
रांची से अशोक कुमार की रिपोर्ट:-
रांची: झारखंड की राजधानी रांची पूरे देश में बदनामी के दौर से गुजर रही है। रांची में रेड जोन होने के वावजूद भी हिन्दपीढ़ी के इलाके में सीआरपीएफ पर पथराव से अब हिन्दपीढ़ी को सेना के हवाले करने की मांग उठने लगी है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम है कि जिस तरह से हेमंत सरकार की विफलता लाॅक डाउन में हिन्दपीढ़ी के कारण हो रहा है। हेमतं सरकार की विरोधी और विपक्षी पार्टी के नेता अब हिन्दपीढ़ी को सेना के हवाले करने की भी बातें करने लगे हैं। वहीं हिन्दपीढ़ी इलाके में हमेशा ही विवादों में रहनेवाले मोहम्मद असलम बार-बार हिन्दपीढ़ी की कानून-व्यवस्था के लिये खतरा बन चुके हैं। डीजीपी महोदय खुद पत्रकारों से हिन्दपीढ़ी में सफाईकर्मियो ंसे दवूयवहार करनेवालों को खेजने की चुनौती देते नहीं थकते और अब जब हिन्दपीढ़ी में पथराव के सबूत पुलिस के पास आये तो अब कार्रवाई करने के लिये जांच की बात पुलिस की ओर से की जा रही है। राजधानी रांची का कोरोना संक्रमित हॉटस्पॉट क्षेत्र हिंदपीढ़ी में शनिवार की रात जमकर बवाल हुआ। एक घटना के बाद हिन्दपीढ़ी में भीड़ अनियंत्रित हो गई और क्षेत्र में तैनात सुरक्षा बलों को निशाना कर पत्थर चलाने लगी। पूर्व पार्षद मोहम्मद असलम व सीआरपीएफ के जवानों के बीच हल्के विवाद के बाद बिगड़ा था। अनियंत्रित भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और जवानों को बल प्रयोग करना पड़ा। पुलिस की ओर से स्थिति को नियंत्रण के लिए भीड़ पर पर आंसू गैस के गोले और रबर बुलेट भी चलाए गए। कुछ समय के लिए हिंदपीढ़ी का थर्ड स्ट्रीट, माली टोला, ग्वाला टोली आदि इलाका रणक्षेत्र बना हुआ था। हिन्दपीढ़ी के कुछ लोग पारंपरिक हथियार के साथ भी घरों से बाहर निकले हुए थे। इस पूरी घटना में दोनों तरफ से करीब दर्जनभर लोगों को हल्की चोटें आई हैं। करीब तीन घंटे के बवाल के बाद रात करीब साढ़े नौ बजे हिंदपीढ़ी में स्थिति नियंत्रित हुई। इस पूरे घटनाक्रम की जांच शुरू हो गई है। जहां-तहां लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज को खंगाला जा रहा है, ताकि दोषियों के विरुद्ध विधि-सम्मत कार्रवाई हो सके। घटना की गंभीरता को देखते हुए आइजी नवीन कुमार सिंह, डीआइजी अखिलेश झा, डीसी राय महिमापत रे व एसएसपी अनीश गुप्ता देर रात तक घटनास्थल पर कैंप करते दिखे। आइजी ने बताया कि स्थिति अब नियंत्रण में है, किसी को कोई चोट नहीं है। जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी। फिलहाल हिन्दपीढ़ी के इलाके में अतिरिक्त बल तैनात कर दिया गया है।
पूर्व पार्षद असलम के अनुसार , शाम करीब छह बजे वे अपने भाई के साथ बाहर निकले थे। इसी बीच हिंदपीढ़ी में बैरियर के पास तैनात सीआरपीएफ के जवानों से उनका विवाद हो गया। उनका आरोप है कि सीआरपीएफ के जवान इफ्तार के लिए निकलने वाले लोगों को गालियां भी देते हैैं। जब विवाद हुआ तो जवानों ने उन्हें गाली दे दी। अभी कहा-सुनी हो ही रही थी कि वहां तैनात सीआरपीएफ के जवानों ने उनपर लाठियां बरसानी शुरू कर दी। इसमें उनके हाथ आदि में चोट आई हैं। इस घटना की खबर जब मुहल्ले में पहुंची तो लोगों ने जमा होकर इसका विरोध किया। इसके बाद मौके पर रांची पुलिस-प्रशासन के अधिकारी पहुंचे तो स्थिति नियंत्रित हुई। मोहम्मद असलम ने रांची प्रशासन का धन्यवाद दिया और अपने समर्थकों से सोशल मीडिया पर अफवाह नहीं फैलाने की अपील की। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि बाहरी बल को हिंदपीढ़ी से हटाया जाय। हिंदपीढ़ी के लोग अमन पसंद हैं और बिना बल के भी वे शांति-व्यवस्था कायम कर लेंगे। रांची पुलिस-प्रशासन का कहना है कि पूर्व पार्षद व सीआरपीएफ के बीच हल्का विवाद हुआ था। लॉकडाउन का उल्लंघन न हो, इसके लिए सख्ती बरती गई तो विवाद बढ़ा। इसके बाद पुलिस पर कुछ लोगों ने पथराव शुरू कर दिया। बचाव में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले व रबर बुलेट छोडने पड़े। रांची जिला जनसंपर्क कार्यालय के अनुसार इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है, हिंदपीरी में स्थिति अब सामान्य है। मामले की जांच की जा रही है। दोषियों की जल्द पहचान कर ली जाएगी। एडीजी ऑपरेशन एमएल मीना के अनुसार यहां सीआरपीएफ के साथ किसी स्थानीय नेता की बहस हो गई। आरोप है कि सीआरपीएफ जवानों ने इसके बाद उस नेता की पिटाई कर दी। इसके बाद हंगामा बढ़ गया। मौके पर बड़ी संख्या में भीड़ जमा हो गई। इसके बाद सीआरपीएफ जवानों पर पथराव शुरू हो गया।
हिन्दपीढ़ी में कानून-व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं और इसके साथ ही पूर्व पार्षद मोहम्मद असलम की भूमिका पर भी सवाल खड़े होन ेलगे हैं। मोहम्मद असलम हमेशा ही हिन्दपीढ़ी के इलाके में शांति के लिये खतरनाक बन चुके हैं। मोहम्म्द असलम झारखंड पुलिस की तैनाती पर भी बवाल कर चुके है। मोहम्मद असलम ने ही सफाईकर्मियों से मारपीट की थी जिसके बाद सफाईकर्मियों ने हिन्दपीढ़ी इलाके में हड़ताल कर दी थी। मोहम्मद असलम लाॅक डाउन में कानून को हाथ में लेते हुए भीड़ जमाकर फेसबुक लाइव करते हुए देख्ेा गये जिसके बाद पुलिस की उन पर मेहरबानी के भी आरोप लग रहे हैं।
इस घटना के बाद हेमंत सोरेन की सरकार पर भाजपा के आला नेताअेां ने एक खास मुहल्ले और एक खास समुदाय की तुष्टिकरण के आरोप लगाये हैं। प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा है कि कानून व्यवस्था से उपर कोई नहीं हो सकता है आसैर हेमंत सरकार को अर्द्धसैनिक बलो के मनोबल को तोड़ना नहीं चाहिये। किसी कीमत पर भी हिन्दपीढ़ी में कानून-व्यवस्था सुनिष्चित होनी चाहिये। वही प्रदेश प्रवक्ता प्रतुलनाथ शाहदेव ने कहा है कि तुष्टिकरण की राजनीति के कारण ही हिन्दपीढ़ी के इलाके में कानून-व्यवस्था की लचर स्थिति हुई है। एक मुहल्ले की तुष्टिकरण के कारण ही हेमंत सरकार में अपराधियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है। अधिकारियों को कानून-व्यवस्था को तोड़नेवालों को चिन्हित करना चाहिये। भाजपा विधायक और प्रदेश महामंत्री अनंत ओझा ने कहा है कि अधिकारियों को कानून-व्यवस्था को दुरूस्त करते हुए किसी भी कीमत पर कानून का शासन हिन्दपीढ़ी के इलाके में कायम करना चाहिये।
इन सबके वावजूद बार-बार घटनाओं को अंजाम देने के वावजूद भी मोहम्मद असलम की गिरफ्तारी नहीं होने पर सवाल खड़ा हो रहा है। अब तो पुलिस के महानिदेशक महोदय के पास सबूत होने के वावजूद हिन्दपीढ़ी को अशांत करनेवाले लोगों पर कार्रवाई नहीं होने पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
