महागठबंधन के अंदर महाखटपट , कांग्रेस के नेताओं में हेमंत सरकार के प्रति नाराजगी जगजाहिर हो रहा

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मुखर संवाद के लिये अशोक कुमार की रिपोर्टः-
रांची /गिरिडीह : कांग्रेस के चिन्तन शिविर में महरागठबंधन के लिये चिन्ता दिखाई दे रही है। हेमंत सोरेन की सरकार में भले ही सभी बातें सही दिख रही हों, अंदर ही अंदर हालात बेहद ही खराब है। कां्रगेस के नेताओं की नाराजगी अब खुलकर बाहर आ रही है। नेताओं की ओर से हेमंत सरकार के मंत्रियों और खुद सरकार के लिये ही बेहद ही नारालजगी के भ्ज्ञाव झलग रहे हैं। लंबे समय से बेरुखी का दंश झेल रहे कई कांग्रेस नेताओं को तो पारसनाथ के चिंतन शिविर के बहाने अपनी बात रखने का मौका मिल गया। कांग्रेस के पदेश संगठन पर इशारों-इशारों में हमला हुआ तो गठबंधन के खिलाफ जी भरकर राग अलापते नेताओं ने भविष्य में भी बेहतर स्थिति नहीं होने के संकेत दिए। मोर्चा पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने खोला। पार्टी नेताओं का नाम लिए बगैर उन्होंने सांकेतिक हमले किए तो गठबंधन पर खुलकर हमला बोला।सुबोधकांत सहाय ने गठबंधन सरकार को लेकर सवाल उठाते हुए पूछा कि इसके भविष्य के बारे में भी चिंतन पर बल दिया। सहाय ने अपनी पार्टी के किसी व्यक्ति का नाम लिए बगैर कहा कि हमें देखना होगा कि पिछले दो वर्ष के गठबंधन की सरकार में हम कहां खड़े हैं। इस दौरान न्यूनतम साझा कार्यक्रम नहीं बना और ना ही समन्वय समिति का गठन हो सका। इसकी जवाबदेही से राज्य में पार्टी का नेतृत्व कर रहे लोग बच तो नहीं सकते सहाय ने किसी का नाम नहीं लिया। सुबोधकांत इसके आगे भी अपनी बात रखते दिखे। सरकार की घोषणाएं एकतरफा हो रही हैं और इन घोषणाओं में कांग्रेस की कोई भागीदारी नहीं है। सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसे गठबंधन से हमारा संगठन और कमजोर होगा। उन्होंने कहा कि कल अगर समन्वय समिति बन भी जाए तो इसकी रूपरेखा क्या होगी। अगर यह बात हम तय कर सकें तभी कह सकेंगे कि सरकार हमारी है। ऐसा नहीं होने की स्थिति में ऐसे गठबंधन और समन्वय से हम 2024 का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

विधायक प्रदीय यादव ने सुबोधकांत सहाय की बातों को ही आगे बढ़ाया और कहा कि राज्य में अनुसूचित जनजाति आबादी (25-27 प्रतिशत) में सर्वाधिक संख्या लगभग 32 प्रतिशत संथालों की है लेकिन उनके बीच कांग्रेस बहुत कमजोर है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इसपर झामुमो का कब्जा है और हमें इस क्षेत्र को भी प्रतिनिधित्व देनी होगी। उन्होंने ओबीसी की बात करते हुए यह करने का आग्रह किया कि संगठन और सरकार में इस वर्ग को भी उचित प्रतिनिधित्व मिले। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास अभी सुनहरा मौका है। सत्ता के माध्यम से अपने कार्यों को जन-जन तक पहुंचाकर अपना जनाधार बढ़ा सकते हैं और केंद्र में भाजपा की सरकार के विरोध में संघर्ष करते हुए संगठन का विस्तार और मजबूती पर काम किया जा सकता है। प्रदीप यादव ने इस बात पर भी चिंता जताई कि कभी कांग्रेस का जनाधार रहा सामान्य वर्ग अभी हाथों से फिसल गया है तो युवाओं के बीच हमारी पैठ कमजोर है। प्रदीप यादव की इस नाराजगी को ेलकर अब कांग्रेस के आलाकमान से भी अवगत कराने की मंशा प्रदेश नेतृत्व ने जतायी है।

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