’मन करता है,प्रिये तुम्हारे अलकों पर जुगनू चिपका दूं। ’,संस्कार भारती रांची महानगर इकाई की ओर से कवि गोष्ठी सह बैठक का आयोजन

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मुखर संवाद के लिये शिल्पी यादव की रिपोर्टः-
रांची: संस्कार भारती रांची महानगर इकाई की ओर से कवि गोष्ठी सह बैठक का आयोजन संस्कार भारती के केंद्रीय कार्यालय के राष्ट्रीय मंत्री अशोक तिवारी जी के रांची प्रवास के दौरान आयोजित हुआ।दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
कवि सम्मेलन का आगाज़ उमेश चंद्र मिश्र की’ मन करता है प्रिये तुम्हारे अलकों पे जुगनू चिपका दूँ।’ से हुआ।अगले कवि के रूप में कर्म और सेवा को लेकर अशोक तिवारी जी ’हम कर्म गीत गाएंगे,सेवा के गीत गाएंगे,जिस ओर भी चल देंगें,मंजिल इक बनाएंगे’का संकल्प लाये।
सावन को लक्ष्य कर राजश्री जयंती की चाहत कुछ यूं आई’घड़ी घड़ी धड़के जिया,घर मेरे आजा पिया,सावन के दिन आयो’से शुरू हुई तो रजनी शर्मा ने ’कितने दिन सावन के यूँ ही गये बीत,याद तेरी आती है मन के मीत’को याद किया।अलबेले सावन पर मधुमिता ने’रिमझिम फुहारों से मौसम हसीन है ,चारों ओर छाई हरियाली से मौसम रंगीन हैं उस पर आया सावन अलबेला है’ से माहौल में रुमानियत ला दिया।

आये हम सब शरण तुम्हारी, शिवशंभु भोले भंडारी गाकर रंजना वर्मा उनमुक्त ने लोगों को झुमाया।
’कब छोटे से बड़ा हो गया,अपने पैरों पर खड़ा हो गया,पता ही नहीं चला का उलाहना सुशील अंकन ने दिया। इंदु पाराशर ने निर्गुण गीत की प्रस्तुति दी।शशिकला ने सुंदरगीत प्रस्तुत किया।इसके अलावा राकेश रमन ,रामानुज पाठक, जवाहरलाल ,आशुतोष प्रसाद एवं रागिनी ने भी अपनी रचनाओं को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के शुरुआत में मुख्य अतिथि अशोक तिवारी जी का स्वागत शशिकला एवं केबी सहाय ने अंगवस्त्र एवं बुके देकर सम्मानित किय। कार्यक्रम के आयोजन के दौरान लोगों ने मॉनसून के इस मौसम में बिना बारिष के ही खुद को लेागों ने नहाया हुआ महसूस किया।

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