लोजपा की संसदीय बोर्ड ने 143 सीटों पर बिहार में चुनावी तैयारी करने के दिये संकेत, जदयू के सभी प्रत्याषियों के विरूद्ध उतारेगा प्रत्याशी

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पटना से मनोहर यादव की रिपोर्टः-
पटना: एनडीए गठबंधन में सबकुछ अच्छा नहीं चल रहा है। एनडीए में जदयू और लोजपा की आग में भाजपा भी पिसती हुई नजर आ रही है। वहीं जीतनराम मांझाी की पार्टी हम इन दोनंों की राजनीतिक लड़ाई में त्रिकोणीय लड़ाई बना रही हैै। लोजपा के बिहार संसदीय बोर्ड की दिल्ली में आज हुई बैठक में यह आवाज प्रमुखता से उठी कि विधानसभा चुनाव में पार्टी को 143 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने चाहिए। लोजपा अब तक 119 सीटों के लिए प्रत्याशियों के साथ बात कर रही थी। संसदीय बोर्ड के सदस्यों ने जदयू के खिलाफ तल्ख रवैया अपनाए रखा। यह कहा गया कि अगर जरूरत पड़े तो लोजपा को जदयू के खिलाफ भी प्रत्याशी उतारने से परहेज नहीं करना चाहिए। लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को राज्य संसदीय बोर्ड ने इसके लिए अधिकृत कर दिया है। चिराग ने वैसे इस पर कुछ खुलकर नहीं कहा पर उन्होंने यह जरूर कहा कि अभी इस तरह का फैसला लिए जाने का समय नहीं। वैसे किसी भी परिस्थिति में चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहें। लोजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में जीतन राम मांझी के उन वक्तव्यों पर भी चर्चा हुई जिसके तहत उन्होंने चिराग पासवान को मुख्यमंत्री के खिलाफ नहीं बोलने की नसीहत दी थी। चिराग पासवान ने अपने पार्टी के नेताओं को कहा कि मांझी के खिलाफ कोई बयान नहीं दें। बिहार के बारे में सच बोलने से वह पीछे नहीं हटने वाले हैं। लोजपा संसदीय बोर्ड को चिराग ने कहा कि पार्टी चुनाव को ले अगले हफ्ते पार्टी के सांसदों के साथ फिर से बैठक करेंगे। इसके बाद पदाधिकारियों के साथ बैठक कर आगे कोई निर्णय करेंगे। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लोजपा प्रमुख चिराग पासवान की राजनीति खत्म करने के प्रयास का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि नीतीश इसीलिए जीतनराम मांझी की पार्टी से लगातार बयानबाजी करा रहे हैं। पोस्टर और पत्र जारी करा रहे हैं। तेजस्वी ने कहा कि इस बार बिहार में नीतीश कुमार कोई फैक्टर नहीं हैं। हमारी लड़ाई भाजपा से है। हमारा सीधा मुकाबला है। उन्होंने कहा कि जदयू अगर अकेले चुनाव लड़े तो उसकी जमानत जब्त हो जाएगी। तेजस्वी ने कहा कि एक बार जदयू अकेले चुनाव लड़कर देख चुका है। तेजस्वी यादव ने कहा है कि नीतिश कुमार दलित राजनीति के पेंच में राजनेताओं को फंसाने में लगे हुए हैं और वे किसी भी कीमत पर दलित की राजनीति को आगे बढ़ने देने से रोकना चाहते हैं।

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