
मुखर संवाद के लिये आकांक्षा यादव की रिपोर्टः-
नयी दिल्ली : झारखंड की उपेक्षा हमेशा ही केन्द्र सकरार करते आ रही है। कोरोना संकट के बाद रेलवे की ओर से शूरू की गयी 200 रेलगाड़िायों में से केवल एक ही रेलगाड़ी दी है। कोरोना संकट के बीच रेलवे ने एक जून से देश में 200 यात्री ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया है. इनमें से 23 ट्रेनें बिहार को मिली हैं, जबकि झारखंड को सिर्फ एक ट्रेन मिली है. बिहार को मिली पटना-रांची जनशताब्दी एक्सप्रेस रांची आयेगी. वहीं, झारखंड को मिली एक मात्र ट्रेन टाटानगर-दानापुर एक्सप्रेस टाटानगर से खुलती है. झारखंड के यात्री इस बात से नाराज हैं. दोनों ट्रेन के लिए गुरुवार को ऑनलाइन बुकिंग शुरू करने की बात कही गयी थी, लेकिन जब आइआरसीटीसी की वेबसाइट पर बुकिंग प्रक्रिया शुरू की गयी, तो बताया गया कि ट्रेन के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. लोग घंटों आइआरसीटीसी की बेवसाइट पर लॉगइन करते रहे, लेकिन सफलता नहीं मिली. इधर, झारखंड पैसेंजर्स एसोसिएशन के प्रदेश सचिव प्रेम कटारूका ने कहा है कि झारखंड रेलवे को करीब 25 हजार करोड़ राजस्व देता है, लेकिन राज्य की जनता की हमेशा अनदेखी की जा रही है. सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने रेल मंत्री से मांग की है कि मुरी व लोहरदगा से प्रतिदिन दो ट्रेनें चलायी जाये।
