
अशोक कुमार
रांची: अभी विधानसळभा चुनाव परिणाम नहीं आये हैं लेकिन सत्ता के दलालों की सक्रियता बढ़ गयी है। सत्ता के दलाल कोई झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के आवास के चक्कर लगा रहा है तो कोई रांची शहर के महंगे होटल में सत्ता की गोटीयों को बिठा रहा है। सत्ता के दलाल एक्जिट पोल के जरिये यह अनुमान लगा चुके हैं कि किसकी सरकार आनेवाली है। महागठबंधन में भाजपा की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही भीड़ है। जनता ने अपना फैसला सुना दिया है, 23 दिसंबर को परिणाम का खुलासा होगा। संभावित चुनाव परिणाम को लेकर राजनीतिक दलों के मैनेजर्स की सक्रियता बढ़ गई है। एग्जिट पोल के रुझान और इससे इतर आने वाले परिणाम के आधार पर रणनीति का खाका तैयार किया जा रहा है। भाजपा और यूपीए के साथ-साथ अन्य छोटे दलों की सक्रियता भी बढ़ गई है, इनकी कोशिश सत्ता के साथ बने रहने की है।भाजपा के विधानसभा चुनाव प्रभारी ओम प्रकाश माथुर दिल्ली में हैं। उन्होंने अपनी रिपोर्ट शीर्ष नेतृत्व को सौंप दी है। भाजपा की दिल्ली में बैठी कोर टीम रांची के बराबर संपर्क में है। मुख्यमंत्री रघुवर दास और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह से शनिवार को फोन पर बातचीत कर फीडबैक लिया गया है। बताया जा रहा है कि रविवार को पार्टी के कुछ शीर्ष नेताओं को रांची भेजा जा सकता है। सोमवार को मतगणना के दौरान सभी स्ट्रांग रूम में पर्याप्त मात्रा में पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की तैनाती का निर्देश भी दिया गया है। इधर, कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह समेत एक दर्जन नेताओं के झारखंड पहुंचने की सूचना है। इनमें प्रदेश सह प्रभारी उमंग सिंघार, अजय शर्मा आदि नेता पहली खेप में पहुंच रहे हैं तो अन्य दिग्गज दूसरे चरण में पहुंचेंगे। दूसरी ओर, भाजपा के रणनीतिकार भी नई दिल्ली से पल-पल की गतिविधियों पर निगाह रख रहे हैं। वह लगातार मुख्यमंत्री से भी संपर्क में हैं। वहीं, एक्जिट पोल के बाद सत्ता के सूत्रधार माने जा रहे छोटे दलों की गतिविधियों पर भी सभी की नजर है। इनमें झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने चुप्पी तोड़ी है, लेकिन अन्य दल अभी चुप हैं। जाहिर सी बात है परिणाम के बाद जोड़-घटाव करने का अवसर मिलेगा। फिलहाल चुप्पी साधे आजसू, राकांपा, और वामपंथी दलों का स्टैंड जानना दिलचस्प होगा।कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार हाईकमान तमाम विनिंग सीट पर नजर रख रहा है और कोशिश यह है कि वहां कोई ने कोई सीनियर नेता मौजूद हो। विधायकों के वर्तमान परिस्थितियों में जब दोनों गुटों में से किसी को बहुमत मिलने की संभावना नहीं दिख रही है तो छोटे दलों के विधायकों को तोडना सबसे आसान रास्ता माना जा रहा है। इसमें झाविमो, आजसू और यहां तक कि कांग्रेस पर भी नजर है।इधर-उधर होने की आशंकाओं के मद्देनजर उनपर नजर रखी जा रही है। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि पार्टी के सीनियर नेताओं को भरोसा है कि सत्ता हासिल करने के लिए कुछ दल किसी भी स्तर पर जा सकते हैं। वैसे दलों से कांग्रेस को बचाने के लिए रणनीति तैयार की गई है। एक स्थानीय नेता ने तो यहां तक कहा कि बाहुबली नेताओं से कांग्रेस विधायकों को बचाने के लिए मजबूत टीम तैयार की जा रही है।
