भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रवीन्द्र राय ने हेमत सोरेन को कांग्रेस से किया सतर्क

Jharkhand झारखण्ड

गिरिडीह से संजय की रिपोर्टः-
गिरिडीहः भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रवीन्द्र राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कांग्रेस से सतक रहने की सलाह दी है। रवीन्द्र राय ने कहा है कि कां्रगेस छल और कपट से भरीहुई पार्टी है जिससे सावधान रहने की आवश्यकता है। हेमंत सोरेन को झारखंड की जनता के हित मंें काम करने के लिये बेहद ही चतुराई से कार्य करना होगा।
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद रवींद्र राय ने कहा कि झारखंड में सत्ता परिवर्तन हुआ है और उसके नेतृत्वकर्ता कांग्रेस की गिरफ्त में हैं। इसके साथ ही विदेशी विचारधारा का प्रभाव झारखंड की धरती और गलियों में दिखने लगा है। पटना में नरेंद्र मोदी की सभा में विस्फोट हुआ था और विस्फोट करने वाला विदेशी तत्व रांची में था। झारखंड सरकार भी विदेश तत्वों से सावधान रहे। हेमंत सरकार को शुभकामनाएं देता हूं, लेकिन भाजपा राष्ट्रीय मुद्दों पर कभी समझौता नहीं करेगी। उन्मादियों के दुष्प्रचार का जवाब देने के लिए जरूरत पड़ी, तो हम सड़क पर भी उतरेंगे। इस चुनाव में झामुमो, राजद और कांग्रेस गठबंधन की सरकार जरूर बन गई, लेकिन भाजपा की हार नहीं हुई है, बल्कि 90 प्रतिशत सीटों पर भाजपा का मत प्रतिशत तो पहले से और बढ़ा है। भाजपा को हराने के लिए कुछ सांप्रदायिक शक्तियों ने पूरी ताकत लगा दी थी। एनआरसी के दुष्प्रचार के कारण अंतिम फेज में भाजपा को नुकसान हुआ है। कुछ रूढ़ीवादी अल्पसंख्यकों ने एनआरसी और धारा 370 के खिलाफ वोट किया। लेकिन युवा, महिला और बुद्धिजीवी अल्पसंख्यकों ने भाजपा को वोट किया। भाजपा में कुछ कमियां जरूर थीं, जिसकी समीक्षा करेंगे और उसमें सुधार करेंगे। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद रवींद्र राय ने कहा भाजपा ने राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर हमेशा संवेदनशीलता का परिचय दिया है। उसी में से एक एनआरसी है। लेकिन देश का बड़ा दुर्भाग्य है कि धर्म को आधार बना कर एनआरसी का दुष्प्रचार कर लोगों को डराया और भड़काया जा रहा है। लेकिन ऐसा ही दुष्प्रचार उन्मादी ताकतें करती रहीं, तो भाजपाई भी सड़क पर उतरेंगे। सेमिनार व और सभाएं की जाएंगी। यह दुर्भाग्य है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, माकपा नेता वृंदा करात और अशोक गहलोत जैसे नेताओं ने नागरिकता कानून लाने के लिए लोकसभा, राज्यसभा और विभिन्न स्तरों पर मांग पत्र रखा। ऐसे शरणार्थियों को नागरिकता देकर उन्हें नारकीय जीवन से मुक्ति दिलाने की वकालत की, पर आज विडंबना है कि वे लोग ही उल्टा राग अलाप रहे हैं। यह उनके दोहरा चरित्र और दोगली नीति को प्रदर्शित करता है। महात्मा गांधी ने भी सितंबर 1947 में प्रार्थना सभा में कहा था कि विभाजन के बाद सर्वाधिक अमानवीय जीवन का मुकाबला दलित कर रहे हैं, इसलिए उन्हें भारत बुलाना चाहिए। पूर्व सांसद ने कहा कि 1947 से लेकर 2019 तक पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान से 50 लाख से अधिक हिंदू शरणार्थी भारत आने को मजबूर हुए, क्योंकि उनकी संपत्ति, बहू-बेटी की इज्जत लूट ली गई, वहां उनकी जान को खतरा था। आज भी पाकिस्तान से विस्थापित हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, शरणार्थी के रूप में लाखों लोग राजस्थान की सीमा पर नारकीय जीवन जी रहे हैं। भारतीय मूल के पारसी और ईसाईयों का भी मजहबी उन्मादियों ने जीना दूभर कर दिया तो वे हिंदुस्तान आए। जब बंटवारा हुआ, तो पाक में हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख अल्पसंख्यक 22 प्रतिशत थे। आज घट कर महज तीन प्रतिशत रहा गए हैं। बंगलादेश में अल्पसंख्यक 33 प्रतिशत थे, आज घट कर 8 प्रतिशत रह गए हैं। गुरुनानक देव का सबसे बड़ा कार्य क्षेत्र अफगानिस्तान में था, पर आज वहां महज 500 सिख ही रह गए हैं। भारतीय संस्कृति और भारतीय मूल के लोगों को दुनिया में कहीं जगह नहीं, तो क्या भारत में भी उनके साथ दुश्मनों की तरह व्यवहार किया जाएगा। फिर वे कहां जाएंगे, उनके सम्मान, संपत्ति और बहू-बेटी की रक्षा कौन करेगा और कहां होगा, इसका जवाब विरोधियों को देना होगा। वोट बैंक की राजनीति में भारत के मूल्यों को दफनाया नहीं जा सकता। सांप्रदायिक राजनीति के दबाव में 1947 से 2018 तक कुछ कलंक और पीड़ा रह गई थी, नरेंद्र मोदी ने भारतीय आत्मा की पुकार सुनी और उसे जड़ से खत्म कर दिया । इससे कुछ उम्नादी ताकतें बौखला गई हैं। नौजवानांे और बुद्धिजीवियों से उन्होंने अपील की कि चुनावी लाभ के लिए सांप्रदायिकता की राजनीतिक करने वाली कांगेस और वामपंथी दलों से वे सावधान रहें। देश की मान्यता और महत्व को बचाने के लिए आगे आएं। आनेवाले दिनेां में भाजपा के विरूद्ध झूठे प्रचार को लकर वह जनता के बीच जायेंगें ताकि सांप्रदायिक शक्तियों को पराजित किया जा सकें।

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