हेमंत सोरेन और पूर्व डीजीपी डीके पांडेय के जमीन के मामले में कार्रवाई करेंगें अधिकारी: अमर कुमार बाऊरी

झारखण्ड


रांची: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पूर्व डीजीपी डी.के पांडे की मुसीबतें बढ़ने वाली हैं। राजस्व, निबंधन व भूमि सुधार विभाग के मंत्री अमर कुमार बाउरी ने कहा है कि राज्य सरकार ने मामले से संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है जिसे लेकर वो कोताही नहीं बतरेंगें। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा पत्नी कल्पना सोरेन द्वारा सीएनटी एक्ट का उल्लंघन कर खरीदी गई हरमू स्थित सोहराय भवन की जमीन और कांके मौजा में गलत ढंग से पूर्व डीजीपी डीके पांडेय द्वारा पत्नी पूनम पांडेय के नाम खरीदी गयी जमीन के मामले में रांची डीसी को विधि सम्मत कार्रवाई का निर्देश दिया गया है। विभाग डीसी से अपेक्षा कर रहा है कि वह तत्काल मामले का निष्पादन करेंगे। इरादतन कार्रवाई के मामले में देर नहीं करेंगे।
इन दोनों ही मामलों में बार-बार पूछे गए सवालों के जवाब में मंत्री ने इतना ही दुहराया कि न्याय संगत कार्रवाई के लिए सक्षम पदाधिकारी को निर्देशित किया गया है। अगर गड़बड़ी के इस मामले में कोई अधिकारी भी दोषी पाया गया तो उनके विरुद्ध भी 100 फीसदी कार्रवाई होगी। अमर कुमार बाऊरी विभागीय सचिव केके सोन व अन्य अधिकारियों के साथ सोमवार को संवाददाता सम्मेेलन के माध्यम से भू-राजस्व एवं निबंधन विभाग की उपलब्धियां गिना रहे थे। कहा कि बिहार से नक्शों की प्राप्ति, भू दस्तावेजों का डिजिटाइजेशन, विभिन्न प्रोजेक्टों के लिए समय पर जमीन उपलब्ध कराना विभाग की बड़ी उपलब्धि रही।

देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता में गठित एसआईटी की रिपोर्ट पर भी मंत्री ने दुहराया कि संबंधित जिलों के डीसी को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया है। अपेक्षा की जा रही है कि जल्द से जल्द कार्रवाई होगी। खतियानी आदिवासी रैयती जमीन के कई बार गैर आदिवासी के हाथ बिकने और उसका म्युटेशन होते रहने के बाद अब अगर कोई गैर आदिवासी म्युटेशन के लिए जाता है तो खतियान के आधार पर रिजेक्ट कर दिया जाता है। इस सवाल का भी मंत्री ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट की भावना के विरुद्ध नियम संगत ढंग से म्युटेशन किये जाने का प्रावधान है। अगर खतियान या रजिस्टर टू की पंजी क्षतिग्रस्त या जीर्ण-शीर्ण है तो उपलब्ध दस्तावेज से मिलान और स्थल निरीक्षण के बाद सही तथ्य के साथ म्युटेशन करने का निर्देश सीओ को दिया गया है। उन्होंने स्वीकार किया कि राज्य में 1980 में शुरू हुआ जमीन का सर्वे अब तक पूरा नहीं हुआ है। जब तक जमीन के दस्तावेजों को त्रुटिहीन नहीं बना लिया जाता, कुछ दिक्कतें आएंगी। पूर्व की व्यवस्था बदल रही है। विभाग के लिए संक्रमण काल है। पर सहजता और पारदर्शिता के साथ इन गड़बड़ियों पर काबू पा लिया जाएगा। अमर बाउरी के इस बयान के बाद हो सकता है कि हेमंत सोरेन और डी.के .पांडे के मामले में विधानसभा चुनाव के पहले ही कार्रवाई होगी जिसे लेकर पूरे राज्य में विपक्ष और सत्ता पक्ष परेशान हो सकता है। इसके साथ ही राज्य के कई अधिकारियों पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है।

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