संस्कार भारती का कला उत्सव समारोह वाई बी एन पब्लिक स्कूल के सभागार में आयोजित,लोक गीत से समारोह की प्रतिष्ठा में चार चांद लगा

Jharkhand झारखण्ड राजनीति शिक्षा जगत साहित्य-संस्कृति


मुखर संवाद के लिये शिल्पी यादव की रिपोर्टः-

रांची: कला साहित्य एवं संस्कार को समर्पित अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती की रांची महानगर इकाई की ओर से कला उत्सव समारोह का आयोजन वाई बी एन पब्लिक स्कूल के सभागार में संयोजित हुआ। ध्येय गीत से प्रारंभ इस कार्यक्रम में दीप प्रज्ज्वलन संस्कार भारती झारखंड प्रान्त के अध्यक्ष डॉ सुशील कुमार अंकन,प्रान्त के महामंत्री संजय कुमार श्रीवास्तव,वाइ बी एन के चेयरमैन रामजी यादव एवं नगर मंत्री शशिकला पौराणिक ने किया।गणेश वंदना अपने मधुर स्वर में डर सुरिंदर कौर नीलम ने की। इस अवसर पर संगीत विधा के अंतर्गत जयप्रकाश सिंह, अवनींद्र सिंह अमरेंद्र प्रसाद यादव एवं उमेश चौधरी ने शास्त्रीय गायन की विभिन्न कलाओं में अपनी प्रस्तुति से मुदित किया।वहीं सूरज श्रीवास्तव एवं सदानंद सिंह यादव ने लोकगीत एवं सीमा सिन्हा ने भोजपुरी में श्रींगारिक लोक गीत से समारोह की प्रतिष्ठा में चार चांद लगा दिया। इस अवसर पर रांची आयोजित कवि सम्मेलन में डॉ सुरिंदर कौर नीलम जी की भावना इस तरह प्रकट हुई ’नजरों से गिराती, कभी सम्मान दिलाती, ये बोली हमारी सही पहचान कराती।’
दूसरी ओर रेणु झा रेणु ने गांव और प्रेम पर अपनी रचना मैं कहा कि ’साजन चलो न अपने गांव बैठेंगे पीपल छांव ,वहां तुम होगे और होगा तेरा प्यार।

रिश्तों की जद्दोजहद पर संगीता सहाय अनुभूति के उद्गार कुछ यूं निकले’ रिश्ता फांस सा चुभ रहा है, यक़ीनन! नजरों से कोई उतर रहा है।
इनके अलावा कल्याणी झा कनक , अनुपम श्री ,प्रतिभा मिश्र पुष्पा पाण्डेय ,निर्मला करण मधुमिता साहा, सीमा सिन्हा मैत्री ,मीरा सिंह ,अर्पणा सिंह पूनम वर्मा ,पुष्पा सहाय गिन्नी ,सुनीता अग्रवाल, विभा वर्मा वाची ,सुमिता सिन्हा, रंजना वर्मा उन्मुक्त ,खुशबू बरनवाल सीपी ,चंद्रिका ठाकुर देशदीप एवं ऋतुराज वर्षा ने भी अपनी कविताओं से समां बांधा।
समारोह में प्रान्त नाट्य संयोजक राकेश रमण, चित्रकला संयोजक विश्वनाथ प्रसाद,रांची महानगर के कार्यकारी अध्यक्ष आशुतोष प्रसाद, भरत अग्रवाल , मधुरेश चंद्रा, वीना चंद्रा, कुमकुम गौड़ एवं अशोक गौड़ तथा गौरी शंकर शर्मा के अलावा बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन आशुतोष प्रसाद एवं शशिकला पौराणिक ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *