विधानसभा चुनाव के कारण नये मोटरवाहन कानून में पड़ सकती है नरमी

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रांची: झारखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक होने के कारण सरकार पर जनता का दबाव बढ़ने से नये मोटरवाहन कानून को लेकर विचार होना शुरू हरो यगा है। परिवहन मंत्री सीपी सिंह के निर्देश के बाद विभाग के अधिकारियों ने नए ट्रैफिक नियमों के तहत हो रही कार्रवाई के बीच राहत का रास्ता निकालने के लिए नए मोटरयान अधिनियम 2019 का बुधवार से अध्ययन शुरू कर दिया है। उम्मीद की जा रही है कि एक हफ्ते तक कोई रास्ता निकलेगा। सूत्रों के अनुसार परिवहन विभाग आम लोगों को तीन तरह से राहत देने के लिए अध्ययन कर रहा है। पहला, यह देखा जा रहा है कि लोगों को जागरूक करने, ड्राइविंग लाइसेंस, इंश्योरेंस, प्रदूषण जांच के लिए मोहलत दी जा सकती है या नहीं। दूसरा, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश और अब महाराष्ट्र में किस प्रावधान के तहत नया कानून लागू नहीं किया गया है। तीसरा, विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राजस्थान सरकार ने ट्रैफिक चालान में जुर्माने की राशि को घटा तो दिया, लेकिन सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अधिनियम में बदलाव को नियम सम्मत नहीं बताया है। इस स्थिति में राज्य के आम लोगों को राहत देने के लिए ऐसे प्रावधानों का अध्ययन किया जा रहा है, जिसमें जुर्माना राशि न्यूनतम से अधिकतम की सीमा में है। ऐसे जुर्माने को न्यूनतम पर निर्धारित किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि मंत्री सिंह ने मंगलवार को हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान कहा था कि सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाकर लोगों की जान बचाने के लिए ट्रैफिक चालान की राशि बढ़ायी गई है, लेकिन नए प्रावधान को झारखंड में लागू करने में जल्दबाजी प्रतीत हुई है। उन्होंने लोगों को जागरूक करने के लिए मोहलत देने पर जोर दिया है। बिना हेलमेट बाइक चलाने पर एक हजार, वाहन का प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र नहीं होने पर दो हजार और बिना ड्राइविंग लाइसेंस धरे गए तो पांच हजार रुपये का जुर्माना सहित अन्य कई प्रावधान नए मोटरयान अधिनियम 2019 में किए गए हैं। नया ट्रैफिक नियम एक सितंबर से लागू है। तभी से भारी-भरकम जुर्माना लगाने पर पब्लिक और ट्रैफिक पुलिस के बीच विवाद गहराने लगा है। जरूरत पर कैबिनेट से ली जाएगी मंजूरी विभाग के सूत्रों के अनुसार ट्रैफिक चालान में राहत का प्रस्ताव जरूरत पड़ने पर कैबिनेट में भी रखा जा सकता है। विभाग ऐसे सभी पहलुओं पर मंथन कर रहा है, ताकि कदम बढ़ा कर प्रस्ताव वापस लेने की नौबत न बन जाए।

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