

मुखर संवाद के लिये अशोक कुमार की रिपोर्टः-
रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हफीजुल हसन को मंत्री तो बना दिया लेकिन उनको विधायक बनाने के लिये हेमंत सोरेन को मधुमक्ख्यिों के छत्ते से मधु निकालने को विवश होना पड़ेगा क्योंकि राजद ने महागठबंधन में अपनी दावेदारी करके झामुमो को मुश्किल में डाल दिया हंै। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूर्व दिवंगत मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के पुत्र हफीजुल हसन को मंत्री बनाकर अपना दांव चल दिया है। स्वर्गीय हाजी हुसैन अंसारी मधुपुर से चार बार झामुमो के टिकट पर प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। लेकिन राजपलिवार ने 2014 के विधानसभा चुनाव में हाजी हुसैन अंसारी को 6 हजार से ज्यादा मतों से हराया था। मुख्यमंत्री ने उनके बेटे को बिना विधायक बने हुए ही कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाकर यह स्पष्ट कर दिया कि मधुपुर में झामुमो की ओर से हजीजुल हसन को ही प्रत्याशी बनाया जायेगा। इस फैसले से हेमंत सोरेन मधुपुर में मनोवैज्ञानिक जीत चुनाव के पहले ही हासिल करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और हजीजुल हसन के लिये मधुपुर से जीत दर्ज करना लोहे के चना चबाने जैसा ही दिखाई दे रहा है। झामुमो जहां अपनी अल्पसंख्यक छवि और वोटबैंक के सहारे दांव चल रहा है। मधुपुर चुनावी समर की सबसे बड़ी बात यह है कि यहां अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की संख्या काफी अधिक है जो जातीय समीकरण के तहत झामुमो की ओर झुकाव रखते हैं। वहीं भाजपा की ओर से हिन्दूत्व कार्ड खेलकर मधुपुर से सत्ता का मधु पाने की पूरी जुगत लगाये हुए है। इसके साथ ही 2019 के विधानसभा चुनाव में अलग रहा आजसू को भी साथ लेने की मंशा भाजपा ने पाली है। वहीं मधुपुर सीट पर आजसू की ओर से भी जोरदार दावेदारी की जा रही है। भले ही मुख्यमंत्री ने मनोवैज्ञानिक जीत दर्ज करने के लिये हजीजुल हसन को मंत्री बना दिया हो लेकिन उनकी राहें केवल बीजेपी की ओर से ही नहीं रोकी जायेगी बल्कि उनके ही सरकार में शामिल महागठबंधन का घटक दल राजद रोकने के लिये तैयार बैठा हुआ है। राजद की ओर से प्रत्याशी मधुपुर उपचुनाव में झामुमो के हजीजुल हसन के विरूद्ध उतरेगा। राजद फिलहाल झारखंड कांग्रेस के एक कद्दावर नेता को चुनाव में उतारने पर विचार कर रहा है जिसका मधुपुर में काफी प्रभाव है। और जिसके प्रत्याशी बनने के साथ ही हफीजुल हसन की उपचुनाव में हार तय हो जायेगी। वहीं यह नेता फिलहाल कांग्रेस से नाराज चल रहा है। वहीं राजद की ओर से एक यादव नेता के नाम पर भी विचार चल रहा है जिसका मधुपुर में काफी प्रभाव है।
मधुपुर विधानसभा क्षेत्र की कुल आबादी 5,52,413 है जिसमें 2,82,634 पुरुष मतदाता हैं वहीं 2,69,779 महिलाओं की संख्या है। मधुपुर में सबसे अधिक मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 87 हजार है और यादव मतदाता भी लगभग 40 हजार हैं। 25 हजार चन्द्रवंशी मतदाता भी निर्णायक स्थिति में हैं। इसी समीकरण को ध्यान में रखकर बीजेपी भी रणनीति बना रही है। वहीं राजद फिलहाल माई समीकरण पर ध्यान केन्द्रित किये हुए है। राजद की ओर से प्रत्याशी उतारने पर राजद की जीत तो तय नहंी दिखाई देती है लेकिन झामुमो की हार तय हो जायेगी। हेमंत सरकार से नाराजगी को लेकर राजद उपचुनाव में महागठबंधन को अपनी ताकत दिखाने की मंशा पाले हुए है जिसके लिये राजद के राष्ट्रीय नेतृत्व की सहमति राजद का प्रदेश नेतृत्व ले रहा है। मधुपुर का चुनावी समीकरण पूरी तरह से मुस्लिम मतदाताओं पर निर्भर करता है । यदि मुस्लिमों मतदाता बंटें तो बीजेपी की जीत तय होगी और मुस्लिम-यादव समीकरण कामयाब हुआ तो राजद बढ़त में होगा। लेकिन मधुपुर का समीकरण चुनाव की तिथि नजदीक आने पर ही दिखाई देगा और प्रत्याशियों पर निर्भर करेगा। फिलहाल झामुमो को राजद की नाराजगी उसे भारी पड़ सकती है। मंत्री बनाये गये हफीजुल हसन को राजद की नाराजगी चुनाव में काफी नुकसान पहुंचा सकती है और उनकी आगे की राहें मुश्किल हो सकती हैं। विधानसभा उपचुनाव में यदि सत्ता पक्ष एकजुट रहा तो भाजपा की राह आसान नहीं रह जायेगी। वहीं, अगर सत्ता पक्ष बंटा रहा तो इसका सीधा लाभ भाजपा को मिलना तय माना जा रहा है।
