सीएम हेमंत सोरेन ने अपने दो वर्षो के पूरा होने पर कांग्रेस को दिखाई औकात, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर को रखा मंच से नीचे, कार्यकारी अध्यक्ष मंच पर, कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं में बढ़ता जा रहा है रोष

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मुखर संवाद के लिये अशोक कुमार की रिपोर्टः-

रांची : झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार चल रही है। लेकिन हेमंत सोरेन खुद के दम पर 30 सीटें आने पर काफी उत्साहित हुए और उन्होंने कांग्रेस को उसकी औकात बताने की योजना बनाने में जुट गये थे। लेकिन तत्कालीन प्रदेष अध्यक्ष रामेष्वर उरांव के रहने के कारण हेमंत सोरेन की एक नहीं चल पाती थी। रामेष्वर उरांव खुद आदिवासी थे और हेमंत सोरेन से अधिक पढ़े लिखे होने के कारण उन्होनें कांग्रेस को हेमंत सोरेन के आगे झुकने नहीं दिया था। लॉक डाउन में भी कांग्रेस ने हेमंत सोरेन की पार्टी झामुमो से बेहतर काम किया था। रामेष्वर उरांव की ही सोच थी कि जीवन और जीविका दोनो चलनी चाहिये। एक बार हेमंत सोरेन ने संपूर्ण लॉक डाउन का प्लान तैयार किया था जिसका विरोध वित मंत्री और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष रामेष्वर उरांव ने किया था। इसी सोच पर राज्य की हेमंत सोरेन सरकार की पूरे देष में प्रषंसा भी हुई थी।

लेकिन अब यह नजारा बदल गया है। अब हेमंत सोरेन कांग्रेस को उसकी औकात बताने पर तुल गये हैं। और यही कारण है कि कांग्रेस के साथ सरकार में रहने के वावजूद मंत्री मिथिलेष ठाकुर ने झामुमो को 2024 में 50 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोशणा तक कर डाली। यह एक तरह से कांग्रेस के लिये अल्टीमेटम ही है। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी में बदलाव के तीन महीने बीत गये और नये साल 2022 में नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के संगठन को मजबूत करने और कार्यकर्त्ताओं में जोश भरने की बड़ी चुनौती हैं। लेकिन जिस तरह से हाल के दिनों में कई कार्यक्रम हुए, उसमें राजेश ठाकुर की भूमिका एक कमजोर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में सामने आयी है। हेमंत सोरेन सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल के उपलक्ष्य में रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित मुख्य समारोह में प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की पार्टी के झारखंड प्रभारी आरपीएन सिंह के साथ मंच पर उपस्थित थे। लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहने के बावजूद राजेश ठाकुर मंच के नीचे जेएमएम-कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ बैठे नजर आये। राजेष ठाकुर के मंच से बैठने का कारण कोई सादगी नहीं थरी बल्कि ऐसा करके हेमंत सोरेन महागठबंधन के अंदर कांग्रेस की हैसियत बताना चाहते थे। महागठबंधन की सरकार में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के अध्यक्ष के इस तरह के रवैये से पार्टी नेताओं में खासी नाराजगी है और संगठन के ही कुछ नेताओं का मानना है कि या तो उनके सम्मानजनक तरीके से मंच पर बैठने की व्यवस्था करनी चाहिए थी, यदि सरकारी कार्यक्रम में उनके मंच पर बैठने की अनुमति नहीं थी, तो उन्हें इस तरह के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जाना ही नहीं चाहिए था। कांग्रेस के नेताओं के अनुसार, झारखंड के इतिहास में क्षेत्रीय कांग्रेस कमिटी से लेकर 21 वर्षों के झारखण्ड निर्माण तक में राजेश ठाकुर जैसा लाचार व बेबस प्रदेश अध्यक्ष देखने में नहीं मिला था और इसके लिए सीधे तौर पर अगर कोई एक व्यक्ति जिम्मेदार है तो वो हैं आरपीएन सिंह । आरपीएन सिंह खुद हेमंत सोरेन से बात करते हैं तो ऐसे में प्रदेष अध्यक्ष राजेष ठाकुर को हेमंत सोरेन कोई महत्व नहीं देना चाहते हैं। हेमंत सोरेन सीधे दिल्ली दरबार में ही डील कर रहे हैं। हाल ही में कांग्रेस प्रदेष प्रभारी आर.पी.एन. सिंह के भाजपा में जाने की खबर झारखंड के मीडिया में पुरजोर तरीके से चल रही थी।

कांग्रेस के पुराने नेता सुबोधकांत सहाय और फुरकान अंसारी सहित कई नेता प्रभारी आरपीएन सिंह की भूमिका से भी खासे नाराज है। नाराज कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि नये प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद आरपीएन सिंह दो बार रांची आये, लेकिन मुख्यमंत्री, राज्यपाल और कुछ विधायकों से मुलाकात कर वापस लौट गये, उन्हें पार्टी के आम कार्यकर्त्ताओं की भावना को समझने-सुनने का वक्त ही नहीं मिला। आर.पी. सिंह तो आलीषान जीवन जीने के षौकिन है और उन्होनें कार्यकर्ताओं को बंधुआ मजदूर तक समझने की भूल की है। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर जब कार्यकारी अध्यक्ष थे तब 15 अगस्त तक 20 सूत्री का गठन नहीं करने पर इस्तीफा देने की घोषणा की थी,फिर प्रदेश अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने के साथ ही दावा किया था कि दीपावली के मौके पर कार्यकर्त्ताओं को तोहफा मिलेगा और 20 सूत्री समितियों का गठन कर लिया जाएगा। लेकिन अब तक आम कार्यकर्त्ताओं की सरकार में भागीदारी सुनिश्चित नहीं हो पायी है, जिससे कां्रगेस कार्यकर्त्ताओं में भी खासी नाराजगी बढ़ती जा रही हैं।

वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह स्पष्ट बयान दिया कि गठबंधन सरकार में सहयोगी दलों से विचार-विमर्श के बाद ही 20 सूत्री समिति और बोर्ड-निगम का गठन संभव है और इस मामले में उनकी पार्टी में कोई दिक्कत नहीं हैं, सहयोगी दलों को ही फैसला लेना है। दूसरी तरफ संगठन में आम कार्यकर्त्ताओं के रोष से अलग प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर अब इस बात की कोशिश में है, अगले दो-तीन महीने में राज्यसभा की जो दो सीट खाली हो रही है, उसमें से एक सीट पर कांग्रेस-जेएमएम-आरजेडी गठबंधन में उनकी उम्मीदवारी के नाम पर सहमति बन जाए और इसी रणनीति के तहत वे एक ओर जहां आलाकमान को खुश करने में जुटे हैं, तो गठबंधन दलों के विधायकों से भी एक-एक कर बातचीत कर उन्हें समझाने के प्रयास में जुटे हैं। राजेष ठाकर राज्यसभा का कंफर्म टिकट मिलने के आषा के कारण ही हेमंत सोरेन के समक्ष कुछ भी बोलने से बचते हैं। हालांकि कांग्रेस नेताओं को अब यह पता चल गया है कि आर.पी.एन. सिंह और राजेष ठाकुर की जोड़ी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिये नहीं बल्कि खुद के हित में जुटी है तभी तो कांग्रेस के विधायकों की नाराजगी बार-बार झारखं डमें झलक जाती है। राजेश ठाकुर खुद ही झारखंड से महागठबंधन के कोटे के तहत राज्यसभा जाने का इरादा रखते हैं ऐसे में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से कांग्रेस और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की उपेक्षा को नजरअंदाज कर रहे हैं।

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