

मुखर संवाद के लिये अशोक कुमार की रिपोर्टः-
रांची: 10 हजार अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मियों की हड़ताल की हड़ताल जारी रहने से राज्य में कोरोना का संक्रमण से निपटने की रफ्तर में कमी आने की संभावना है। झारखंड में कोरोना चरम पर हैऔर कल रिकाॅर्ड 1060 मरीज मिले। 13 लोगों की जान भी गई। झारखंड अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मी संघ का कहना है कि राज्य सरकार हड़ताल खत्म करने के लिए कोई पहल नहीं कर रही है। अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मियों की हड़ताल की वजह से कोविड सैंपल जांच में भी कमी आ गई है। प्रतिदिन जहां साढ़े 8 हजार कोविड टेस्ट होते थे, वहीं कल केवल 5 हजार कोरोना के टेस्ट हुए। कोरोना काल में सैंपल लेने से रिपोर्टिंग तक की जिम्मेदारी अनुबंधित पारा मेडिकल कर्मी ही संभाल रहे हैं। हड़ताल पर जाने वालों में 750 लैब टेक्नीशियन भी हैं। ऐसे में अब कोरोना की जांच प्रभावित हो रही है। हड़ताल में एएनएम, जीएनएम, लैब टेक्नीशियन और पारा मेडिकल स्टाफ शामिल हैं। इस बीच स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ. नितिन कुलकर्णी ने आपदा के समय स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल को अनुचित करार दिया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर अनुबंधित स्वास्थ्यकर्मियों ने हड़ताल वापस नहीं ली तो सरकार उनके खिलाफ कोई ठोस कदम उठा सकती है। कोविड-19 को केंद्र सरकार ने आपदा घोषित कर रखा है। आपदा की इस घड़ी में हड़ताल पर जाना सही नहीं है। आपदा प्रबंधन एक्ट-2005 की धारा 51 से 60 तक में जो प्रावधान हैं, उसके अनुसार इस हड़ताल को आपराधिक मामला माना जा सकता है।
