
रांची से व्यूरो रिपोर्ट-
रांची: भाजपा चुनाव क्या हारी उसके बाद से वह कोमा में चली गयी दिखायी दे रही है। भाजपा से सत्ता क्या छिनी भाजपा के नेताओं को आगे का रास्ता तय कर पाना मुश्किल दिखायी दे रहा है। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बासद भाजपा नेताओं को सुझ नहीं रहा है कि वो क्या करें ? भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व ने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दासय को झारखंड में फैसला लेने के लिये छोड़ दिया था जिसके कारण भाजपा की करारी हार हुई है। ऐसा रघुवर दास के विरोधी दबी हुई जुबान से स्वीकार कर रहे हैं। भाजपा के अंदर विधायक दल का नेता कौन होगा, इसका चुनाव नहीं हुआ है। पार्टी ने इस बाबत अभी विधायक दल की बैठक तक नहीं बुलाई है। 6 जनवरी से पंचम विधानसभा का पहला सत्र प्रारंभ होगा, 5 जनवरी तक विधायक दल के नेता का चुनाव हो जाना चाहिए। वहीं चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार जाने के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा इस्तीफा दे चुके हैं, तो प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह 26 दिसंबर से दिल्ली में हैं। प्रदेश कार्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ है। गाहे-बगाहे अगर कोई जीता हुआ विधायक प्रदेश कार्यालय पहुंचता भी है, तो उसे सही सूचना नहीं मिल पा रही है। पार्टी में चंद लोग अब यह कह कर खुद को सांत्वना दे रहे हैं कि भाई अभी जल्दी ही क्या है। भाजपा तय आराम से करेगी।
पार्टी की करारी हार के बावजूद प्रदेश स्तर पर समीक्षा बैठक की कहीं कोई सुगबुगाहट नहीं है। पार्टी के सभी जीते 25 विधायक अपने-अपने क्षेत्र में हैं। धर्मपाल सिंह के साथ भाजपा के आला नेताओं की दिल्ली में पार्टी विधायक दल के नेता और प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति पर मंथन हुआ है। पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष समेत अन्य वरीय नेताओं के साथ धर्मपाल सिंह की दो दौर की बैठक भी हुई है। विधानसभा चुनाव प्रभारी रहे ओमप्रकाश माथुर ने भी अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय संगठन को सौंप दी है। भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह गुरुवार को रांची से लौट रहे हैं। उनके आने के बाद ही आगे की गतिविधियां तेज होंगी। संगठन की सोच है कि पार्टी विधायक दल का नेता कोई आदिवासी चेहरा हो, जबकि अध्यक्ष पद के लिए गैर आदिवासी के नाम पर चर्चा चल रही है। विधायक दल के नेता के नाम के रूप में नीलकंठ सिंह मुंडा का नाम सबसे आगे चल रहा है। 28 जनजातीय विधानसभा क्षेत्रों में से 26 सीटों पर हार चुकी भाजपा के पास एसटी विधायकों में नीलकंठ सिंह मुंडा और कोचे मुंडा हैं, जिनमें से वरीयता के आधार पर नीलकंठ सिंह मुंडा ही अंतिम विकल्प बताए जा रहे हैं। फिलहाल पार्टी के चुनाव हारने के बाद से रांची के विधायक सी.पी. सिंह विरोधी दल का नेता बनने के लिये रघुवर दास के धूर विरोधी केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के घर का चक्कर लगा रहे हें। गाहे बगाहे वह अर्जुन मुंडा का पिछा ही नहीं छोड़ रहे हैं। सी.पी. सिंह यह जानते हैं कि विरोधी दल का नेता बनने के बाद उनको कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त सुविधायें मुहैया हो जायेंगी और यही सही समय है जब रघुवर दास के चुनाव हारने के बाद अब दनके साये से पिछा छुड़ाने का है। सी.पी. सिंह विपक्ष का नेता चुन लिये जाते लेकिन लक्ष्मण गिलुवा के इस्तीफा देने के बाद विरोधी दल के नेता के रूप में नीलकंठ सिंह मुंडा का बनना लगभग तय है। वहीं प्रदेश अध्यक्ष के रूप में गणेश मिश्र का नाम फिलहाल सुर्खियों मंे है। निरसा से चुनाव में भाजपा का टिकट नहीं मिलने के बाद गणेश मिश्र का पार्टी के लिये काम करना और रघुवर दास का चुनाव में हारना गणेश मिश्र की संभावना बढ़ा रहा है।
