“स्वर्णरेखा बहती रहे” झारखंडी संस्कृति और परंपरा का आईना है: कामेश्वर निरंकुश
रांची: कवि कामेश्वर निरंकुश ने कृति के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। इसस पुस्तक में स्वर्णरेखा नदी के अतिक्रमण और उसमें होनेवाले प्रदूषण को लेकर भी जिक्र किया गया है। स्वर्णरेखा कभी झारखंड की लाईफ लाइन कही जाती थी लेकिन कालांतर में उसमें होनेवाले प्रदूषण के कारण स्वर्णरेखा का अस्तित्व भी खतरे में है। मंच के […]
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