थी। बाबूलाल मरांडी भाजपा में शामिल होने के पहले भाजपा में शामिल होने के सवाल पर मीडिया को कहा था कि वह कुतुबमिनार से कूदना पसंद करेंगें लेकिन भाजपा में नहीं जायेंगें। लेकिन वह भाजपा में शामिल भी हो गये और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनाये गये ताकि 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव जीता सकें। बाबूलाल मरांडी ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत भाजपा से की थी। वह कॉलेज के दिनों में ही आरएसएस से जुड़ गए थे। इसके बाद उन्हें झारखंड के विश्व हिंदू परिषद का संगठन सचिव भी बनाया गया था। साल 1991 में वह भाजपा के टिकट पर दुमका लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 1996 में वो फिर शिबू शोरेन से हार गए थे। 1998 के चुनाव में उन्होंने शिबू सोरेन को संथाल से हराकर आखिरकार चुनाव जीता, जिसके बाद एनडीए की सरकार में बिहार के चार सांसदों को कैबिनेट में जगह दी गई। इनमें से एक बाबूलाल मरांडी भी थे। वह 1998 से 2000 में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री थे। उन्होंने साल 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य बनने के बाद एनडीए के नेतृत्व में राज्य की पहली सरकार बनाई थी। उन्हें झारखंड के प्रमुख आदिवासी नेताओं में गिना जाता है।

भाजपा ने चार नए प्रदेश अध्यक्षों में जी. किशन रेड्डी इकलौते ऐसे नेता हैं जिनका पूरा करियर भाजपा का रहा है। मोदी सरकार में गृह राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे जी. किशन रेड्डी तेलंगाना ने अपना सियासी सफर 1977 में जनता पार्टी के युवा नेता के रूप में शुरू किया। 1980 में भाजपा के गठन के बाद वह पूर्णकालिक रूप से पार्टी में शामिल हो गये। उन्होंने आंध्र प्रदेश की भारतीय जनता युवा मोर्चा और भारतीय जनता पार्टी की इकाइयों में विभिन्न पदों पर काम किया है। रेड्डी 2002 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 2004 में पहली बार भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए। रेड्डी हिमायतनगर विधानसभा सीट से विधायक के रूप में चुने गए थे और 2009 और 2014 में अंबरपेट विधानसभा क्षेत्र से दोबारा चुनाव जीतकर आए। 2010 से 2014 तक वह आंध्र प्रदेश के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रहे। इसके बाद 2014 से 2016 तक, वह तेलंगाना के भाजपा राज्य अध्यक्ष रहे। 2016 से 2018 तक रेड्डी तेलंगाना विधानसभा में भाजपा के फ्लोर लीडर थे। 2019 से वह पहली बार तेलंगाना की सिकंदराबाद सीट से लोकसभा सांसद चुने गए। इसके बाद उन्हें केंद्र की मोदी सरकार में गृह राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई। 2021 से रेड्डी केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्री, संस्कृति मंत्री और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विकास मंत्री भी हैं।
कभी तेलंगाना की केसीआर सरकार में मंत्री रहे ई. राजेंद्र को भाजपा की चुनाव प्रबंधन कमेटी का प्रमुख बनाया गया है। राजेंद्र ने जून 2021 में भाजपा का दामन थामा था। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरन कुमार रेड्डी को भी पार्टी ने अहम जिम्मेदारी दी है। रेड्डी ने बीते अप्रैल में ही भाजपा का दामन थामा है। पार्टी ने उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति का सदस्य बनाया गया है। कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनाव जीतने के लिये बाहरी नेताओं पर अधिक भरोसा दिखाई दे रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *