
रिपोर्टः- अशोक कुमार
रांची: कहते हैं कि सत्ता आती है तो किसी के लिये खुशी लेकर आती है तो किसी के लिये गम। सूबे में हेमंत सोरेन की सरकार आयी तो पहला शिकार बनें पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के प्रधान सचिव सुनील वर्णवाल। रघुवर सरकार में सुनील वर्णवाल खुद को ही राज्य में मुख्य सचिव से उपर समझते थे और उनके इशारे के बिना राज्य में कोई भी अधिकारी खुली हवा में सांस नहीं ले सकता था। वहीं सरकार बदलने पर आशा के अनुरूप हेमंत सरकार ने अपना पहला निशाना सुनील वर्णवाल को बनाया। सुनील वर्णवाल के इशारे पर कभी योग्य अधिकारियों को जमकर फटकार मिली थी तो कभी संटिंग पोस्टिंग हुई। अब राज्य में नयी सरकार के गठन के बाद सुनील वर्णवाल को वनवास झेलने को विवश होना पड़ेगा। मोंमेंटम झारखंड और कई अन्य योजनाओं के सूत्रधार के रूप में सुनील वर्णवाल को जाना जाता था तो वहीं अब उनको इस सरकार में कोई पोस्टिंग मिले। राज्य के अधिकारी यह मानकर चल रहे हैं कि अब सुनील वर्णवाल खुद कीे दिल्ली में पोस्टिंग करा लें । ऐसा ही सुनील वर्णवाल के नजदीकी लोंगंों का भी मानना है। हेमंत सरकार ने शपथ ग्रहण के साथ ही प्रशासनिक फेरबदल का काम शुरू कर दिया है। इसका अनुमान भी लगाया जा रहा था। पहली गाज मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव रहे सुनील कुमार वर्णवाल के ऊपर गिरी है। उनका तबादला मुख्यमंत्री के सचिव पद से करते हुए उनके पास मौजूद सूचना एवं जनसंपर्क विभाग का काम भी वापस ले लिया गया है। अब उनकी सेवा कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग के पास है जहां से उनका नए स्थान पर पदस्थापन होगा। उनके तबादले के बाद अधिकारियों के एक वर्ग में मिठाईयां भी बांटी गयी। सरकार बदलने के साथ ही अभी कई और आइएएस के तबादले का अनुमान लगाया जा रहा है लेकिन इसे फिलहाल कुछ दिनों के लिए टाला जा सकता है। सुनील बर्णवाल 1997 बैच के आइएएस अधिकारी हैं। वे मार्च 2015 से मुख्यमंत्री के सचिव के पद पर तैनात थे। धनबाद आइएसएम से पेट्रोलियम इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले सुनील बर्णवाल आइएएस परीक्षा के टॉपर रह चुके हैं। सुनील वर्णवाल झारखंड के ही रहनेवाले हैं और झारखंड के कई योजनाओं के लिये उनको मास्टर माइंड माना जाता है।
