

पटना से अरविन्द यादव की रिपोर्टः-
पटना: बिहार का विधानसभा चुनाव इसी वर्ष होना है और राजद में पार्टी के दो बड़े नेताओं के बीच हुआ विवाद गहराता जा रहा है जिसकेे कारण लालू प्रसाद यादव के लिये परेशानी हो सकती है। लालू प्रसाद यादव फिलहाल झारखंड में मिली महागठबंधन को मिली जीत से उत्साहित हैं और ऐसे में बिहार राजद में खिंचतान पार्टी के लिये परेशानी का सबब बन सकती है। विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल के दो बड़े स्तंभों व सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के दो विश्वासपात्र नेताओं के बीच ठन गई है। आरजेडी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखकर प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं तथा सुझाव दिए हैं। साथ ही अपने बयान में जगदानंद सिंह की आलोचना की है। इसपर प्रतिक्रिया देते हुए जगदानंद सिंह ने कहा कि ऐसे पत्रों को वे तवज्जो नहीं देते, ऐसे सुझाव आते रहते हैं। यह पार्टी का अंदरूनी मामला है। इसपर रघुवंश प्रसाद सिंह ने फिर पलटवार किया है। उन्होंने जगदानंद सिंह हमला करते हुए कहा कि वे जयकारा टीम के सदस्य नहीं, वे पार्टी हित में बोलते हैं।
जैसा की मालूम हो कि जगदानंद सिंह ने कहा था कि लालू प्रसाद यादव महागठबंधन के समन्यवयक हैं और तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री चेहरा, इसमें कोइ विवाद नहीं। जगदानंद सिंह के इस बयान पर विकासशील इंसान पार्टी को छोड़कर महागठबंधन के घटक दलों ने आपत्ति दर्ज की। उन्होंने महागठबंधन की समन्यव समिति के गठन की मांग करते हुए कहा कि ये बातें समन्वय समिति की बैठक में तय की जानी चाहिए। रघंवंश प्रसाद सिंह ने जगदानंद के उक्त बयान की आलोचना की है। साथ ही उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। जगदानंद सिंह के बीते दिनों के बयान की बाबत पूछे जाने पर रघुवंश ने कहा कि इस तरह की भाषा की कोई जरूरत नहीं है। तेजस्वी यादव नेता प्रतिपक्ष हैं। विधानसभा में सबसे बड़े दल के 81 विधायकों के शीर्ष नेता हैं। हमें किसी से प्रमाण पत्र लेने की जरूरत नहीं है। चुनाव से पहले सहयोगी दल अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए बढ़-चढ़ कर दावे करते हैं, जिसे गलत नहीं कहा जा सकता है। किंतु सबसे बड़े दल होकर हम भी उन्हीं की तरह बोलने लगें तो बात कैसे बनेगी?दरअसल, डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह के खफा होने की एक वजह और है। इसके लिए उन्होंने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद को पत्र भी लिखा है, जिसमें संगठन की कमजोरियों पर सवाल खड़े किए गए हैं। उन्होंने पत्र की कॉपी जगदानंद सिंह को भी भेजी है, जिसमें कहा गया है कि विधानसभा चुनाव के अब मात्र तीन सौ दिन बचे हैं। किंतु आरजेडी के पदाधिकारियों का चयन अभी तक नहीं हो सका है। इसके चलते आंदोलन पर असर पड़ रहा है। उन्होंने लिखा है कि संगठनात्मक चुनाव के महीना भर से ज्यादा बीत गया, किंतु पार्टी की कमेटियां नहीं बनी हैं। रघुवंश ने सलाह दी है कि संगठन को जल्द से जल्द खड़ा करके ज्वलंत समस्याओं पर आंदोलन शुरू करने की जरूरत है। रघुवंश ने कहा कि पार्टी का वफादार सिपाही होने के नाते उनका फर्ज है कि जो उचित हो वह शीर्ष नेतृत्व को बताएं। प्रतिद्वंद्वी दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं और हम अभी तक बेकार बैठे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जल-जीवन-हरियाली यात्रा पूरी कर ली। किंतु हम सुस्त हैं। संगठन की कमजोरी से जूझ रहे हैं।रघुवंश प्रसाद सिंह के पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए रविवार को जगदानंद सिंह ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि ऐसे पत्र को वे तवज्जो नहीं देते। सुझाव आते रहते हैं। यह पार्टी का अंदरूनी मामला है। अपने पत्र पर जगदानंद सिंह की प्रतिक्रिया पर रघुवंश प्रसाद सिंह ने फिर पलटवार किया। उन्होंने जगदानंद सिंह पर निशाना साधते हुए हुए कहा कि वे जयकारा टीम के सदस्य नहीं, वे पार्टी हित में बोलते हैं। उन्होंने अपनी बात रख दी है।बहरहाल, आरजेडी में लालू प्रसाद यादव के दो स्तंभ आपस में भिड़ गए हैं। इससे पार्टी में हड़कम्प मच गया है। इसपर पार्टी के नेता मृत्युंजय तिवारी ने सफाई दी है कि यही तो आरजेडी की खूबसूरती है कि इसमें सभी अपनी राय दे सकते हैं।
