मुखर संवाद के लिये शिल्पी यादव की रिपोर्टः-
रांचीः ’’प्रेम के कुछ मखमली एहसास लिखते हैं’। संस्कार भारती रांची महानगर की काव्य गोष्ठी में उपरोक्त उदगार डॉ रजनी शर्मा चन्दा ने अपनी कविता को आगे बढ़ाते हुए कहा कि’ दूर है जो दिल के उनके पास लिखते हैं जल में रहते मीन की हम प्यास लिखते हैं, कांटों की शैया पर जीवन को बिछाकर हम ,प्रेम के कुछ मखमली एहसास लिखते है।’बेटियों पर डॉ सुरिंदर कौर नीलम के हृदय से आवाज़ आयी’ आंगन खिली है बेटी भाग्य से मिली है बेटी ,रूप रस गंध लिए ,उतरी बहार है ,निखरी किरण जैसी, चांदनी सघन जैसी ,हर लेती अंधियारा, बेटी उजियार है ।बेटियों से आगे बढ़ते हुए प्रकृति पर रश्मि सिंह ने व्यक्त किया’ यह धरा पुकारती है ,ये गगन पुकारता ,बख्श दो अब हमें , करो न यूँ नष्ट, है चमन हमें पुकारता’। हिदायत के तेवर में कविता रानी काव्या ने सीख देते हुए कहा’ कहीं सबब जंग की ना बन जाए आब औ ताब, जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल में ,लाया कीजिए ,कभी तो आवाज उठाया कीजिए।’
कवियित्री संगीता सहाय अनुभूति ने उलाहना देते हुए कहा ’मैं उतनी ही छली गयी, जितना कि रेगिस्तान में नीर’।बिम्मी प्रसाद’कविताएं शेष रह गयी’की पुकार लगाते हुए मंच पर आयीं।जिंदगी पर मधुमिता साहा का स्वर इस तरह आया‘जिंदगी का कैसा भ्रम पाल रखा है हमने’।सीमा सिन्हा मैत्री ने’ये चाँद रोज शाम से आँगन में मेरे’को याद किया।इनके अलावा राकेश रमण, उमेश चंद्र मिश्र,डॉ आशुतोष प्रसाद,युगेश कुमार,रंगोली सिन्हा ,रंजना झा,राजश्री राज,रेणु झा ,सदानंद सिंह यादव,खुशबू बरनवाल सीपी,सूरज श्रीवास्तव,चंद्रिका ठाकुर देशदीप,रेणु बाला धार,अजीत कुमार प्रसाद ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को रससिक्त किये रखा।
इसके पूर्व प्रारम्भ में कार्यक्रम की शुरुआत ध्येय गीत से हुई। दीप प्रज्ज्वलन संस्कार भारती के पदाधिकारियों उमेश चंद्र मिश्र,सुशील कुमार अंकन, डॉ आशुतोष प्रसाद एवं शशिकला पौराणिक ने किया। काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता संस्कार भारती झारखंड प्रान्त के डॉ सुशील अंकन ने करते यह उम्मीद जतायी की इस तरह आयोजन साहित्य साधकों को सृजन की ओर प्रोत्साहित करते हैं।इस अवसर पर रांची महानगर के मंत्री कृष्ण वल्लभ सहाय,सह मंत्री शशिकला पौराणिक,कोषाध्यक्ष अनूप कुमार मजूमदार एवं झारखंड प्रान्त के चित्रकला संयोजक विश्वनाथ जी भी उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन साहित्य विधा संयोजक डॉ सुरिंदर कौर नीलम ने दिया।
