मुखर संवाद के लिये शिल्पी यादव की रिपोर्टः-
रांची: ग्रामीण विकास मकंत्री आलमगीर आलम और पंकज मिश्रा की मुसीबतें बढ़नेवाली है। बरहरवा टोल प्लाजा टेंडर मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने कहा है कि इस मामले की जांच निष्पक्ष तरीके से नहीं हुई है। साहिबगंज के बरहरवा टोल प्लाजा टेंडर मामले में बरहरवा थाने में दर्ज मामले की 24 घंटे में क्लीन चिट देने के मामले की सीबीआई जांच का आग्रह करने वाली याचिका पर गुरुवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। प्रवर्तन निदेशालय( ईडी ) की ओर से दायर शपथपत्र का कोर्ट ने अवलोकन किया। इस दौरान कोर्ट ने माना कि इस मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच नहीं हुई है, जल्दबाजी में मामले में जांच अधिकारी ने मामले की जांच की और रिपोर्ट दिया है। वहीं सुनवाई के दौरान राज्य सरकार, आलमगीर आलम और पंकज मिश्रा की ओर से कोर्ट से समय की मांग की गई। इनकी ओर से कहा गया कि ईडी के शपथ पत्र के बाद वे अपना जवाब दाखिल करना चाहते हैं। झारखंड हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी निर्धारित की है।
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एस के द्विवेदी की कोर्ट में हुई जिसमें प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अभय मिश्रा ने वकालत की। साहिबगंज के बरहरवा थाने में टोल प्लाजा टेंडर विवाद में शंभू नंदन कुमार ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी जिसमें पंकज मिश्रा पर टेंडर में भाग नहीं लेने की धमकी देने का आरोप लगाया गया था। पंकज ने टेलिफोनिक धमकी दी थी, लेकिन पुलिस ने उसके वॉइस रिकॉर्ड की फॉरेंसिक जांच नहीं कराई थी। इसके साथ ही आधे घंटे में 14 गवाहों का बयान लेकर पुलिस ने मामले में पंकज मिश्रा और मंत्री आलमगीर आलम को क्लीन चिट दी थी। प्रार्थी की ओर से आरोप लगाया गया था कि मामले में जांच को प्रभावित करने के लिए इन दोनों को क्लीन चिट दी गई है, प्रार्थी ने इसकी सीबीआई जांच कराने का आग्रह किया है। इस मामले को लेकर बरहरवा साहिबगंज थाना कांड संख्या 85/2020 दर्ज कराई गई थी.निचली अदालत ने भी मामले में ट्रायल पर रोक लगाई है। ऐसे में आनेवाले दिनों में ग्रामीण विकास मंत्री और पंकज मिश्रा के खिलाफ बरहरवा टोल मामले में फिर से जांच की संभावना दिखाई दे रही है।
