
गिरिडीह के मेयर का प्रमाणपत्र निकला फर्जी, जायेगी मेयर की कुर्सी गिरिडीह: फर्जी प्रमाणपत्र के जरिये केवल नौकरी ही हासिल नहीं किया जा सकता है बल्कि नगर निगम का मेयर भी बना जा सकता है यह झारखंड में होता हुआ दिखायी दे रहा है। भाजपा नेता सुनील पासवान ने गिरिडीह में यह कारनामा कर दिखाया है। गिरिडीह मेयर सुनील पासवान ने नगर निगम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर नामांकन के वक्त जो जाति प्रमाण पत्र दाखिल किया था, वह फर्जी निकला। आदिवासी कल्याण आयुक्त ने उनके जाति प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया है। अब उनकी कुर्सी जाना तय है। आयुक्त ने इनके अलावा निगम चुनाव लड़ने वाले चार और प्रत्याशियों कांग्रेस के समीर राज चैधरी, प्रदीप पासवान, रंजन कुमार रविदास और मनोज पासवान के जाति प्रमाण पत्रों को भी रद्द कर दिया है।डीसी राजेश पाठक ने कहा कि जाति छानबीन समिति ने इस मामले की जांच की। इसमें मेयर सहित पांचों के जाति प्रमाण पत्रों को अवैध पाया गया। इसके बाद इनके प्रमाण पत्रों को रद्द कर दिया गया। इसकी रिपोर्ट नगर विकास विभाग को भेज दी गई है। अब सरकार के आदेश के अनुसार इन सभी पर कार्रवाई की जाएगी। झामुमो ने कहा था-जाति प्रमाण पत्र के लिए 1950 से पहले का निवासी होना जरूरी, ये 1965 के बाद आए।झामुमो के जिला अध्यक्ष संजय सिंह ने प्रत्याशियों की स्क्रूटनी से एक दिन पहले रिटर्निंग अफसर को लिखित शिकायत में कहा था कि सुनील पासवान बिहार के अरवल जिले के मूल निवासी हैं। झारखंड में अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र लेने के लिए 1950 से पहले का यहां का स्थाई निवासी होना जरूरी है। लेकिन वह 1965 के बाद से गिरिडीह में रह रहे हैं। ऐसे में उनका जाति प्रमाण पत्र नहीं बन सकता। उन्होंने जिला निर्वाचन पदाधिकारी और राज्य निर्वाचन आयोग से भी इस संबंध में पत्र लिखा था। नगर निगम 2018 के चुनाव में मेयर प्रत्याशियों के नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी के बाद 23 मार्च 2018 को प्रत्याशियों की घोषणा होनी थी। रिटर्निंग अफसर मुकुंद दास ने उस दिन शाम तीन बजे 20 में से 13 प्रत्याशियों के नामांकन वैध होने की घोषणा की। साथ ही सात अन्य प्रत्याशियों की स्क्रूटनी का परिणाम अगले दिन घोषित करने की बाह कही थी। इसके बाद 24 मार्च को सुनील पासवान सहित सातों के नामांकन को वैध ठहराया। मेयर सुनील पासवान ने कहा-मेरा जाति प्रमाण पत्र रद्द हुआ है, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। लेकिन यह मामला फिलहाल हाईकोर्ट में लंबित है। यदि प्रमाण पत्र रद्द किया गया है तो मैं फिर इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दूंगा। क्योंकि मुझे जो जाति प्रमाण पत्र मिला है, वह कानूनी अधिकार के तहत है। झारखंड के राज्य निर्वाचन आयुक्त एन एन पांडे ने कहा है कि अगर कोई गलत जाति प्रमाण पत्र के आधार पर निर्वाचित हुआ है तो निर्वाचन रद्द होगा। अभी तक गिरिडीह मेयर का मामला मेरी संज्ञान में नहीं आया है। आने पर कार्रवाई की जाएगी।
