लाॅक डाउन का खुद मुख्यमंत्री के भाई कर रहे हैं उल्लंघन, लाॅक डाउन में भी दुमका उपचुनाव की बैठक की झामुमो नेता बसंत सोरेन ने

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दुमका से संथाल व्यूरो और रांची से अशोक कुमार की रिपोर्टः-

दुमका/ रांची: जब सैंया हुए कोतवाल तो अब डर काहें का। और जब भैया हुए मुख्यमंत्री तो लाॅकडाउन काहें का। जी हां, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद राज्य की जनता को कानून का पालन करते हुए लाॅक डाउन का पालन करने का पाठ पढ़ा रहे हैं। तो वहीं सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन कानून को ठेंगें पर रखते हुए लाॅक डाउन को तोड़कर कानून के रखवालों को उनकी हदों में रहने की सीख भी दे रहे हैं। हेमंत सोरेन खुद राज्य की जनता से लाॅकडाउन का पालन करते हुए कोरोना संक्रमण के दौर में झारखंड की जनता की बेहतरी के लिये अपील करते हुए आपकों टेलीविजन के विज्ञापनों में दिख रहे हैं। और अखबारों में एक एक- पन्ने के विज्ञाापनों में दिख जाते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दुमका के खजुरिया स्थित आवास में लाॅक डाउन टूट जाता है और दुमका के एसपी, उपायुक्त और बड़े -बड़े पुलिस अधिकारी मौन बने हुए है। दुमका की उपायुक्त बी. राजेश्वरी कलतक पत्राकारों पर रौब दिखाकर उनकों पत्रकारिता करने का दायरा समझज्ञ रही थी लेकिन उनकी हैसियत नहीं हैं कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन को लाॅकडाउन का कानून समझा पायें। उपायुक्त् की हेकड़ी धरी की धरी रह गयी जब दुमका के खजुरिया में बसंत सोरेन ने झामुमो किे कार्यक्र्ताओं को बुलाकर उपचुनराव की तैयारी के संबेध में जायजा लेते हुए समीक्षा बैठक की। बी. राजेश्वरी पत्रकारों को धमकी देती है और उनको कानून का पाठ पढ़ाती है लेकिन अब मैडम का पाला जब मुख्यमंत्री हेमंमत सोरेन के छोटे भाई और झामुमो के युवराज बसंत सोरेन से पड़ा तो उनकी सारी हेकड़ी धरी की धरी रह गयी है। अभी तक मुखर संवाद के काॅल का जवाब उपायुक्त् महोदसया ने नहीं दिया कि इस घटना पर कानूनी कार्रवाई होगी या नहीं ?
लगे हाथ भाजपा की नेत्री और पूर्व मंत्री डॉक्टर लुईस मरांडी ने सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि क्या लॉकडाउन व सोशल डिस्टेंसिंग नियम का पालन क्या सिर्फ गरीब जनता के लिए है या राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व उनके परिवारजनों पर भी लागू होता है। झामुमो छात्र मोर्चा के अध्यक्ष बसंत सोरेन द्वारा दुमका स्थित खजुरिया आवास में बैठक करते हुए तस्वीर जारी की है और मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि लॉकडाउन में कैसे भीड़ इकट्ठा किया जा सकता है और बैठक आयोजित की जा सकती है। यह लॉकडाउन के नियमों का सरासर उल्लंघन है। बैठक की अनुमति कौन दिया इसकी भी जांच होनी चाहिए। लुईस मरांडी ने कहा कि एक तरफ जिला प्रशासन उन्हें क्षेत्र में किसी भी प्रकार की गतिविधि करने से मना कर दिया है वहीं मुख्यमंत्री के भाई और झामुमो के नेता लगातार क्षेत्र में घूम रहे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन कर रहे हैं। उन्होंने कहां की मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए की लॉकडाउन कि इस अवधि में उनके भाई रांची से बोकारो, बोकारो से बिना किसी परमिशन के 300 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर दुमका कैसे पहुंचते हैं? और यदि उन्हें सक्षम स्तर से अनुमति प्राप्त भी हो तो किस विशेष कारण से उन्हें दुमका आने की अनुमति प्रदान की गई?
वहीं झामुमो की ओर से संभावित प्रत्याशी और मुख्यमंत्री के भाई बसंत सोरेन ने किसी भी प्रकार के अपने आवास में बैठक आयोजित किए जाने से इनकार करते हुए कहा कि गांव से कुछ लोग सुबह-सुबह उनसे मिलने आ गए थे इसलिए वे ग्रामीणों की समस्या सुन रहे थे। बैठक या किसी भी प्रकार की सभा उनके द्वारा नहीं बुलाई गई थी। विपक्षी भाजपा बेवजह इसे राजनीतिक रंग दे रही है। बसंत ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए हमें राजनीति से ऊपर उठकर सामूहिक तरीके से काम करने की जरूरत है। बसंत ने कहा कि ग्रामीणों ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा राहत के तौर पर चलाए जा रहे खाद्यान्न वितरण और सामुदायिक किचन सुदूरवर्ती गांव में बेहतर तरीके से चल रहा है। लेकिन खजुरिया में चल रही बैठक को किसी तरह से मुलाकात नहीं कहा जा सकता है क्योंकि तस्वीरें खुद बयां करती है अपना हाल और यह कह सकते हें कि कानून तो सभी के लिये बराबीर होना चाहिये चाहे आम हो या खास। मुखर संवाद की नजर में यह कह सकते हैं कि इस मुद्दे पर बिना जांच के राज्य सरकार को अपना कदम नहीं रोकना चाहिये क्योंकि सवाल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भी खड़ा होगा जो जांच होने के बाद ही समाप्त हो पायेंगा।

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