


मुखर संवाद के लिये शिल्पी यादव की रिपोर्टः-
रांची : या कुन्देन्दुतुषारहारधवला
या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा
या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥
मां सरस्वती के वंदना में ये मंत्र रांची के सरला बिरला विश्वविद्यालय के परिसर में गूंज रहे थे। वातावरण दैविक हो गया जब ये मंत्र उच्चारित किये जा रहे थे। सरला बिरला विश्वविद्यालय प्रांगण में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर मां सरस्वती की बड़े ही धूमधाम के साथ पूजन कार्यक्रम संपन्न हुआ। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गोपाल पाठक एवं डॉ नीलिमा पाठक ने मां की आराधना एवं पूजन संपन्न किया। संध्या समय मां की भव्य आरती की गई जिसमें डॉ नीलिमा पाठक ने अपने मधुर स्वर में मां की स्तुति की तत्पश्चात संध्या जागरण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों एवं पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया।
कुलपति प्रो गोपाल पाठक ने कहा कि मां सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादिनी और वाग्देवी आदि कई नामों से भी जाना जाता है। ब्रह्माजी ने माता सरस्वती की उत्पत्ति वसंत पंचमी के दिन की थी, यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष वसंत पंचमी के दिन ही देवी सरस्वती का जन्मदिन मानकर पूजा-अर्चना की जाती है। सरला बिरला विश्वविद्यालय के कार्मिक एवं प्रशासनिक प्रबंधक अजय कुमार के अनुसार, इस अवसर पर विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी डॉ प्रदीप कुमार वर्मा, श्री नरहरी दास, श्री अजय कुमार, श्री प्रवीण कुमार, श्री आशुतोष द्विवेदी, प्रो संजीव बजाज, डॉ संदीप कुमार, प्रो आदित्य विक्रम वर्मा, श्री अमित गुप्ता, डॉ भारद्वाज शुक्ल, प्रशांत जमुआर, ऋषिराज जमुआर, सुभाष नारायण शाहदेव, राहुल रंजन, आदित्य रंजन सहित विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारी, प्राध्यापक, कर्मचारी एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।
