पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण का संवैधानिक अधिकार दे राज्य सरकार: सुदेश महतो

Jharkhand

रांची: राज्य की राजनीति में एकबार फिर से पिछड़ों के अघिकार को लेकर राजनीति केन्द्रित हो गयी है। राज्य में 55 प्रतिशत पिछड़ो की आबादी है लेकिन उनको केवल 14 प्रतिशत ही आरक्षण मिल पाता है। पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का स्ंावैधानिक प्रावधान है किन्तु पिछड़ों के साथ उपेक्षा हो रहा हैै। पिछड़ों को आरक्षण देने को लेकर राजनीतिक दल अपना एजेंडा तय करते हुए नजर आ रहे हैं जिसमें आजसू ने पिछड़ों को आरक्षण देने की वकालत पुरजोर तरीके से कर रही है। पिछड़ों के आरक्षण को लेकर राजनीतिक दल अपना मुद्दा भी बनाने की सोच रहे हैं। इसी रणनीति के तहत आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिलकर व्यापक लोकहित से जुड़े दो मामलों पर उन्हें पत्र सौंपा है। इन पत्रों के जरिए उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि झारखंड राज्य में पिछड़ा वर्ग को 27, अनुसूचित जनजाति को 32, तथा अनुसूचित जाति को 14 प्रतिशत आरक्षण देने के मामले में सरकार निर्णायक कदम उठाये। इसके अलावा उन्होंने रांची जिले के जोन्हा, सोनाहातू पूर्वी, तमाड़ पूर्वी, पिठोरिया, खूंटी के बीरबांकी, बोकारो के पिंड्राजोरा, अमलाबाद, माराफारी, बरमसिया, खैराचातर, महुआटांड एवं उपरघाट, सरायकेला-खरसावां के सिन्नी, प0 सिंहभूम के टोकलो, धनबाद के मैथन, चिरकुण्डा, पुटकी एवं राजगंज, रामगढ के चैनगढ़ा, चतरा के जोरी, पूर्वी सिंहभूम के कोवाली, पलामू के रामगढ एवं लातेहार के मुरपा को नया प्रखंड बनाने का भी मामला उठाया है। अभी दो दिनों पहले माननीय मुख्यमंत्री जी ने चक्रधपुर को नये जिले के तौर पर अगले साल सृजन करने की घोषणा की है। चक्रधरपुर को नया जिला अविलम्ब बनाया जाना चाहिए। आबादी, साधन संसाधन और प्रशासनिक जरूरतों के हिसाब से सरकार ने इसकी जरूरत महसूस की होगी। मुख्यमंत्री को सौंपे पत्र में सुदेश कुमार महतो ने कहा है कि स्थायी सरकार से नीति और निर्णय को लेकर जनता की अपेक्षाएं भी अधिक होती है। इसलिए पिछड़ा वर्ग को उनके संवैधानिक अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। श्री महतो ने सीएम को बताया कि झारखंड राज्य में पिछड़ा वर्ग को 27, अनुसूचित जनजाति को 32, तथा अनुसूचित जाति को 14 प्रतिशत करने के लिए हम और हमारी पार्टी पहले भी कई मंचों पर आवाज मुखर उठाती रही है। दरअसल, झारखंड में पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलना संवैधानिक अधिकार से जुड़ा मामला है। श्री महतो ने कहा कि आरक्षण सिर्फ आर्थिक नहीं प्रतिनिधित्व और भागीदारी का सवाल है। साथ ही मेधा सूची में पिछड़ा वर्ग के जो युवा आते हैं उन्हें कोटा में सीमित नहीं किया जाना चाहिए। मेधा सूची में उपर रहने वालों को सामान्य श्रेणी में शामिल किया जाना चाहिए। इससे पिछड़ों का हक और उन्हें अपने वर्ग का प्रतिनिधित्व करने का मौका भी मिलेगा। मुख्यमंत्री का ध्यान दिलाते हुए उन्होंने बताया है कि पिछड़ा आरक्षण के मामले पर साल 2001 में मंत्रिमंडलीय उपसमिति का गठन किया गया था। इस उपसमिति में मैं भी शामिल था। मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने राज्य में अनुसूचित जनजाति को 32, पिछड़ा वर्ग को 27 तथा अनुसूचित जाति को 14 फीसदी यानि कुल 73 फीसदी आरक्षण देने की अनुशंसा की थी। इसी अनुशंसा के आलोक में झारखंड में 73 फीसदी आरक्षण को लेकर एक असाधारण अंक संख्या 296, 29 नवम्बर 2001 झारखण्ड गजट जारी किया गया था। बाद में उसे झारखंड उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। माननीय न्यायालय के आदेश के आलोक में सरकार ने 50 फीसदी आरक्षण सीमित रखने का निर्णय लिया। जबकि सरकार को प्रशासनिक और न्यायिक स्तर पर इस मामले में पहल करनी चाहिए थी। श्री महतो ने बताया है कि तामिलनाड़ु, केरल, हरियाणा हिमाचलप्रदेश, आंधप्रदेश, बिहार समेत कई राज्यों में पिछड़ों को 30 से 50 प्रतिशत तक आरक्षण हासिल है। राज्य की सरकारें आरक्षण की सीमा पचास प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा सकती है। तमिलनाडू में कुल 69 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। हाल ही में छत्तीसगढ़ की सरकार ने आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 82 प्रतिशत कर दिया है। झारखंड राज्य में पिछडे़ वर्ग की सामाजिक, शैक्षणिक तथा आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है जबकि आबादी लगभग 51 प्रतिशत है। इस वर्ग का सरकारी एवं अर्द्ध-सरकारी सेवा एवं पदों में प्रतिनिधित्व बहुत की कम है। इसी क्रम में झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा अपने पत्रांक-64ध्पी0, दिनांक 18.07.2014 को पिछडों का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ा कर 27 प्रतिशत करने की अनुशंसा की जा चुकी है। पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी अनुशंसा में स्पष्ट रूप से कहा है कि झारखण्ड राज्य में पिछड़े वर्गों की सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणीक स्थिति अच्छी नहीं है तथा सरकारी नौकरी में इनका प्रतिनिधित्व कम है। सुदेश कुमार महतो ने नये प्रखंडों और थानों के सृजन के मामले पर भी मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया है. उन्होंने बताया है कि 8 जनवरी साल 2013 को मंत्रिपरिषद की बैठक (08(02)-65-2013) रांची जिले में जोन्हा, सोनाहातू पूर्वी, तमाड़ पूर्वी, पिठोरिया सहित कुल 23 नए प्रखंडों को सृजित किए जाने की सैद्धांतिक सहमति प्रदान की गई थी। इनके अलावा रांची जिले के सोनाहातू थानान्तर्गत ग्राम बारेंदा (पंडाडीह) को नये थाना, राहे ओपी को उत्क्रमित कर स्वतंत्र थाना, सिल्ली थाना क्षेत्र के बंताहजाम और अनगड़ा थाना के जोन्हा में ओपी तथा सरायकेला- खरसावां के बड़ाबांबो में नया थाना सृजन की स्वीकृति दी गई थी। लेकिन 30 जनवरी 2013 को हुई राज्यपाल के परामर्शी परिषद की बैठक में ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत चिन्हित नये प्रखंडों के सृजन पर दी गई पूर्व में सैद्धांतिक सहमति से जुड़े प्रस्ताव को स्थगित कर दिया गया। श्री महतो ने मुख्यमंत्री से कहा है कि जनहित और सालों पुरानी मांग को पूरी करने के लिए मंत्रिपरिषद की अगली बैठकों में एनडीए कार्यकाल में लिए गए पूर्व के प्रस्तावों को पेश कर मंजूरी प्रदान की जाये। इससे ग्रामीण इलाके की बड़ी आबादी का स्थायी सरकार पर विश्वास बढ़ेगा और भौगोलिक तथा प्रशासनिक दृष्टिकोण से विकास के मार्ग भी प्रशस्त हो सकेंगे।

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