शहरी विकास के तर्ज पर गांवों का विकास होना चाहिये: डॉक्टर दिनेश उरांव

Jharkhand झारखण्ड देश

रिपोर्टः- अशोक कुमार


झारखंड विधानसभा के स्पीकर डॉक्टर दिनेश उरांव

रांचीः शहरों की तर्ज पर गांवों का विकास होना चाहिये। गांवों को छोड़कर लोग शहरों की ओर रूख कर रहे हैं। आज भी गांवों का वातावरण प्राकृतिक रूप से शुद्ध है तथा वहां पर मनुष्य के मौलिक संस्कार भी जीवित हैं किन्तु विकास की गति बहुत धीमी है। डॉक्टर दिनेश उरांव ने युगांडा में चल रहे 64 वें राष्ट्रमंडल सम्मेलन में कौबैटिंग रैपीड अर्बनाइजेशन एंड रूरल डिस्लाइन- एक चैलेंज फाॅर द काॅमनवेल्थ विषय पर विचार व्यक्त कर रहे थे। झारखंड विधानसभा के स्पीकर डॉक्टर दिनेश उरांव ने कहा कि शहरों पर बढ़ते जनसंख्या दबाव से पर्यावरण भी सर्वोच्च मात्रा में प्रदूषित हो रहा है। यह मौजूदा समय में एक अंतर्राष्ट्रीय समस्या का रूप ले चुका है। दिनेश उरांव ने सभी देशों से अनुरोध किया कि जिस प्रकार शहरों के विकास हेतु हमेशा नई योजनाएं बनाते हैं उसी प्रकार हम अपने गांवों के विकास हेतु भी सशक्त योजनाएं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बनाएं। डॉक्टर उरांव ने कहा कि शहरी विकास के तर्ज पर गांवों का विकास होना अति आवश्यक है। जो सुविधाएं शहर में मिलती हैं उनका गांव तक पहुंचना अति आवश्यक है। भारत में शहर को गांव से जोड़ने हेतु प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना पिछले कई वर्षों से सफलतापूर्वक चल रहा है एवं इस योजना के निमित्त हमारे देश के दूर-दराज के गांव को भी शहरी तुल्य अनेकों सुविधाएं देने का प्रयास किया जा रहा है। उरांव ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने भी बढ़ते शहरीकरण को पर्यावरण संबंधित समस्या का मूल कारण बताया है तथा इसके त्वरित समाधान हेतु मिलेनियम डेवलपमेंट लक्ष्यों के अंतर्गत पर्यावरण सततता को शामिल किया है। कहा कि वर्तमान समय में बढ़ते शहरीकरण से शहर पर बढ़ते जनसंख्या का दबाव साफ दिख रहा है जिसकी वजह से लोग भले ही अपने मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति हेतु शहर की तरफ प्रस्थान करते हैं लेकिन इससे व्यक्ति खुद अपने लिए घर, भोजन, स्वास्थ्य एवं सबसे ज्यादा रोजगार जिसके लिए वे पलायन कर रहे हैं संबंधित अनेकों समस्याओं को उत्पन्न कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रमंडल के अधिकांश देश या तो अविकसित हैं या फिर विकासशील हैं। ऐसी परिस्थिति में यह स्वाभाविक है कि देश के अंतर्गत रहने वाले सभी लोग अपनी मूलभूत सुविधाओं एवं रोजगार हेतु शहर की ओर प्रस्थान करेंगे ही और सरकार इनके पलायन पर त्वरित रोक भी नहीं लगा सकती है। इसी वजह से हमारा गांव विकास की गति में बहुत पीछे छूट गया है। कहा कि भारत में स्थिति और भी गंभीर है। आकलन कहता है कि अगले 15 वर्षों में 200 मिलियन ग्रामीण लोगों का पलायन शहर की तरफ हो जायेगा जो कि कई छोटे देशों की कुल आबादी से भी ज्यादा है। किसी भी देश के विकास को गति देने में कृषि क्षेत्र का योगदान अहम है किन्तु आकलन कहता है कि हमारे किसान ही सबसे ज्यादा वंचित हैं। भारत में किसान एवं कृषि विकास हेतु प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना सफलतापूर्वक चल रहा है। कृषि संबंधित आधुनिक तकनीक संबंधित शिक्षा एवं सुविधा किसानों तक सीधे पहुंच पा रही है। इसी प्रकार सभी देश अपने-अपने क्षेत्र अंतर्गत कृषि विकास हेतु यदि आधुनिक तकनीक का प्रयोग करें तो इससे ग्रामीण क्षेत्र के विकास के साथ-साथ ग्रामीणों को रोजगार हेतु शहरों की तरफ पलायन नहीं करना पड़ेगा। ग्रामीण परिवेश में विकास का सपना देखनेवालों का जब सपना साकार होगा तभी सही मायनों में विकास दिख सकेगा।

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